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    क्षेत्र युद्ध में घायल VTR की बाघिन की पटना जू में तोड़ा, तीन साल में एक शावक सहित चार बाघों की हो चुकी है मौत

    By Shashi MishraEdited By: Prateek Jain
    Updated: Wed, 23 Aug 2023 01:23 AM (IST)

    वीटीआर में क्षेत्र युद्ध की शिकार एक बाघिन की मौत सोमवार को पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान में हो गई। क्षेत्र युद्ध में बाघों के मरने की यह चौथी घटना है। इसके पूर्व एक शावक सहित चार बाघ अपनी जान गंवा चुके हैं। यह बाघिन 10 वर्ष की थी जिसे मंगुराहां वन प्रक्षेत्र से 1 अगस्त को रेस्क्यू कर संजय गांधी जैविक उद्यान पटना में भेज दिया गया था।

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    क्षेत्र युद्ध में घायल VTR की बाघिन की पटना जू में तोड़ा। (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, बेतिया: वीटीआर में क्षेत्र युद्ध की शिकार एक बाघिन की मौत सोमवार को पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान में हो गई। क्षेत्र युद्ध में बाघों के मरने की यह चौथी घटना है।

    इसके पूर्व एक शावक सहित चार बाघ अपनी जान गंवा चुके हैं। यह बाघिन 10 वर्ष की थी, जिसे मंगुराहां वन प्रक्षेत्र से 1 अगस्त को रेस्क्यू कर पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान में भेज दिया गया था।

    रीढ़ की हड्डी में आई थी गंभीर चोटें 

    बाघों की लड़ाई में रीढ़ की हड्डी में गंभीर चोटें आई थी, उसे तीन दिन पूर्व ही चोट लगी थी। मानसून गश्त के दौरान वनकर्मियों को उसके कराहने की आवाज सुनाई दी थी।

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    अधिकारियों के अनुसार, मंगुराहां वन कार्यालय से 12 किलोमीटर दूर जंगल में जम्हौली दोमुहान के पास बाघिन को पिंजरे में कैद कर उपचार के लिए पटना चिड़ियाघर भेजा गया था।

    जानकारी के अनुसार, वर्षाकाल उनके प्रजनन का समय होता है, यह संभव है कि संघर्ष में बाघिन के जख्मी होने की संभावना बताई गई थी।

    वीटीआर के डीविजन एक के उप क्षेत्र निदेशक प्रदुम्न गौरव ने बाघिन के जख्मी होने का मुख्य कारण किसी बड़े जानवर के साथ भिड़ंत होने से रीढ़ की हड्डी में जख्म होने की बात बताई थी।

    अपने क्षेत्र में दूसरे बाघ को नहीं करते बर्दाश्‍त

    इन बड़े जानवरों में शक्तिशाली गौर प्रजाति के जानवर के होने की संभावना थी। हालांकि, वीटीआर में तेजी से बढ़े बाघों की संख्या से क्षेत्र संघर्ष को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता है।

    बाघ आवासन के निर्धारित जगह में दूसरे की एंट्री बर्दाश्त नहीं करता। ऐसे में वीटीआर में क्षेत्र संघर्ष होना संभव है। वर्ग संघर्ष में पिछले तीन वर्षोे में एक शावक सहित चार बाघों की जान जा चुकी है।

    इसमें डीविजन दो में एक आठ माह का शावक का मारा जाना भी शामिल है। उसे बाघिन(मां) के साथ रहते बाघ ने मौत के घाट उतार दिया था। इसके अलावा 13 अक्टूबर, 2021 को मैनाटांड़ प्रखंड के चक्रसन गांव के समीप गन्ने के खेत में वर्चस्व की लड़ाई में एक बाघ की मौत हो गई थी।

    वह ढ़ाई वर्ष का बाघ था। 20 फरवरी, 2021 को मंगुराहां वन प्रक्षेत्र से ही रेस्क्यू कर पटना चिड़ियाघर पहुंचाई गई बाघिन की मौत हो गई थी।

    बाघों के अधिवास के लिए कम पड़ रहा है वीटीआर का क्षेत्र

    विश्व बाघ दिवस 29 जुलाई को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, वीटीआर में बाघों की संख्या 54 पाई गई है। बाघों की संख्या वर्ष 2010 की तुलना में छह गुणा बढ़ गई है, जबकि वीटीआर का कुल क्षेत्रफल 898 वर्ग किलोमीटर ही है।

    जानकार बताते हैं कि एक बाघ के लिए 20 वर्ग किलोमीटर से 40 वर्ग किलोमीटर जगह चाहिए। जगह जंगल में शाकाहारी जानवरों की उपलब्धता पर घट-बढ़ सकती है। वीटीआर का जंगल हेबिटेट प्रबंधन के मामले में बेहतर माना गया है। ऐसा रिपोर्ट में बताया गया है।

    ऐसे में यहां के जंगल में भी एक बाघ के रहने के लिए कम से कम 20 वर्ग किलोमीटर चाहिए। वीटीआर के क्षेत्रफल पर गौर करें, तो यहां 44 बाघों के लिए ही उपयुक्त जगह है। 54 बाघों के अधिवास के लिए 1080 वर्ग किलोमीटर जगह की आवश्यकता है। ऐसी स्थिति में बाघों के बीच क्षेत्र संघर्ष हो रहा है।

    हाल में एनटीसीए ने अपनी जारी रिपोर्ट में देश के टाइगर रिजर्व में आन्तरिक कारणों के चलते ही बाघों की मौत को स्वीकारा है। इसके लिए बाहरी तत्वों को ज्यादा जिम्मेवार नहीं माना है। ऐसा इसलिए कि प्रबंधन की सख्ती के कारण अब शिकारियों की टाइगर रिजर्व में एंट्री आसान नहीं है।