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    नशे के लिए ले रहे दर्द निवारक दवाएं

    By Edited By:
    Updated: Wed, 02 Nov 2016 03:02 AM (IST)

    सूबे में पूर्ण शराब बंदी के बाद भी शराबी नशा करने के लिए पड़ोसी देश नेपाल व यूपी में अपनी प्यास बुझाने अक्सर आते जाते हैं।

    बगहा। सूबे में पूर्ण शराब बंदी के बाद भी शराबी नशा करने के लिए पड़ोसी देश नेपाल व यूपी में अपनी प्यास बुझाने अक्सर आते जाते हैं। परंतु जिन नशेड़ियों को शराब नहीं मिल पाता है वे नये नये तरकीब इजाद कर रहे हैं। वह अब हर चीज में नशा ढूढ़ने में लगे हुए हैं। बीमारी से निजात दिलाने वाली दवाओं का उपयोग धड़ल्ले से नशे के लिए किया जा रहा है। इतना ही नहीं शराबी सुलेशन, इंक रिमूवर, आयोडेस्क, व पेंट आदि को भी नशे के रुप में उपयोग में ला रहे हैं। दवा दुकानदार भी अपने फायदे के लिए बिना डाक्टर की पर्ची देखे ही कई प्रकार की नशीली दवाएं बेच रहे हैं। जिनमें दर्द और एलर्जी से राहत दिलाने के लिए बनाई गई दवाईयों का उपयोग युवा वर्ग नशे के रुप में करने लगे हैं। पेंटवीन इंजेक्शन, कोरेक्स सिरप, अस्पाजमो प्राक्तिभान कैप्सूल, मॉर्फिन, नाइट्रोसिन टेबलेट आदि का उपयोग नशे के लिए किया जा रहा है। इतना ही नहीं युवा वर्ग भांग तक तो ठीक था अब आयोडेक्स का भी इस्तेमाल नशे के लिए कर रहे हैं। नशे का ये समान मेडिकल स्टोर में 2 रुपये से लेकर 15 रुपये तक में आसानी से मिल जाता है। युवा वर्ग चार से पांच कैप्सूल खाकर इसका उपयोग नशे के लिए कर रहे हैं। हालांकि इसमें मॉर्फिन व नाइट्रोसिन की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है बावजूद इसके ये दवाएं मेडिकल दुकानों पर आसानी से मिल जा रही हैं।

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    नशे के काम आ रही दर्द निवारक दवाएं

    दवा देते समय जब दुकानदार की निगाहें कई बार ऊपर से नीचे शरीर को नापते हुए उठी तो हरनाटाड़ निवासी कमलेश कुमार को कुछ अजीब सा लगा था। कमलेश यह समझ नहीं पाया कि आखिर दवा का दुकानदार, उसे इस तरह क्यों देख रहा है। लेकिन जब कमलेश ने अपने दोस्तों से इस वाक्या को लेकर बात की, तब उसे माजरा समझ में आया। दरअसल पिता के पेट में दर्द उठने पर कमलेश दवा लेने गया था। दुकानदार की निगाहें इस बात को तौल रहीं थी कि कहीं यह युवक भी नशे के लिए दवा तो नहीं ले रहा है। शराब पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगने के बाद अब जिले के युवाओं में नशा के लिए दर्द निवारक दवाओं को लेने का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। नशे के लिए दवाओं का उपयोग करने से आलम यह हो गया है कि दर्द निवारक कई दवाएं अब ब्लैक में बिकने लगी हैं। दवाओं को नशे के रूप में इस्तेमाल करने वाले युवाओं में भी उनकी संख्या अधिक है जो किशोरावस्था से ही नशे की तरफ बढ़ रहे हैं। हल्की मूंछ-दाढ़ी निकलने के साथ जवानी की तरफ बढ़ रहे युवाओं को दवा से नशे का शौक पूरा करना आसान तरीका भी लगता है। कुछ खास दर्द निवारक दवाएं, इन्हें हर मेडिकल स्टोर से आसानी से उपलब्ध भी हो जाती हैं। ये नशे के आदी हैं, इसका पता भी घर वालों को तब तक नहीं चलता, जब तक कि इनका ही कोई दोस्त इसकी शिकायत नहीं करता। नाम नहीं छापने की शर्त पर एक मेडिकल स्टोर के मालिक ने बताया कि नशे के लिए इस्तेमाल किए जाने से पेट दर्द निवारक दवा स्पासमो व प्रोसिवोन के साथ ही नींद नहीं आने और बेचैनी दूर करने की दवा वेलियम टेन, अब ब्लैक में बिक रही है। उन्होंने बताया कि युवा इन दवाओं का एक साथ कई गोली खाकर अपने नशे का शौक पूरा कर रहे हैं। ब्लैक में बिकने वाली दवाओं में, खासी से राहत देने वाली कोरेक्स और फेंसीडील भी शामिल हैं।

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    कहते हैं चिकित्सक

    ऐसा नहीं है कि लीवर का सबसे बड़ा दुश्मन केवल शराब ही है। कुछ ऐसी दवाएं जैसे मार्फिन, फोर्टवीन, अल्ट्राजोलम व डाईजीपाम आदि का ओवरडोज लीवर के लिए खतरनाक हो सकता है। ऐसी दवाओं को नशे का साधन बनाना अपनी जिंदगी से खिलवाड़ करने के बराबर है। दवा दुकानदारों को भी उम्र का ख्याल रखकर दवा देनी चाहिए।

    डॉ. कृष्ण मोहन राय, चिकित्सक सुनैना स्मृति सेवा संस्थान, हरनाटांड़