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    जिले की नदियों से अवैध बालू खनन से पर्यावरण पर खतरा

    बेतिया। जिले हर साल बाढ़ आती है। तबाही मचाती है इसके बावजूद भी जिले में बालू का अवैध खनन जोरों पर चल रहा है।

    By JagranEdited By: Updated: Sun, 24 Jul 2022 11:17 PM (IST)
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    जिले की नदियों से अवैध बालू खनन से पर्यावरण पर खतरा

    बेतिया। जिले हर साल बाढ़ आती है। तबाही मचाती है, इसके बावजूद भी जिले में बालू का अवैध खनन जोरों पर चल रहा है। इससे पर्यावरण पर संकट खड़ा हो रहा है। कटाव बढ़ने व नदियों की धारा मुड़ने का खतरा है। पश्चिम चंपारण में गंडक नदी से अधिक खनन से बाढ़ की विभीषिका बढ़ी है। इसके अलावा मसान, बलोर, पंडई सहित अन्य की नदियों की स्थिति भी कुछ इसी तरह है। नदियों में अवैध खनन होने के चलते गंडक व मसान नदी की धारा मुड़ गई है। इससे करीब 15 लाख से ज्यादा आबादी हर वर्ष प्रभावित होती है। इसके बावजूद खनन विभाग उदासीन बना हुआ है। पर्यावरणविद् डा. देवीलाल यादव कहते हैं कि बालू खनन से नदियों का तंत्र प्रभावित होता है तथा इससे नदियों की खाद्य-श्रृंखला नष्ट होती है। बालू के खनन में इस्तेमाल होने वाले सैंड-पंपों के कारण नदी की जैव-विविधता पर भी असर पड़ता है। खनन से नदियों का प्रवाह-पथ प्रभावित होता है। इससे भू-कटाव बढ़ने से भूस्खलन जैसी आपदाओं की आवृत्ति में वृद्धि हो सकती है। नदियों में बालू-खनन से निकटवर्ती क्षेत्रों का भू-जल स्तर बुरी तरह प्रभावित होता है। साथ ही भू-जल प्रदूषित होती है। प्राकृतिक रूप से पानी को शुद्ध करने में बालू की बड़ी भूमिका है। खनन के कारण नदियों की स्वत: जल को साफ कर सकने की क्षमता पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि अवैध बालू खनन से सरकारी ख•ाने को प्रतिवर्ष ह•ारों करोड़ रुपए का नुकसान भी हो रहा है।

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    बालू खनन से तटों में आती है दरारें

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    शिक्षक सुधांशु कुमार सिन्हा ने बताया कि बालू के अवैध उत्खनन से पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। इसका खामियाजा हमारी आने वाली पीढ़ी भुगतेंगी। इससे जल स्तर कम होता जा रहा है। बालू में पानी को सोखकर जमीन में संग्रहित करने की अत्याधिक क्षमता होती है। जब नदियों में बालू ही नहीं रहेगी तो पानी का अवशोषण कैसे होगा। नदियों में बालू को संरक्षित करना बहुत जरूरी है। ---------------------------

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    बानुछापर के रिटायर्ड शिक्षक प्रदीप कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि अवैध उत्खनन पर रोक लगाकर पर्यावरण की रक्षा हो । खनन माफिया के कारण गड्ढे में गिरने व डूबने से कई लोगों की जान चली जाती है। -----------------

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    पर्यावरणविद संजय कुमार का कहना है कि अवैध उत्खनन का सभी को विरोध करना चाहिए। विभाग व प्रशासन दोनों ही अवैध उत्खनन को नहीं रोक सकीं। जबकि एक दिन में पूरे जिले का अवैध उत्खनन रोका जा सकता है। लेकिन इस पर रोक लगाने के प्रति उदासीन है। -----------------

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    शिक्षक रविकांत झा ने कहा कि संपूर्ण जिसे में अवैध उत्खनन हो रहा है। इस व्यापार को राजनीतिक व प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है। गैर राजनीतिक वर्ग कभी इस तरह के काम नहीं करते हैं। अवैध उत्खनन को रोकने के लिए प्रशासन को कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही जनता को भी हिम्मत दिखानी होगी। मुठ्ठी भर लोग अपने निजी लाभ के लिए अवैध उत्खनन में लिप्त हैं।

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    कोटजिले में अवैध बालू खनन पर रोकने के लिए सभी सीओ व थानेदारों को निर्देश दिया गया है। साथ ही सभी एसडीएम को लगातार मॉनिटरिग करने का निर्देश दिया गया है। कुंदन कुमार डीएम, बेतिया