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    Bettiah News: शारीरिक शिक्षकों की बहाली तो हो गई, लेकिन स्कूलों को नहीं मिला खेल का मैदान

    बेतिया के कई स्कूलों में खेल के मैदान की कमी से छात्रों की प्रतिभा प्रभावित हो रही है। लाल बाजार और ऑफिसर कॉलोनी जैसे स्कूलों में खेल की जगह नहीं है जिससे शारीरिक शिक्षकों को अन्य विषय पढ़ाने पड़ते हैं। पहले आठवीं घंटी खेल के लिए होती थी जो अब बंद हो गई है।

    By Sandesh Tiwari Edited By: Nishant Bharti Updated: Wed, 27 Aug 2025 05:21 PM (IST)
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    स्कूलों में खेल का मैदान नहीं और हो गई शारीरिक शिक्षकों की बहाली

    संवाद सहयोगी,बेतिया। नगर के तीन लालटेन स्थित राजकीय मध्य विद्यालय लाल बाजार, राजकीय प्राथमिक विद्यालय ऑफीसर कॉलोनी जैसे दर्जनों स्कूलों में खेल का मैदान नहीं है। विद्यालय सड़क के किनारे है।

    एचएम चक्रधारी त्रिपाठी ने बताया कि बच्चों को खेलने के लिए जगह नहीं है। ऐसे में स्कूलों से खेल प्रतिभाओं के निकलने और बेहतर करने की उम्मीद बेमानी है। शारीरिक शिक्षकों की बहाली हैं। हर वर्ष खेलकूद प्रतियोगिताएं भी होती है। मैदान के अभाव में बच्चों की खेल प्रतिभाएं कुंठित हो जाती है।

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    खासकर प्रारंभिक विद्यालयों में तो खेल की स्थिति बदतर है। 1551 प्रारंभिक विद्यालय में खेल की स्थिति संसाधनों की कमी की भेंट चढ़ी हुई है। वहीं जिले में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की संख्या 336 जबकि मध्य विद्यालयों की संख्या 913 है। जिसमें यहां सैकड़ों विद्यालय जमीन तलाश रहे हैं।

    नहीं होती अब आठवीं घंटी

    पहले सरकारी स्कूलों में आठवीं घंटी होती थी। इसमें बच्चों को खेल और शारीरिक व्यायाम संबंधी जानकारी दी जाती थी। मगर अब ये घंटी पूरी इतिहास बन चुकी है। इसका जायजा लेने के लिए जागरण ने बुधवार को को नगर के प्राथमिक विद्यालय ऑफीसर कॉलोनी का दौरा किया।

    विद्यालय में खेल का मैदान उपलब्ध नहीं है। बच्चों को खेलने के लिए बाहर का ही भरोसा है। स्कूल में खेल शिक्षक नहीं हैं। जानकारी मिली कि खेल सामग्री के नाम पर विद्यालय को कुछ नहीं मिलता है। जिला खेल पदाधिकारी के अनुसार जिले में कुल 260 खेल शिक्षक है।

    फिजिकल एजुकेशन टीचर पढ़ाते हैं अन्य विषय

    रोचक यह कि प्रत्येक मध्य विद्यालय और माध्यमिक तथा उच्च माध्यमिक विद्यालय में खेलकूद के लिए शारीरिक शिक्षक का होना अनिवार्य है। जिन विद्यालयों में ऐसे शिक्षक उपलब्ध हैं और खेल का मैदान नहीं है वहां ऐसे शारीरिक शिक्षक विद्यार्थियों को खेलकूद कराने की बजाय अन्य विषय पढ़ाते हैं। वैसे ज्यादातर विद्यालयों में फिजिकल एजुकेशन टीचर के पद खाली हैं।

    खेलकूद की प्रतिभा को निखारने के लिए खेल का मैदान काफी जरूरी है। जिस विद्यालय में खेल शिक्षक है वे छात्रों के बीच खेल के प्रति रुचि जागृत करें।- विजय कुमार पंडित, जिला खेल पदाधिकारी, बेतिया