West Champaran News: रंग फीका, झड़ने लगीं दीवारें... 22 महीने बाद भी बनवरिया का मनरेगा पार्क अधूरा
पश्चिम चंपारण के बनवरिया गांव में मनरेगा पार्क का निर्माण 22 महीने बाद भी अधूरा है। दीवारों का रंग फीका पड़ गया है और वे झड़ने लगी हैं। निर्माण कार्य की धीमी गति के कारण ग्रामीणों में निराशा है, क्योंकि वे पार्क का उपयोग करने के लिए उत्सुक हैं।

22 महीने बाद भी 'मेरा गांव मेरा उद्यान योजना' अधूरा। फोटो जागरण
राहुल वर्मा, नरकटियागंज। नरकटियागंज में बनवरिया पंचायत मुख्यालय स्थित मनरेगा पार्क 22 महीने बाद भी अधूरा पड़ा है। दिसंबर 2023 में ‘मेरा गांव, मेरा उद्यान’ योजना के तहत शुरू हुई इस योजना का उद्देश्य ग्रामीणों को हरित और मनोरंजन से भरपूर वातावरण उपलब्ध कराना था, लेकिन दो साल पूरा होने को हैं, अब तक पार्क में सिर्फ चारदीवारी और एक गेट ही बन सका है।
18 लाख 33 हजार रुपये की अनुमानित लागत से बन रहे इस पार्क की रफ्तार इतनी सुस्त रही कि अब तक इसके पूरा होने के आसार भी नहीं दिख रहे हैं। यह पार्क पंचायत का इकलौता मनरेगा पार्क है।
दो चरणों बनाने की थी योजना
शुरुआत में इसे शहर के पार्कों की तर्ज पर विकसित करने की बात कही गई थी। दो चरणों में लगभग 18 लाख 33 हजार की लागत से बनने वाले इस पार्क में पेवर ब्लॉक पाथ-वे, ओपन जिम, बेंच और फूल-पौधे लगाने की योजना थी।
बीच में 30 फीट लंबा और 30 फीट चौड़ा तालाब भी प्रस्तावित था, लेकिन आज तक उसका प्राक्कलन तक तैयार नहीं हो सका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि फिलहाल पार्क में सिर्फ झाड़ियां और घास उगी हुई हैं।
बाउंड्री की प्लास्टर झड़ने लगी है और गेट का रंग भी फीका पड़ गया है। ग्रामीणों का कहना है कि उपेक्षा के चलते पार्क अब बदहाल हालत में पहुंच चुका है।
रोजगार सेवक अजय कुमार राय ने बताया कि पार्क 200 फीट लंबा और 100 फीट चौड़ा है, लेकिन कई जरूरी कार्य बाकी हैं। पार्क के बाहर दो अलग-अलग योजनाओं के बोर्ड लगे हैं।
एक पर 9 लाख 87 हजार 472 रुपये और दूसरे पर 8 लाख 45 हजार 597 रुपये की लागत अंकित है। हालाकि इन योजनाओं का कार्य कब पूरा होगा, इसका किसी को पता नहीं है।
ग्रामीण संजीव कुमार उर्फ लड्डू, रंजन प्रताप राव उर्फ मनु राव और नीजू पटेल ने कहा कि बनवरिया शिवालय क्षेत्र धार्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां पंचायत सरकार भवन, उप स्वास्थ्य केंद्र और दो विद्यालय संचालित हैं, लेकिन विकास के इस प्रतीक पार्क की सुध किसी ने नहीं ली।
जानकार बताते हैं कि अधूरा पड़ा यह पार्क मेला के दौरान अस्थायी वाहन पार्किंग के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। लोगों का कहना है कि किसी नेता या जनप्रतिनिधि ने इस अधूरी योजना की सुध नहीं ली है। मेरा गांव, मेरा उद्यान का सपना फिलहाल ‘मेरा अधूरा पार्क’ बनकर रह गया है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।