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    वाल्मीकिनगर में नोटा ने बिगाड़ा खेल, कई निर्दलीय उम्मीदवार पीछे छूटे

    By Vinod Rao Edited By: Ajit kumar
    Updated: Sat, 15 Nov 2025 06:02 PM (IST)

    वाल्मीकिनगर में नोटा ने चुनावी खेल बिगाड़ दिया। कई निर्दलीय उम्मीदवार नोटा से भी पीछे रह गए, जिससे उनकी हार का अंतर बढ़ गया। नोटा के कारण निर्दलीय उम्मीदवारों का प्रदर्शन निराशाजनक रहा और चुनावी नतीजों पर इसका सीधा असर पड़ा।

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    वाल्मीकिनगर विधानसभा सीट पर मतदाताओं ने नोटा का विकल्प चुनाव।

    विनोद राव, बगहा (पश्चिमी चंपारण)। नौ विधानसभा क्षेत्रों में इस बार मतदाताओं ने अपने वोट के साथ-साथ नाराजगी का भी स्पष्ट संदेश दिया है। चुनाव परिणामों के बीच सबसे अधिक ध्यान आकर्षित करने वाला पहलू रहा नोटा (नन आफ द एबव ) का बढ़ा हुआ प्रयोग।

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    नोटा का विकल्प मतदाताओं को यह संदेश देने का अवसर देता है कि वे किसी भी प्रत्याशी को योग्य नहीं मानते। इस बार जिले के कई क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर लोगों ने इस विकल्प को चुना, जिससे स्थानीय राजनीति और नेताओं के प्रति आम जनता की नाराजगी साफ झलकती है।

    सबसे ज्यादा नोटा दबाने वाले मतदाताओं का आंकड़ा वाल्मीकि नगर विधानसभा से सामने आया। यहां कुल 6400 मतदाताओं ने नोटा का उपयोग किया। यहां के निवर्तमान विधायक धीरेंद्र प्रताप सिंह को मात्र 1675 वोट से हार का सामना करना पड़ा।

    यह दर्शाता है कि बड़ी संख्या में लोगों ने राजनीतिक विकल्पों पर भरोसा नहीं किया और सीधे अपनी असहमति दर्ज कराई। वाल्मीकि नगर के बाद दूसरे स्थान पर रहा सिकटा विधानसभा, जहां 4400 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया।

    यह संख्या भी काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि इस क्षेत्र में हमेशा चुनावी प्रतिस्पर्धा जोरदार रहती है। बावजूद इसके, इस बार मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग चुनावी विकल्पों से संतुष्ट नहीं दिखाई दिया।


    इसके अलावा जिले के अन्य विधानसभा क्षेत्रों में नरकटियागंज, रामनगर, बगहा, लौरिया, बेतिया, चनपटिया और मधुबनी में भी नोटा पर अच्छा-खासा वोट पड़ा। हालांकि इन क्षेत्रों में संख्या वाल्मीकि नगर और सिकटा जितनी अधिक नहीं रही, लेकिन आंकड़े यह बताते हैं कि लगभग हर क्षेत्र में मतदाता विकल्पों से निराश नजर आए। यह रुझान लोकतंत्र में जागरूकता की ओर इशारा करता है, जहां मतदाताओं ने अपने मतदान अधिकार का उपयोग करते हुए सीधे अपना असंतोष दर्ज किया।

    चौतरवा निवासी व अधिवक्ता अंकित दुबे का कहना है कि नोटा का बढ़ता ग्राफ राजनीतिक दलों के लिए चेतावनी है कि उन्हें जनता के मुद्दों, विकास कार्यों, पारदर्शिता और स्थानीय नेतृत्व की विश्वसनीयता को गंभीरता से समझना होगा। यदि मतदाता लगातार नोटा का प्रयोग बढ़ाते हैं, तो यह आने वाले चुनावों में राजनीतिक समीकरणों के लिए चुनौती बन सकता है।

    पश्चिम चंपारण के नौ विधान सभा में मिले नोटा

    • 1-वाल्मीकिनगर-6400
    • 2-बगहा- 3259
    • 3-रामनगर- 2184
    • 4-नरकटियागंज- 2203
    • 5-नौतन- 3220
    • 6-चनपटिया- 2609
    • 7-सिकटा- 4568
    • 8-लौरिया---2394
    • 9-बेतिया- 1981
    • --------------------------------
    • टोटल------28818