गन्ने के साथ फूल व सब्जी की खेती ने दी समृद्धि
बढ़ती जनसंख्या की तुलना में खाद्य सामग्री की मांग दिनोदिन बढ़ रही है। लेकिन जमीन सीमित रहने के चलते अनाज फल फूल सब्जियों की ऊपज बढ़ाने के लिए हमारे पास उन्नत तकनीक से खेती ही विकल्प है।
बेतिया । बढ़ती जनसंख्या की तुलना में खाद्य सामग्री की मांग दिनोदिन बढ़ रही है। लेकिन जमीन सीमित रहने के चलते अनाज, फल, फूल सब्जियों की ऊपज बढ़ाने के लिए हमारे पास उन्नत तकनीक से खेती ही विकल्प है। इस तकनीक से खेती कर कई किसानों ने मिसाल भी पेश की है। नौतन प्रखंड के बैकुंठवा निवासी राघोशरण प्रसाद इसकी मिसाल हैं। किसानी की बदौलत उन्होंने प्रखंड से लेकर जिले तक नाम कमाया है। फल, फूल, सब्जी तथा मेथा की खेती कर लाखों रुपये प्रति वर्ष आमदनी पा रहे हैं। केवल फूल से प्रतिदिन वे तीन हजार से पांच हजार तक कमा लेते हैं। जैविक खाद के प्रयोग से शुद्ध सब्जी का उत्पादन कर भी अच्छी आमदनी पाते हैं। गन्ने की फसल के साथ सब्जी, फूल, हल्दी आदि की अंतरवर्ती खेती कर अपनी एक अलग पहचान बनाई है। वैज्ञानिक तरीके से खेती करने और अच्छी पैदावार के लिए दर्जनों बार राज्य व राष्ट्रीय स्तर का सम्मान पाया है। बीते फरवरी माह में मेरठ में आयोजित राष्ट्रीय आलू दिवस पर आलू पुरस्कार से सम्मानित कर प्रशस्ति पत्र दिया गया है। जबकि 2010 में फूल की अच्छी खेती, 2013 में मेथा की अच्छी पैदावार तथा 2011 में बैगन की अच्छी खेती के लिए राज्य स्तरीय पुरस्कार से नवाजा गया। मिश्रित खेती के लिए पूसा कृषि महाविद्यालय में विगत वर्ष किसान अभिनव पुरस्कार से भी नवाजे गए। वे प्रखंड के अन्य किसानों को भी अंतरवर्ती खेती के साथ साथ दलहन व सब्जी तथा हल्दी की खेती का गुर सिखाते हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात बिना मौसम गन्ने उपजाना है। मई से जुलाई तक वे गन्ना का उत्पादन कर अधिक आमदनी लेते हैं। पटना से व्यापारी आकर गन्ने ले जाते हैं, जिसे जूस बनाकर बेचते हैं।
बयान
राघव शरण प्रसाद पूरे प्रखंड में ऐसे किसान हैं जो अंतरवर्ती खेती में माहिर हैं। उनकी इसी मेहनत और लगन को लेकर दर्जनों बार उन्हे राज्य स्तरीय तथा राष्ट्रीय सम्मान व प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया है। वे हर किसान के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं।
रत्नाकर द्विवेदी
प्रखंड कृषि पदाधिकारी
नौतन
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