West Champaran News: बीएनएस कानून में पहली बार हत्या के आरोपी को आजीवन कारावास की सजा
West Champaran News: पश्चिम चंपारण के बगहा में भारतीय न्याय संहिता के तहत हत्या के एक मामले में आरोपी अमित पटेल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है, साथ ही एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। अदालत ने स्पीडी ट्रायल के तहत तीन महीने में सुनवाई पूरी की। अमित पटेल ने अपनी पत्नी सरिता देवी की चाकू से गोदकर हत्या कर दी थी। अदालत ने मृतका के बच्चे को बिहार सरकार की योजना के तहत आर्थिक सहायता देने का भी निर्देश दिया है।

जागरण संवाददाता, बगहा(पश्चिम चंपारण)। बगहा में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत हत्या के एक मामले में पहली बार किसी आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है।
जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ मानवेन्द्र मिश्र की अदालत ने गुरुवार को यह ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आरोपी अमित पटेल को उम्रकैद की सजा दी, साथ ही उस पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। जुर्माना न देने की स्थिति में उसे छह महीने का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा।
अदालत ने इस मामले को स्पीडी ट्रायल मानते हुए केवल तीन माह में विचारण पूरा कर लिया। अभियुक्त को 14 जुलाई 2025 को आरोपित किया गया था और 14 अक्टूबर 2025 को अदालत ने उसे दोषी करार दिया। इसके बाद 16 अक्टूबर को सजा सुनाई गई।
घटना 11 अक्टूबर 2024 की है, जब बगहा के धनहा थाना क्षेत्र के कटार गांव निवासी अमित पटेल ने अपनी पत्नी सरिता देवी की चाकू से गोदकर हत्या कर दी थी।
घटना के अगले दिन 12 अक्टूबर को मृतका के पिता यूपी के कुशीनगर के रामकोला थाना के पकरिहार निवासी रामदरश पटेल ने धनहा थाना में प्राथमिकी (कांड संख्या 215/2024) दर्ज कराई थी।
पुलिस ने आठ जनवरी 2025 को आरोप पत्र दायर किया और जांच के दौरान अभियुक्त के घर से खून से सना चाकू बरामद किया गया। अमित पटेल को 13 अक्टूबर 2025 से न्यायिक हिरासत में रखा गया है।
मुकदमे के दौरान उनके नौ वर्षीय पुत्र आयुष पटेल ने अदालत में गवाही दी और कहा, पापा ने मम्मी को मार दिया। यह बच्चा अब अपने दादा-दादी के साथ रह रहा है।
एफएसएल रिपोर्ट पर कोर्ट ने दिया था निर्देश
घटना के बाद पुलिस द्वारा जब्त खून से सना चाकू और अन्य साक्ष्य फॉरेंसिक जांच के लिए भेजे गए थे। एफएसएल रिपोर्ट की समय पर प्रस्तुति के लिए अदालत ने बगहा के पुलिस अधीक्षक को निर्देश जारी किया था।
इस हत्या की प्राथमिकी रामदरश पटेल ने दर्ज कराई थी।। अदालत ने संज्ञान लेते हुए सुनवाई को प्राथमिकता दी और तेजी से कार्रवाई करते हुए सजा सुनाई।
आयुष को मिलेगा हर महीने चार हजार
मामले की सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि मृतका सरिता देवी का नौ वर्षीय पुत्र आयुष अब अपने पिता के संरक्षण में नहीं रह सकता। क्योंकि उसका मानसिक और सामाजिक विकास प्रभावित हो सकता है।
इस स्थिति को देखते हुए अदालत ने बिहार सरकार की स्पॉन्सरशिप योजना (मुख्यमंत्री बाल सहायता योजना) के तहत बच्चे को आर्थिक सहायता देने का निर्देश दिया है। न्यायालय ने जिला बाल संरक्षण इकाई, पश्चिम चंपारण को आदेश दिया है कि एक माह के भीतर बच्चे को योजना में नामांकित किया जाए और हर महीने चार हजार रुपये की सहायता राशि 18 वर्ष की उम्र तक प्रदान की जाए। यह राशि बच्चे की शिक्षा, पोषण और देखभाल के लिए दी जाएगी।
इस आदेश की प्रति जिला बाल संरक्षण इकाई, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और जिला पदाधिकारी को भेजी गई है ताकि एक महीने की समय सीमा के भीतर योजना का लाभ शुरू किया जा सके। अदालत ने यह सुनिश्चित करने को कहा है कि पीड़ित बालक को किसी भी प्रकार की आर्थिक कठिनाई न हो और उसका पालन-पोषण सही ढंग से हो सके।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।