नेपाल की 1.50 लाख बेटियों को शादी के बाद मिली भारत की नागरिकता, वोटर लिस्ट में कैसे जुड़ेगा नाम?
पश्चिम चंपारण जिले में नेपाल से शादी कर आईं महिलाओं को मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए नागरिकता का प्रमाण देना अनिवार्य कर दिया गया है। वर्षों से भारत-नेपाल के बीच बेटी-रोटी का रिश्ता रहा है पर अब कई महिलाओं के पास नागरिकता प्रमाण पत्र नहीं है जिससे उनमें ऊहापोह की स्थिति है। 2003 से पहले मतदाता सूची में दर्ज नाम वालों को छूट दी गई है।

शेषनाथ तिवारी, सिकटा (पश्चिम चंपारण)। भारत और नेपाल के बीच वर्षों से बेटी-रोटी का रिश्ता है।जिले के सीमावर्ती इलाकों के छह प्रखंडों में अधिकांश युवक-युवतियों की शादी दोनों देशों में होती है। जिले के सिकटा, मैनाटांड़, गौनाहा, नरकटियागंज, रामनगर, बगहा आदि नेपाल सीमावर्ती प्रखंडों के गांवों में हर एक दूसरे घरों में नेपाल से शादी कर बहू आई है, जो वर्षों से अपने पति और बच्चों के साथ यहां रह रही हैं।
इनमें से कईयों के पास राशन कार्ड, आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र है, लेकिन अब मतदाता सूची गहन पुनरीक्षण अभियान में उन्हें भारतीय नागरिकता का प्रमाण देना अनिवार्य कर दिया गया है। इसको लेकर ऊहापोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
जिले के सीमावर्ती गांवों में करीब 20 प्रतिशत लड़कियों की शादी नेपाल सीमा से सटे गांव सिकटा, सड़कियाटोला, कंगली, सबैठवा बहुअरवा, मसवास, बसंतपुर, भेडिहरवा, बर्दही, कठियामठिया, सुगहाभवानीपुर, बलथर, शिकारपुर, परसौनी, मुरली, लालपर्सा, सिरिसिया, इनरवा, रमपुरवा, मैनाटांड़, खम्हियां आदि में हुई है।
नेपाल के पर्सा व बारा आदि जिला के सैकड़ों गांवों से लगभग एक लाख 56 हजार 557 परिवारों में शादी कर लाई गई नेपाली बेटियों को भारत की वैवाहिक अंगीकृत नागरिकता मिल गई है। जिसके आधार पर मतदाता सूची में उनका नाम दर्ज किया गया है। जिसके तहत वह मतदान भी करती हैं।
क्या कहता है नियम?
भारतीय नागरिकता अधिनियम 1955 के अनुसार यदि कोई विदेशी महिला किसी भारतीय नागरिक से वैध रूप से विवाह करती है और लगातार सात वर्ष भारत में निवास करती है तो वह भारतीय नागरिकता के लिए पात्र है। उसे गृह मंत्रालय को आवेदन देना होगा। इसके लिए विवाह निबंधन प्रमाण पत्र समेत भारत में लगातार सात साल के निवास का प्रमाण देना अनिवार्य है।
भारतीय नागरिकता लेने के लिए यदि कोई नेपाली बेटी भारतीय नागरिक से विवाह की है तो विवाह का प्रमाण पत्र (मैरिज सर्टिफिकेट) व भारत में सात वर्ष से लगातार निवास का प्रमाण (आवासीय दस्तावेज) के साथ गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन (फॉर्म सात) के साथ कर सकती है। फिर स्थानीय एसडीओ एवं डीएम स्तर पर सत्यापन कर गृह मंत्रालय द्वारा अंतिम मंजूरी एवं प्रमाण पत्र निर्गत होता है।
हालांकि, सीमावर्ती इलाकों की अधिकतर महिलाओं को इस प्रक्रिया की जानकारी नहीं है। चूंकि दो परिवारों की सहमति से ये शादी होती है तो इनके पास विवाह निबंधन का प्रमाण पत्र भी नहीं है।
2003 की मतदाता सूची से मिली राहत
भारत निर्वाचन आयोग ने फिलहाल स्पष्ट कर दिया है कि वर्ष 2003 में जिनका नाम मतदाता सूची में दर्ज है। उन्हें नागरिकता प्रमाण देने की जरूरत नहीं है। वही इस सूची में जिस मतदाता या उनके माता व पिता का नाम नहीं है। उन्हें भारतीय होने का प्रमाण देना होगा।
ये प्रमाण शैक्षणिक प्रमाण पत्र, जमीन संबंधी कागजात आदि 11 विकल्प हो सकते हैं। जो युवती 2003 के बाद बिहार में शादी कर आई हैं, उनके पास यदि ये दस्तावेज नहीं हैं तो उन्हें नागरिकता प्रमाण पत्र देना आवश्यक होगा।
मतदाता सूची से नाम कटने पर अधिकार समाप्त होने का डर
बलथर के सरपंच राजशरण पटेल, सामाजिक कार्यकर्ता राजकिशोर पांडेय, अवसानपुर के विनोद सिंह, कंगली के संतोष पासवान, मनोज मिश्र, इनरवा के हरेन्द्र दास, जयसिंहपुर के बृजमोहन मिश्र का कहना है कि नई व्यवस्था में तो अधिकांश लोगों का नाम मतदाता सूची से कट जाएगा। ऐसे में उन्हें अधिकार समाप्त होने का डर सता रहा है। अब नेपाल की बेटियों से यहां के लोग अपने बेटों की शादी करने से भी कतराने लगे हैं, क्योंकि नेपाली बहू का भारत की मतदाता सूची में नाम जुड़ना आसान नहीं है।
केस स्टडी - एक:
नेपाल के भेडिहारी से ब्याह कर आई मुरली गांव की मनीषा कुमारी कहती हैं कि सात वर्ष पूर्व शादी कर आई थी। दो बच्चों की मां भी हूं। मतदाता सूची में नाम है। पिछले चुनाव में वोट डाली थी। अब भारतीय नागरिकता की प्रमाण पत्र की मांग की जा रही है। शादी के सात वर्ष बाद विवाह निबंधन का प्रमाण पत्र कहां से लाऊं।
केस स्टडी- दो
परसौनी गांव के साहेब साह की पत्नी अनिता देवी । मूल रूप से पर्सा जिला नेपाल के चरगांहा की बेटी हैं। इनकी शादी के 14 वर्ष हो गए। कहती हैं मैं पूरी तरह भारतीय संस्कृति में ढल गई हूं। अब अगर मतदाता सूची से नाम कट जाएगा तो हमारा अधिकार ही समाप्त हो जाएगा। वैसे मुझे उज्वला योजना से गैस, राशन कार्ड और आयुष्मान कार्ड भी है।
केस स्टडी- तीन
परसौनी गांव के प्रेमदीप वर्णवाल की शादी 2011 में नेपाल के बारा जिला के बागमती गांव की दीक्षा वर्णवाल से हुई थी। उनका नाम मतदाता सूची में दर्ज है। पिछले चुनाव में वोट भी दी थीं। कहती है कि मुझे यहां की नागरिकता लेने की अनिवार्यता की जानकारी ही नही थी। इसके लिए नागरिकता नहीं ली।
केस स्टडी- चार
पर्सा जिला नेपाल के भेडिहारी गांव निवासी अरुण साह की शादी वर्ष 2017 में सिकटा थाना के लालपर्सा गांव में हुई। वे अपनी पत्नी के साथ यहीं पर बस गए। इनका नाम मतदाता सूची में भी है। जमीन खरीदकर घर भी बना लिया है।नेपाल की नागरिकता खत्म है और भारत में भी नागरिकता प्रमाण पत्र का डिमांड हो रहा।
किसी भी विदेशी नागरिक को भारतीय मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए यहां की नागरिकता आवश्यक है। वर्ष 2003 के बाद की मतदाता सूची में यदि नाम दर्ज है तो उन्हें नागरिकता प्रमाण पत्र देना होगा। नागरिकता के लिए भारत सरकार का जो मानदंड निर्धारित है, उसे पूरा कर नागरिता लें।
- विकास कुमार सिंह, सहायक निर्वाची पदाधिकारी सह बीडीओ, सिकटा
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