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    Bihar: हाथ में जूता और पीठ पर झोला लेकर स्कूल चले शिक्षक, बरसात में पहुंचने के लिए नाव ही एकमात्र सहारा

    By Sunil TiwariEdited By: Aysha Sheikh
    Updated: Thu, 24 Aug 2023 02:05 PM (IST)

    Bihar News गंडक नदी का जलस्तर बढ़ते ही दियारे में पानी फैल जाता है। कहीं नाव से तो कहीं दो-तीन किलोमीटर पैदल चलकर शिक्षक स्कूल पहुंचते हैं। हाल के दिनों में शिक्षा विभाग के निर्देश पर शिक्षकों का स्कूल में नौ बजे तक पहुंचना अनिवार्य हो गया है। ऐसे में दियारे के इन स्कूलों के शिक्षकों की परेशानी बढ़ी है। इन 18 स्कूलों में 42 शिक्षक पदस्थापित हैं।

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    Bihar: हाथ में जूता और पीठ पर झोला लेकर स्कूल चले शिक्षक

    जागरण संवाददाता, बेतिया (पश्चिम चंपारण): जिले के बैरिया, नौतन एवं योगापट्टी दियारे में 18 ऐसे सरकारी स्कूल हैं, जहां बरसात का मौसम शुरु होने के साथ ही स्कूलों का सड़क से संपर्क भंग हो जाता है।

    गंडक नदी का जलस्तर बढ़ते ही दियारे में पानी फैल जाता है। कहीं नाव से तो कहीं दो-तीन किलोमीटर पैदल चलकर शिक्षक स्कूल पहुंचते हैं।

    शिक्षकों का स्कूल में नौ बजे तक पहुंचना अनिवार्य

    हाल के दिनों में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के निर्देश पर स्कूलों की जांच हो रही है। शिक्षकों का स्कूल में नौ बजे तक पहुंचना अनिवार्य हो गया है।

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    ऐसे में दियारे के इन स्कूलों के शिक्षकों की परेशानी बढ़ी है। इन 18 स्कूलों में 42 शिक्षक पदस्थापित हैं। प्राय: सभी शिक्षकों का आवासन प्रखंड और जिला मुख्यालय में है।

    जिन जगहों पर स्कूल हैं, वहां शिक्षकों के आवासन के लिए कोई सुविधा नहीं है। ऐसे में शिक्षकों की मजबूरी भी है कि वे जिला और प्रखंड मुख्यालयों में रहें।

    स्कूल पहुंचने के लिए नाव ही एकमात्र सहारा

    बैरिया प्रखंड के प्राथमिक विद्यालय राजघाट के प्रधानाध्यापक अनिल कुमार का कहना है कि स्कूल पहुंचने के लिए नाव ही एकमात्र सहारा है।

    यहां सरकारी नावों का परिचालन है नहीं, सो प्रतिदिन सुबह सात बजे घाट पर पहुंचना होता है। एक घंटे की प्रतीक्षा के बाद नाव में सवारी पूरी होती है, तभी नाव खुलती है। फिर नौ बजे तक स्कूल पहुंचते हैं।

    बैरिया के प्राथमिक विद्यालय मसान ढ़ाब के प्रधानाध्यापक धर्मेंद्र यादव का कहना है कि नाव से उतरने के बाद करीब दो किमी पैदल चलने के बाद स्कूल पहुंचते हैं।

    अंतिम नाव पहले तीन बजे उधर से खुलती थी। नाविक को आग्रह कर 4:30 बजे खुलवाया जा रहा है। ताकि चार बजे स्कूल में बच्चों की छुट्टी करने के बाद नाव पकड़कर प्रखंड मुख्यालय पहुंचा जा सके।

    सता रही प्रलयंकारी बाढ़ की चिंता

    दियारे के इन स्कूलों में पदस्थापित शिक्षकों को आने वाले दिनों में गंडक नदी में बाढ़ की चिंता सता रही है। जब गंडक नदी का जलस्तर खतरे के निशान पर पहुंच जाता है तो उस वक्त नावों का परिचालन बंद कर दिया जाता है।

    इस समय बैरिया के दियारे में रहने वाले लोग भी पलायन कर जाते हैं। ऐसी स्थिति में शिक्षक स्कूल कैसे पहुंचेंगे और आगामी एक अप्रैल से आरंभ होने वाली ऑनलाइन हाजिरी कैसे बनेगी? हालांकि शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पास भी फिलहाल इस सवाल का जवाब नहीं है।

    अभी गंडक नदी का जलस्तर सामान्य है। शिक्षकों को स्कूल आने-जाने में कोई असुविधा नहीं है। दियारे में पानी फैलने पर स्थिति का आकलन कर वैकल्पिक व्यवस्था की जाएगी। - रजनीकांत प्रवीण, जिला शिक्षा पदाधिकारी, पश्चिम चंपारण