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    Bihar Politics: लालू सरकार में मंत्री रहे पूर्णमासी की बढ़ी मुश्किलें, 23 साल पुराने मामले में सुनवाई

    Updated: Mon, 14 Jul 2025 04:13 PM (IST)

    लालू यादव के शासनकाल में मंत्री रहे पूर्णमासी राम की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। 23 साल पुराने एक मामले में 18 जुलाई को रिवीजन याचिका पर सुनवाई होनी है। दयानंद द्विवेदी ने आरोप लगाया था कि मंत्री पूर्णमासी राम ने उन्हें अगवा कर मारपीट की थी। बाद में मंत्री के प्रभाव में उनके खिलाफ झूठी प्राथमिकी भी दर्ज कराई गई थी जिसकी पुलिस जांच में आरोप गलत पाए गए।

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    पूर्व मंत्री व गोपालगंज के पूर्व सांसद पूर्णमासी राम की बढ़ सकतीं मुश्किलें

    संवाद सहयोगी, बगहा। पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के शासन काल में मंत्री रहे पूर्णमासी राम की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। 23 साल पहले मामले में जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ मानवेंद्र मिश्र की अदालत में 18 जुलाई को रिवीजन याचिका पर सुनवाई होनी है।

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    बगहा थाना के मलकौली वार्ड नंबर दो के दयानंद द्विवेदी बीते आठ अप्रैल 2002 को करीब दो बजे दिन में जब वह अपने घर के अंदर बैठकर कुछ लिख रहे थे। उसी समय उनके दरवाजे पर खाद्य- आपूर्ति मंत्री पूर्णमासी राम, झोटिल पासवान, अमरनाथ मुखर्जी, अन्य अज्ञात व्यक्तियों के साथ जिप्सी गाड़ी से पहुंचे।

    दयानंद से पूछा कि मुझ पर हाईकोर्ट में घोटाला का केस क्यों किया। दयानंद ने जवाब दिया कि विभाग के मंत्री ही जिम्मेदार होते हैं।

    इतना सुनते ही पूर्णमासी राम ने दयानंद का हाथ पकड़ लिया और झोटिल पासवान एवं अमरनाथ मुखर्जी एवं अन्य अज्ञात व्यक्ति पीछे से ठेलते हुए, दयानंद को जबरदस्ती अपने जिप्सी गाड़ी में बैठा लिए और रास्ते में गाड़ी के अंदर एवं बगहा परिसदन में उतारकर मारपीट कर जख्मी कर दिए। जिसके बाद दयानंद ने बगहा थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

    दाखिल की थी पुनरीक्षण याचिका

    सात नवंबर 2019 के आदेश से व्यथित होकर पीड़ित दयानंद द्विवेदी ने सत्र न्यायालय के समक्ष पुनरीक्षण याचिका दाखिल किया था। जिसपर कोर्ट की ओर से गंभीरता पूर्वक सुनवाई हो रहा। आगामी 18 जुलाई को पूर्व मंत्री पूर्णमासी राम के अधिवक्ता नर्वदेश्वर भारती की ओर से अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया है।

    कोर्ट में दयानंद द्विवेदी के अधिवक्ता ने दावा किया है कि डीआइजी मानवाधिकार के आदेश के बाद तत्कालीन पुलिस अधीक्षक रत्न संजय ने अनुसंधान कर्ता को कोर्ट से अतिरिक्त जांच की आवेदन देने को निर्देशित किया।

    उस निर्देश के आलोक में अनुसंधानकर्ता ने न्यायालय से अनुमति मिलने के बाद मंत्री पूर्ण मासी राम एव्ं अन्य के खिलाफ तत्कालीन जिला पदाधिकारी बेतिया मिहिर कुमार से आर्म्स एक्ट में अभियोजन स्वीकृति आदेश प्राप्त किया।

    एससी-एसटी की दर्ज थी प्राथमिकी

    पुलिस ने अनुसंधान में पाया की मंत्री के प्रभाव में झोटिल पासवान ने आवेदन देकर आठ अप्रैल 2002 को दयानंद द्विवेदी के विरुद्ध बगहा थाना कांड संख्या 65/2002 एससी-एसटी एक्ट एवं आर्म्स एक्ट में दर्ज कराया था। जिसमें झोटिल ने आरोप लगाया कि वह बगहा बाजार जा रहे थे।

    तभी दयानंद द्विवेदी अपने घर के सामने उसे रोक कर मारपीट करते हुए जाति सूचक शब्दों से गाली-गलौज करते हुए लाल सलाम में शामिल होने का दबाव बनाने का झूठा आरोप लगाकर मारपीट की। पुलिस के अनुसंधान के क्रम में अनुसंधानकर्ता द्वारा उक्त आरोप को गलत पाया गया था।