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    Bihar Politics: '20 साल तक मुख्यमंत्री रहे, लेकिन अब चुनाव से दो महीने पहले...'; नीतीश पर बरसे PK

    जनसुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि 20 वर्षों से नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं लेकिन उद्योगों के लिए कोई योजना नहीं बनी। जनसुराज के दबाव के कारण अब नई उद्योग नीति बन रही है। उन्होंने मंत्री की गाड़ी पर पथराव को लेकर कहा कि अब जनता नेताओं का विरोध करेगी। पीके ने अशोक चौधरी पर जनता के पैसे से योजनाओं का दोबारा उद्घाटन करने का आरोप भी लगाया।

    By Sandesh Tiwari Edited By: Rajat Mourya Updated: Wed, 27 Aug 2025 02:02 PM (IST)
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    20 साल तक मुख्यमंत्री रहे, अब चुनाव से दो महीने पहले आई उद्योग की याद : प्रशांत किशोर

    संवाद सहयोगी, बेतिया। जनसुराज पार्टी के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार 20 वर्ष से बिहार के मुख्यमंत्री हैं। उद्योग विस्तार को लेकर कोई योजना नहीं बनी। अब जब जनसुराज की धमक हुई है तो चुनावी स्टंट के रूप में नई उद्योग नीति बना रहे हैं। प्रधानमंत्री और तेजस्वी यादव भी पलायन रोकने की चर्चा करने लगे हैं। जनसुराज के दबाव के कारण पेंशन और मानदेय में बढ़ोतरी भी हुई है।

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    वे मंगलवार को ऑडिटोरियम में आयोजित बिहार बदलाव इजलास कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने मंत्री की गाड़ी पर पथराव को लेकर कहा कि पिछले तीन वर्षों में जन आंदोलनों और साधारण लोगों पर सरकार ने बेरहमी से लाठियां बरसाई हैं। अब जनता की बारी है। अगली बार यह नेता गांवों में जाएंगे तो लोग खुद उनका विरोध करेंगे।

    कैबिनेट में अशोक चौधरी और विजय चौधरी के बीच विवाद का जिक्र करते हुए पीके ने तंज कसा कि यह असल में लूट की लड़ाई है। उन्होंने सवाल उठाया कि अशोक चौधरी अपनी सांसद बेटी के साथ हेलिकॉप्टर से जिन कार्यक्रमों में जा रहे हैं, उसका खर्च कहां से आ रहा है। जनता के पैसे से पहले से उद्घाटन हो चुकी योजनाओं का दोबारा उद्घाटन किया जा रहा है।

    सभा को एमएलसी आफाक अहमद, जिला प्रभारी रविंद्र सिंह बेरूवार, कमराम अजीज, गुलरेज अख्तर, शमशाद अली, कुंदन पांडेय, कमलेश कुमार सचिंद्र पांडेय, अनिल सिंह आदि ने संबोधित किया।

    अन्य प्रदेशों में होगा जनसुराज का विस्तार

    प्रशांत किशोर ने कहा कि जन सुराज का संघर्ष केवल बिहार तक सीमित नहीं है। देश के लगभग 50 प्रतिशत हिंदू भाजपा के खिलाफ हैं। अगर उनमें से 20 प्रतिशत भी हमारे साथ आ गए तो यह लड़ाई हमारी जीती हुई मानी जाएगी। हिंदुओं की आधी आबादी ऐसी है, जो गांधी जी, बाबासाहब, लोहिया, समाजवाद और कम्युनिस्ट विचारधारा को मानती है। गांधीजी, लोहिया या समाजवाद और कम्युनिस्ट विचारधारा मानने वाले लोगों ने आजादी की लड़ाई लड़ी है, भाजपाइयों ने नहीं।