खुले आसमान तले पढ़ने को मजबूर बच्चे, पहाड़ी मझौवा स्कूल में भवन और शौचालय की कमी
बगहा के मझौवा गांव के प्राथमिक विद्यालय में भवन की कमी के कारण बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ने को मजबूर हैं। 160 छात्रों के लिए सात शिक्षक हैं लेकिन भवन नहीं होने से पठन-पाठन बाधित होता है। गर्मी में बच्चे बीमार होते हैं और बरसात में स्कूल चलाना मुश्किल हो जाता है। शौचालय की भी व्यवस्था नहीं है। विभाग ने जल्द भवन निर्माण का आश्वासन दिया है।

संवाद सहयोगी, बगहा। शिक्षा को लेकर सरकार भले ही बड़ी-बड़ी उपलब्धियों का दावा करे, लेकिन हकीकत गांव की जमीनी तस्वीर बयां कर देती है। प्रखंड बगहा एक के पंचायत मझौवा अंतर्गत पहाड़ी मझौवा स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। यहां कक्षा एक से पांच तक कुल 160 बच्चे का नामांकन हैं, इन्हें पढ़ाने के लिए सात शिक्षक पदस्थापित हैं।
दूसरी ओर विद्यालय भवन न होने के कारण वर्षों से मासूम बच्चे खुले आसमान के नीचे पेड़ की छांव तले पढ़ाई करने को मजबूर हैं। गर्मी में तपती धूप बच्चों के स्वास्थ्य पर भारी पड़ती है। कई बार बच्चे बेहोश तक हो जाते हैं।
वहीं बरसात में स्कूल चलाना लगभग असंभव हो जाता है। प्रधानाध्यापक मजबूरी में या तो बच्चों को घर भेज देते हैं या पास के आंगनबाड़ी केंद्र में समायोजित कर पठन-पाठन कराते हैं। इससे पढ़ाई प्रभावित होती है और सबसे बड़ी चिंता बच्चों के भविष्य की है।
विद्यालय के प्रभारी प्रधानाध्यापक जय प्रकाश पाठक बताते हैं कि वर्ष 2008 में भवन निर्माण के लिए राशि आई थी, लेकिन जमीन अतिक्रमण के कारण पैसा वापस चला गया। हालांकि हाल ही में अमीन द्वारा जमीन की मापी की गई है, जिससे ग्रामीणों और छात्रों में उम्मीद जगी है।
छात्रों का कहना है कि विद्यालय में शौचालय की भी कोई व्यवस्था नहीं है। उन्हें खुले में शौच करने जाना पड़ता है, जिससे असुरक्षा और भय का माहौल बना रहता है। छात्र और अभिभावक हमेशा किसी अनहोनी को लेकर भय क्रांत रहते हैं।
एक ओर सरकार और शिक्षा विभाग शिक्षा के नए-नए नियम कानून को लागू कर रही है दूसरी ओर ऐसे हाल योजनाओं की पोल खोलती नजर आ रही है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि वर्षों से सिर्फ आश्वासन मिल रहा है, लेकिन इस बार वे चाहते हैं कि सरकार व विभाग अपना वादा निभाए। बच्चों को अब एक सुरक्षित छत की सख्त जरूरत है, ताकि उनका भविष्य उज्ज्वल हो सके।
पहाड़ी मझौवा सहित कुल 16 भूमिहीन विद्यालयों का प्रस्ताव विभाग में गया था। वर्ष 2023 में टेंडर भी निकला, लेकिन किसी कारणवश निरस्त हो गया। अब सीमांकन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है और इसके लिए सीओ को पत्र भेजा गया है। संभावना है कि इसी साल विद्यालय का भवन बन जाएगा। कोई भी विद्यालय भूमिहीन नहीं रहेगा।-पूरण शर्मा, प्रभारी बीईओ, बगहा एक।
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