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    पति की लंबी आयु और सुख शांति के लिए महिलाओं ने किया वट सावित्री का व्रत

    By JagranEdited By:
    Updated: Tue, 31 May 2022 12:00 AM (IST)

    पति की लंबी आयु और सुख शांति के लिए महिलाओं ने सोमवार को वट सावित्री का व्रत किया। हरनाटांड़ सहित थरुहट क्षेत्र के विभिन्न स्थानों में पूजा- अनुष्ठान का आयोजन किया गया।

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    पति की लंबी आयु और सुख शांति के लिए महिलाओं ने किया वट सावित्री का व्रत

    बगहा । पति की लंबी आयु और सुख शांति के लिए महिलाओं ने सोमवार को वट सावित्री का व्रत किया। हरनाटांड़ सहित थरुहट क्षेत्र के विभिन्न स्थानों में पूजा- अनुष्ठान का आयोजन किया गया। महिलाओं ने व्रत रखकर कथा भी सुनी। पूजा-अर्चना के उपरांत कई महिलाओं ने बरगद का पौधा भी लगाया। इससे पूर्व महिलाओं द्वारा सोलह श्रृंगार करते हुए बरगद के पौधे के पास पहुंचकर पारंपरिक रूप से पूजा-अर्चना की गई।

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    पुरोहित के माध्यम से वट सावित्री की कथा सुनी गई। पति की लंबी आयु, सुख-शांति के लिए प्रार्थना की गई। वट सावित्री को लेकर पिछले कई दिनों से महिलाएं तैयारी कर रहीं थीं।

    हरनाटांड़ के आचार्य पंडित रसिक बिहारी मिश्र कहते हैं कि ज्येष्ठ अमावस्या तिथि को हिदू महिलाएं वट सावित्री का व्रत रखती हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन व्रत रखकर वट वृक्ष के नीचे सावित्री, सत्यवान और यमराज की पूजा करने से पति की आयु लंबी होती है और संतान सुख प्राप्त होता है। मान्यता यह भी है कि इसी दिन सावित्री ने यमराज से अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। उसी दिन से यह पर्व चलन में आया।

    पंडित मिश्र के अनुसार भारतीय संस्कृति में स्त्री प्रकृति के कण-कण को अपने प्रेम का साक्षी मानती हैं। प्रत्येक अंश में उस दिव्य सत्ता की झलक पाती है और उससे अपने सुहाग रक्षा की प्रार्थना करती है। गंगा, सूर्य, चंद्रमा या वट वृक्ष सब उसके लिए अक्षय सुहाग देने वाले हैं। वट सावित्री पूजा में बरगद के पेड़ की हुई परिक्रमा

    रामनगर : पति की लंबी उम्र की कामना के लिए सोमवती अमावस्या का व्रत सोमवार को रखा गया। सुहागिन महिलाओं ने पूरे दिन उपवास रखकर पूजा-अर्चना की। सुबह से ही महिलाएं नहा धोकर नजदीक के वटवृक्ष के नीचे पहुंच गईं। इस क्रम में पेड़ का परिक्रमा करते हुए धागा बांधा गया। पूजा अर्चना के बाद सुहागिनों ने अपने पति के पांव पखार कर आशीर्वाद लिए। वहीं व्रतियों ने पूरे दिन अन्न व जल ग्रहण नहीं किया। मान्यता है कि इसी दिन को सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण को यमराज से वापस लाया था।