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    Jitiya Vrat 2024: जितिया व्रत का सही मुहूर्त क्या है? पढ़ें पौराणिक मान्यता, महत्व और पूजा-विधि

    जीवित्पुत्रिका व्रत पुत्र की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन माताएं निर्जला उपवास रखती हैं और अगले दिन सुबह में व्रत तोड़ती हैं। इस व्रत का महत्व इस बात में है कि यह माताओं को अपने पुत्रों के प्रति प्रेम व समर्पण दर्शाने का अवसर देता है।

    By Manvendra Pandey Edited By: Mohit Tripathi Updated: Fri, 20 Sep 2024 10:55 PM (IST)
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    25 सितंबर बुधवार को मनाया जाएगा जितिया त्योहार।

    संवाद सूत्र, बगहा। जीवित्पुत्रिका व्रत पुत्र की लंबी आयु के लिए भारत व नेपाल में मनाया जाता है। इस व्रत के दिन माताएं निर्जला उपवास रहती हैं।

    आचार्य भरत उपाध्याय ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार महाभारत युद्ध के दौरान जब द्रोणाचार्य की मृत्यु हुई तो इसका बदला लेने के लिए उनके पुत्र अश्वत्थामा ने क्रोध में आकर ब्रह्मास्त्र चला दिया।

    जिसकी वजह से अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत हो गई। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा की संतान को पुनः जीवित कर दिया। उसी बच्चे का नाम जीवित्पुत्रिका रखा गया। मान्यता है कि तभी से अपनी संतान की लंबी आयु के लिए माताएं जितिया का व्रत करने लगीं। 

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    ग्राम्य जीवन विकास की सतत मानसिकता, विज्ञान की तार्किकता व विश्वास की उद्घोषणा के साथ प्रत्येक मास प्रत्येक दिन और प्रत्येक क्षण में अपनी संस्कृति और समाज के सभ्यता को अनवरत बढ़ाए रखने का प्रयास करता है।

    समाज को जीवंत रखने व विश्व में इसकी संस्कृति का प्रभुत्व स्थापित करने की अद्भुत व विलक्षण मार्गदर्शन इस धरती पर शक्ति के अंशावतार से अवतरित माताओं के आशीर्वाद से ही प्राप्त होता है।

    माताएं अपने पिता, पति व अपने पुत्रों को सदैव पुरुषार्थ चतुष्टय से युक्त देखना चाहती हैं। और इसके लिए वह सदा प्रयास भी करती हैं।

    माताओं द्वारा किया गया एक एक व्रत सदैव पुत्रों के जीवन में सहायक सिद्ध होता है। हमारे यहां कोई अपनी वीरता भी सिद्ध करने की कोशिश करते समय जरूर बोलता है कि आज फलाने की मां खर-जितिया नहीं की हैं आज उसका खैर नहीं है।

    कब मनाया जाता है जीवित्पुत्रिका व्रत

    जीवित्पुत्रिका व्रत एक पवित्र व महत्वपूर्ण व्रत है जो माताएं अपने पुत्रों की दीर्घायु व सुख-समृद्धि के लिए बिना अन्न जल के रखती हैं।

    यह व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। जो आमतौर पर सितंबर या अक्टूबर में पड़ता है।

    इस दिन माताएं अपने पुत्रों की लंबी उम्र व सुखी जीवन के लिए प्रार्थना करती है और व्रत रखती है। इस दिन माताएं पूरे दिन उपवास रहती हैं और अगले दिन सुबह में व्रत तोड़ती हैं।

    जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व

    जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व इस बात में है कि यह माताओं को अपने पुत्रों के प्रति प्रेम व समर्पण दर्शाने का अवसर देता है। यह व्रत माताओं को पुत्रों की सुरक्षा व सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करने का एक तरीका भी है।

    इस दिन, माताएं अपने पुत्रों को आशीर्वाद देते हुए उनके सुखी व समृद्ध जीवन की कामना करती है। यह व्रत माता-पुत्र के बीच स्नेह व ममता के पवित्र बंधन को मजबूत बनाने में मदद करता है।

    24 सितंबर को शुरू होगा जीवित्पुत्रिका व्रत

    आचार्य ने बताया कि पंचांग के अनुसार, जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत इस बार 24 सितंबर मंगलवार को नहाय खाय के साथ शुरू होगी।  तदनुसार कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 25 सितंबर बुधवार को रहेगा।

    सनातन में उदया तिथि को बहुत महत्व दिया गया है, इसलिए उदया तिथि के आधार पर जितिया या जीवित्पुत्रिका व्रत 25 सितंबर बुधवार को ही मनाया जाएगा। पुनः 26 सितंबर गुरुवार को दानादि कर्म के सहित ही इस व्रत का पारण किया जाएगा।