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    West Champaran News: ठंड में ठिठुर रहे आंगनबाड़ी बच्चे, तीन साल से स्वेटर-ड्रेस का इंतजार

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 02:28 AM (IST)

    पश्चिम चंपारण में आंगनबाड़ी के बच्चे ठंड से ठिठुर रहे हैं क्योंकि उन्हें पिछले तीन सालों से स्वेटर और पोशाक का इंतजार है। बच्चों को अभी तक ये बुनियादी ...और पढ़ें

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    संवाद सूत्र, सिकटा। ठंड बढ़ने लगी है। इसके बावजूद आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चों को ठंड से बचाने के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। यहां तक की बच्चों के पास पर्याप्त ऊनी कपड़े उपलब्ध नहीं हैं। छोटे-छोटे बच्चे ठंड में बिना स्वेटर और गर्म कपड़ों के केंद्रों पर आने को विवश हैं।

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    बुधवार को आंगनबाड़ी केंद्रों की पड़ताल अभियान के दौरान जागरण की टीम सुबह में करीब 10 बजे के आसपास प्रखंड का गौचरी पंचायत सुखपुर टोला का आंगनबाड़ी केंद्र संख्या-20 पर पहुंची। हल्की कोहरा और ठंडी हवा चल रही थी। एक कमरे में 37 बच्चे थे। बच्चों में किसी के पास स्वेटर नहीं था। कोई गंजी पहनकर आया था तो कोई काफ शर्ट। कुछ बच्चे ठिठुर रहे थे।

    पूछा गया कि इन बच्चों के पास स्वेटर नहीं है। सेविका सच्ची देवी ने बताया कि आप स्वेटर की बात कर रहे हैं। इस केंद्र के बच्चों को तीन वर्ष से पोशाक नहीं मिला है। इस लिए इनके पास जो भी वस्त्र है, वे पहनकर आते हैं। कई बार तो छोटे बच्चे खाली देह चले आते हैं। उन्हें सहायिका घर ले जाती हैं।

    माता-पिता को समझाती है। फिर वे फटे-पुराने कपड़े पहनकर आते हैं। पोशाक नहीं मिलने का कारण जानने का प्रयास किया गया तो उन्होंने बताया कि ये तो विभाग जाने। विभाग को जो भी आदेश होता है,उसका पालक करते हैं।

    11:10 बजे भोजन के लिए बरामदे में लगी कतार

    दरअसल, यह आंगनबाड़ी केंद्र राजकीय प्राथमिक विद्यालय सुखपुर के प्रांगण में चलता है। विद्यालय के एक कमरे में ही केंद्र का संचालन होता है। 11:10 बजे भोजन के लिए बरामदे में सहायिका राजमति देवी ने सभी बच्चों को बुलाया। बच्चे अपना-अपना बोरी लेकर बरामदे में आए। जिस बोरी पर बैठकर पढ़ाई करते हैं, उसी बोरी पर बैठाकर पोषाहार परोसा गया।

    दरी के बारे में जानकारी ली गई तो बताया गया कि दरी थी, फट गई। हालांकि, मेनू में सोयाबीन की सब्जी व चावल बना रही थी। बच्चों को भोजन कराया गया। दरअसल इस केंद्र में 40 बच्चे नामांकित है। तीन बच्चे नहीं आए थे। जबकि सेविका ने कहा कि रोज खाने के समय चार-पांच बच्चे बढ़ जाते हैं। उन्हें भी उसी में से पोषाहार खिलाना पड़ता है।

    चार वर्ष पूर्व स्कूल में केंद्र हुआ शिफ्ट

    अभिभावकों ने बताया कि पहले यह केंद्र सेविका के घर पर चलता था। उस वक्त कभी केंद्र खुलता था तो कभी बंद रहता था। बच्चे केंद्र पर जाते भी नहीं थे। गंवई राजनीति में ग्रामीणों ने केंद्र के बंद रहने की शिकायत की।

    चूंकि सेविका के घर पर केंद्र का संचालन होता था और विभाग से सेविका किराया की राशि उठाती थी। ऐसे में चार वर्ष पूर्व इस केंद्र को प्राथमिक विद्यालय सुखपुर के प्रांगण में एक कमरा उधार में लेकर शिफ्ट कर दिया गया। तब से यहां केंद्र का नियमित संचालन हो रहा है।