600 स्वचालित कैमरे की मदद से चितवन राष्ट्रीय निकुंज में होगी बाघों की गणना
नेपाल के चितवन राष्ट्रीय निकुंज में 16 दिसंबर से बाघ गणना शुरू होगी, जिसके लिए 16 और 17 दिसंबर को प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई है। चितवन और परसा न ...और पढ़ें

16 व 17 दिसंबर को गणन कर्मियों का होगा प्रशिक्षण। फाइल फोटो
संवाद सूत्र, वाल्मीकिनगर (पश्चिम चंपारण)। नेपाल के चितवन राष्ट्रीय निकुंज में 16 दिसंबर से बाघ गणना की प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। यह क्षेत्र भारत के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व से सटा हुआ है, जिससे दोनों देशों की सीमावर्ती वन संपदा में वन्यजीव संरक्षण की दृष्टि से यह प्रक्रिया अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
गणना शुरू करने से पूर्व 16 और 17 दिसंबर को दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित की गई है, जिसमें लगभग 150 प्रतिभागी भाग ले रहे हैं। इनमें निकुंज के कर्मचारी, राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण कोष के तकनीकी विशेषज्ञ, स्थानीय स्वयंसेवी, विद्यार्थी और संरक्षण से जुड़े साझेदार शामिल हैं। यह जानकारी चितवन राष्ट्रीय निकुंज के सूचना अधिकारी अविनाश थापा मगर ने दी।
प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले सभी सदस्यों को 18 दिसंबर से क्षेत्र में भेजा जाएगा, जहां वे निर्धारित पद्धति के अनुसार बाघों की निगरानी और डेटा संग्रह करेंगे। इस बार चितवन और परसा निकुंज को एक साथ जोड़कर गणना की जा रही है, जिससे संयुक्त रूप से बाघों की वास्तविक संख्या का अधिक व्यापक आकलन संभव होगा।
गणना के लिए दो किलोमीटर के हर ग्रिड में एक जोड़ी स्वचालित कैमरा लगाया जाएगा। कुल 900 ग्रिड बनाए गए हैं, जिन्हें तीन भागों में विभाजित किया गया है। प्रत्येक भाग में 20 दिनों तक कैमरा सक्रिय रहेगा।
वरिष्ठ इकोलॉजिस्ट हरिभद्र आचार्य के अनुसार, बाघ गणना चितवन के साथ परसा, बांके, बर्दिया और शुक्लाफांटा राष्ट्रीय निकुंज में भी एक साथ शुरू की जाएगी और पूरी प्रक्रिया तीन माह में पूर्ण कर ली जाएगी। इसके लिए राष्ट्रीय निकुंज एवं वन्यजीव संरक्षण विभाग ने संयुक्त रूप से बजट का विनियोजन किया है।
2022 में हुई पिछली गणना में पूरे नेपाल में 335 बाघों का आंकड़ा सामने आया था, जिनमें से 128 बाघ अकेले चितवन निकुंज में दर्ज किए गए थे। इससे पहले 2009 में 121, 2013 में 198 और 2018 में 235 बाघों की गणना की जा चुकी है।
चितवन निकुंज के प्रमुख संरक्षण अधिकृत डॉ. गणेश पंत ने बताया कि इस बार भी ‘कैमरा ट्रैपिंग’ तकनीक का उपयोग किया जाएगा। लगभग 600 स्वचालित कैमरे बाघों की आवाजाही वाले प्रमुख वन क्षेत्रों में लगाए जाएंगे।
इन कैमरों से मिले फोटो में बाघों के शरीर पर बनी विशिष्ट काली धारियों के आधार पर उनकी पहचान की जाएगी, क्योंकि हर बाघ की धारियां अलग होती हैं। इस तकनीक से उनकी सही संख्या का निर्धारण अत्यधिक सटीक हो जाता है।

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