दो साल में दरक गया तीन करोड़ का आइटी भवन, जनता के पैसे की बर्बादी का जिम्मेदार कौन?
बगहा में तीन करोड़ की लागत से बना प्रखंड सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र दो साल में ही जर्जर हो गया है। उद्घाटन 2023 में हुआ था लेकिन दीवारों में दरारें और प्लास्टर झड़ने लगे हैं। ग्रामीणों ने निर्माण में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। भवन का उद्देश्य डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना था पर यह भ्रष्टाचार का प्रतीक बन गया है।

संवाद सहयोगी, बगहा। लोगों को एक ही छत के नीचे सभी सेवाएं उपलब्ध हो जाएं, इसी उद्देश्य से प्रदेश सरकार ने बगहा एक में प्रखंड सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र का निर्माण कराया। इस पर करीब तीन करोड़ रुपये की लागत आई, मगर दो साल में ही भवन जर्जर और बदहाल हो गया।
सात फरवरी, 2023 को इस भवन का उद्घाटन भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी, प्रभारी मंत्री ललित यादव, विधान पार्षद भीष्म सहनी, बगहा विधायक राम सिंह और अन्य जनप्रतिनिधियों द्वारा किया गया था। उद्घाटन के समय इसे डिजिटल इंडिया और सुशासन का प्रतीक बताया गया था, लेकिन अब यह भवन खुद सरकारी दावों की पोल खोल रहा है।
भवन के पिलर भी कमजोर
स्थानीय लोगों की मानें तो भवन निर्माण के समय से ही गुणवत्ता पर सवाल उठाए जा रहे थे। दो साल में ही भवन की दीवारों में दरारें पड़ चुकी हैं। छत से प्लास्टर झड़ रहे हैं और खिड़कियों के शीशे टूट चुके हैं। रंग-रोगन उड़ गया है।
पिलर भी कमजोर हो रहे हैं। कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। ग्रामीणों का आरोप है कि निर्माण कार्य में भारी कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार हुआ है। पहले भी सरकारी भवनों की हालत कुछ सालों में खराब हो जाती थी, लेकिन दो साल में ही इतनी खराब स्थिति प्रशासनिक लापरवाही और ठेकेदारों की मनमानी का नतीजा है।
इस भवन का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटलीकरण को बढ़ावा देना और सरकारी योजनाओं की जानकारी आम लोगों तक पहुंचाना था, लेकिन अब यह भवन सरकारी भ्रष्टाचार और कमजोर निगरानी प्रणाली का प्रतीक बन गया है।
जनता की मांग है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हो और दोषी अधिकारियों व ठेकेदारों पर सख्त कार्रवाई की जाए, ताकि जनता के टैक्स के पैसे का दुरुपयोग न हो सके और भविष्य में इस तरह की लापरवाही पर लगाम लगाई जा सके।
शीशे व खिड़कियां टूट चुकी हैं। कहीं टाइल्स तो कहीं प्लास्टर उखड़ रहे हैं। भवन निर्माण के कनीय अभियंता व सहायक अभियंता को लिखित पत्र देते हुए मरम्मत करने के लिए कहा गया है। निर्माण कंपनी को पांच साल तक इसका रखरखाव करना है। इसके लिए पत्राचार किया गया है। -प्रदीप कुमार, बीडीओ
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