ये जान खुश हों या दुखी? बंध्याकरण के 10 साल बाद पैदा हुई बेटी, चुपचाप अस्पताल में छोड़ गई मां; फिर इस महिला ने लिया गोद
West Champaran News बिहार के पश्चिम चंपारण में चनपटिया थाना क्षेत्र में एक मां अपनी नवजात बेटी को पालने में रखकर फरार हो गई। नवजात रोती मिली तो उसकी मां के बारे में पता किया गया। पता चला कि मां गरीबी की वजह से बच्ची को छोड़ गई थी। इस बात को जान अस्पताल में कार्यरत ममता रीमा कुमारी ने उसे गोद ले लिया।

संवाद सूत्र, चनपटिया/कुमारबाग (पश्चिम चंपारण)। एक तो गरीबी, ऊपर से पहले से तीन बेटियां और एक बेटा। 10 वर्ष पहले बंध्याकरण भी करा लिया। इसके बाद भी गर्भवती हो गई। प्रसव के बाद जब एक और बेटी हुई तो मां बच्ची को अस्पताल में ही छोड़ गई।
मामला चनपटिया थाना क्षेत्र का है। यहां के चुहड़ी गांव निवासी रामबाबू कुमार की पत्नी नीतू देवी (40) ने शुक्रवार की रात सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 10 वर्ष बाद एक बेटी को जन्म दिया। बेटी पैदा होने के करीब दो घंटे बाद मां उसे पालने में रखकर फरार हो गई।
शनिवार की सुबह नवजात रोती मिली तो प्रसव कक्ष में उसकी मां की खोज हुई, लेकिन मां नहीं मिली। थानाध्यक्ष मनीष कुमार के प्रयास से चुहड़ी के मुखिया प्रभात कुमार ने महिला के घर संपर्क किया। उसे समझा-बुझाकर अस्पताल लाया गया। बच्ची की परवरिश में सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का आश्वासन देकर नवजात सौंपा गया।
एक ने ठुकराया और दूसरी ने अपनाया
चिकित्सकों एवं जनप्रतिनिधियों के समझाने के बाद नीतू बच्ची को गोद में लेकर अस्पताल से बाहर निकली। वह अस्पताल के बाहर बैठकर रोने लगी। इस बीच, अस्पताल में कार्यरत ममता रीमा कुमारी पहुंचीं। उन्होंने जब नीतू से बात की तो पता चला कि वह नवजात को रखने के लिए तैयार नहीं है।
वह चाहती है कि कोई उसे गोद ले ले। दो शादीशुदा बेटियों की मां बलुआ रमपुरवा गांव निवासी रीमा ने नवजात को गोद ले लिया। उन्होंने बताया कि नवरात्र में यह बेटी मेरे घर लक्ष्मी बनकर आई है।
'पति नहीं करते कोई काम, कैसे करूंगी परवरिश'
नीतू ने बताया कि वह काफी गरीब है। पति कोई काम नहीं करते। शराब और जुए की भी लत है। पहले से चार बच्चे हैं। उसने खुद परिश्रम कर बड़ी बेटी की शादी की है। अभी 17 और 14 वर्ष की दो बेटियां और एक बेटा 10 वर्ष का है।
वह स्कूल जाता है। मजदूरी कर किसी तरह उनकी परवरिश कर रही हूं। इसलिए पालने में बच्ची छोड़कर चली गई। महिला ने बताया कि 10 वर्ष पूर्व उसने चनपटिया अस्पताल में लगे कैंप में बंध्याकरण करा लिया था। फिर भी वह गर्भवती हो गई।
महिला को घर से बुला समझा-बुझाकर नवजात को सौंप दिया गया। उसके बाद उसने नवजात को किसके हवाले किया, इसकी जानकारी नहीं है। कभी-कभी बंध्याकरण फेल होने से गर्भवती होने की बात सामने आती है। - डॉ. प्रदीप कुमार, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, चनपटिया
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