West Champaran News: सील अस्पताल में इलाज, आपरेशन के बाद मरीज की हालत बिगड़ी तो खुली पोल
नरकटियागंज के सील किए गए गुप्ता अस्पताल में चोरी-छुपे इलाज करने का मामला सामने आया है जहाँ एक मरीज के पैर के ऑपरेशन के बाद लापरवाही का आरोप लगा है। परिजनों ने अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाए हैं जिसके बाद हंगामा हुआ। पुलिस ने हस्तक्षेप किया और मामले की जांच कर रही है। अस्पताल पहले भी एक दुष्कर्म पीड़िता की मौत के बाद सील किया गया था।

जागरण संवाददाता, नरकटियागंज (पश्चिम चंपारण)। West Champaran News: दो माह पहले पुलिस को सूचना दिए बिना दुष्कर्म पीड़िता का इलाज करने पर जिस अस्पताल को सील कर दिया गया था, वहां चोरी-छिपे इलाज किया जा रहा था।
रविवार की शाम सच तब सामने आया, जब एक मरीज के पैर के आपरेशन के बाद यूरिन पाइप नहीं लगाने से हालत बिगड़ने पर हंगामा हो गया। मरीज के स्वजन ने अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही के आरोप लगाए, जिसके बाद स्थिति तनावपूर्ण हो गई।
पुलिस पहुंची तो मामला शांत हुआ। नगर के शिवगंज और नागेंद्र तिवारी चौक के बीच संचालित इस गुप्ता अस्पताल को लेकर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही सामने आई है।
मारवाड़ी मोहल्ला निवासी रामजी चौधरी का पैर टूटने पर गुप्ता अस्पताल में डा. रमेश गुप्ता ने आपरेशन किया था। आरोप है कि आपरेशन के कई घंटे बाद तक उन्हें पेशाब कराने के लिए पाइप नहीं लगाया गया। इसके चलते उनकी स्थिति बिगड़ रही थी।
स्वजन ने जब इसकी शिकायत की तो अस्पताल कर्मियों से नोक-झोंक हो गई। अफरा-तफरी का माहौल बन गया। दबाव बढ़ने पर मरीज को पाइप लगाया गया, जिसके बाद हालत में सुधार हुआ। इधर, हंगामे की सूचना मिलने पर शिकारपुर थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और स्थिति को संभाला। हालांकि, इस दौरान आपरेशन करने वाले चिकित्सक रमेश गुप्ता मौके से गायब हो चुके थे।
27 जून को सील किया गया था अस्पताल
गुप्ता अस्पताल को दो माह पहले ही प्रशासन ने सील कर दिया था। उस समय मैनाटांड़ की दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग का इलाज बिना पुलिस को सूचना दिए किया गया था। इलाज के दौरान हालत बिगड़ने पर उसे बेतिया रेफर कर दिया गया, जहां उसकी मौत हो गई थी।
जांच हुई तो गंभीर लापरवाही पर 27 जून को अस्पताल को सील कर दिया गया। अनुमंडल अस्पताल के प्रभारी उपाधीक्षक डा. संजीव कुमार ने बताया कि ग्राउंड फ्लोर पर संचालित गुप्ता अस्पताल को सील किया गया है। फर्स्ट फ्लोर पर उनका आवास है।
उनके यहां पानी की व्यवस्था ग्राउंड फ्लोर से होकर जाती है, इसके लिए अस्पताल संचालक के परिवार के लोगों ने सिविल सर्जन को आवेदन देकर मोटर वाले कमरे को सील मुक्त करने का आवेदन दिया था। इसपर जिले से एक टीम आई और जिस कमरे में मोटर और चापाकल लगा है, उसे खोल दिया गया था। शेष अस्पताल के कमरा सील है। यदि वे अस्पताल संचालन कर रहे हैं तो जांच उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।
सील अस्पताल को भी खोला
अस्पताल सील होने के बाद गुप्ता अस्पताल के संचालक रमेश गुप्ता ने सामने ही किराये पर एक मकान ले रखा है। उसमें भी चोरी-छिपे मरीजों को भर्ती करते हैं। उसी में मरीज आते-जाते हैं। देखते ही देखते संचालक ने अपने अस्पताल के सील कमरों को खुद से खोल लिया।
उसमें दवा के काउंटर को भी खोल दिया। घटना के बाद जिस आपरेशन थिएटर को सील किया गया था, उसे भी खोल आपरेशन किया जाने लगा। अस्पताल को देखने से कहीं प्रतीत नहीं होता की कभी उसे सील किया गया था। लोगों का कहना है कि प्रशासन ने कार्रवाई के बाद कभी उस तरफ मुड़कर नहीं देखा। अस्पताल में दो-चार बिचौलिये संचालक के लिए काम करते रहते हैं।
सिविल सर्जन ने जताई अनभिज्ञता, शिकायत का इंतजार
सील किए गए अस्प्ताल में इलाज के प्रकरण से सिविल सर्जन डा. विजय कुमार अनभिज्ञ हैं। उनका कहना है कि सील अस्पताल में फर्जी ढंग से मरीजों के उपचार करने का मामला मेरे संज्ञान में नहीं आया है। शिकायत मिलने पर इसकी जांच कर दोषी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी।
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