Bihar: जन्माष्टमी पर कान्हा के स्वागत के लिए सज चुका है पालना और झूला, तैयार किया जा रहा पंजीरी का खास प्रसाद
पश्चिमी चंपारण में भक्तों ने भगवान कृष्ण जन्मोत्सव की तैयारी पूरी कर ली है। जन्माष्टमी के मौके पर जिले में कई जगहों पर भगवान के लिए पालना और झूला सज गया है। कई जगह प्रतिमा भी स्थापित की गई है। कान्हा के जन्म के बाद भक्तों द्वारा उन्हें पालने में झुलाया जाएगा। कान्हा के स्वागत के लिए उनके भक्त धनिया के पंजीरी का खास प्रसाद भी तैयार कर रहे हैं।
बगहा (पश्चिमी चंपारण), संवाद सूत्र: भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव की तैयारी पूरी कर ली गई है। इस अवसर पर कई जगह भगवान के लिए पालना और झूला सज गया है। कई जगह प्रतिमा भी स्थापित की गई है।
परंपरा के अनुसार भगवान के जन्म लेने के बाद उनको पालना में झूला झुलाने की कथा प्रचलित होने के कारण अधिकांश जगहों पर पालनानुमा ही झूला बनाया बताया जाता है।
ऐसे तैयार होता खास प्रसाद
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर घरों में धनिया की पंजीरी बनाई जाती है। इस अवसर पर यह खास प्रसाद होता है। घर की बुजुर्ग महिलाएं तीन-चार दिन पहले ही इसकी तैयारी में जुट जाती हैं। पंजीरी तैयार करने के लिए धनिया साफ करने, धोने, सुखाने, भुनने और पीसने समेत कई विधियों से गुजरना पड़ता है।
कान्हा भक्त कलावती देवी, पार्वती देवी और प्रेमशीला देवी ने बताया कि बाजार से खरीदी या घर में रखा धनिया को साफ सफाई के साथ चुनना पड़ता है। इसके बाद धोने के बाद शुद्धता पूर्वक सुखाने की जिम्मेदारी भी होती है।साथ ही बखूबी सफाई व शुद्धता के साथ घर के चूल्हे पर भूनने के बाद उसका पाउडर तैयार किया जाता है।
पाउडर में चीनी मिलाकर उसका प्रसाद तैयार किया जाता ह। जिसका भोग भगवान को समर्पित किया जाता है। महिलाओं ने बताया कि इस कार्य में परिश्रम अधिक होने के कारण नई बहुओं या घर के अन्य सदस्यों का सहयोग भी लिया जाता है।
मौसम जनित बीमारियों से बचाता है धनिया
पंजीरी में पाए जानेवाले पोषक तत्वों और फायदे के संबंध में चिकित्सक प्रेमनाथ तिवारी ने बताया कि परंपरा के अनुसार धनिया को भगवान विष्णु पसंदीदा माना जाता है। इसके अलावा भाद्रपद के बाद बरसात का मौसम समाप्त होने लगता है।
बरसात में हर ओर पानी जमा रहता है और वर्षा समाप्ति के बाद तेज धूप होने से पानी सूखना शुरू होता है। जिससे वाष्पीकरण की प्रक्रिया कहा जाता है।
इस प्रक्रिया से इस मौसम में उमस अधिक हाेता है, जिसका कुप्रभाव मनुष्य की त्वचा पर पड़ता है। इससे बचाव हेतु भूना हुआ धनिया या उसका पाउडर खाने की सलाह दी जाती है। वैज्ञानिक व धार्मिक मान्यता के सम्मिश्रण से इसका प्रसाद बनाया जाता है।
आचार्य राजीव कुमार मिश्र ने बताया कि धनिया का भोग भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है। भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण से लेकर उनके समस्त स्वरूप के पूजन में धनिया का उपयोग प्राथमिकता से किया जाता है।
जन्माष्टमी आते ही बढ़ा खीरे का भाव
कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर फल-फूल और पूजा सामग्री के बाजार में सबसे अधिक महंगाई खीरा पर दिखा। जन्म के समय बनाए गए मंडप, झूला या पंडाल में खीरा प्राथमिकता से रखा जाता है। दंतकथा के अनुसार पुराने जमाने में रात के 12 बजे सभी लोग भजन कीर्तन में मशगूल रहते थे।
उस दौरान मंडप में रखा खीरा स्वत: ही फट जाता है। इसी परंपरा के तहत खीरा की खरीदारी अधिक होती है। मांग अधिक होने के कारण उसका मूल्य बढ़ जाना स्वभाविक है। साथ ही भगवान के श्रृंगार सामग्री व नासपाती , केला, सेव आदि फलों की मांग बढ़ जाने के कारण कीमतों मे उछाल रहा।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।