West Champaran News : बगहा में धुएं की चादर, पराली की आग ने बढ़ाई लोगों की मुसीबत
Bihar Latest News : बगहा और आसपास के क्षेत्रों में पराली जलाने से धुएं का गुबार फैल रहा है, जिससे प्रदूषण और स्वास्थ्य संबंधी खतरे बढ़ रहे हैं। किसानो ...और पढ़ें

बगहा में खेत में जलता फसल अवशेष। जागरण
संवाद सहयोगी, बगहा। प्रखंड बगहा और आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में पराली जलाने की समस्या तेजी से बढ़ती जा रही है। फसल कटाई के बाद किसान खेतों में पराली जला रहे हैं, जिससे पूरे क्षेत्र में धुएं का गुबार फैल रहा है। यह न केवल वातावरण को प्रदूषित कर रहा है, बल्कि आम लोगों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।
धुएं के कारण दमा, खांसी, आंखों में जलन और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ रहा है। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पराली जलाने से पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है, साथ ही खेतों की मिट्टी की उर्वरक शक्ति भी घट रही है।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, पराली जलाने से मिट्टी में मौजूद जैविक तत्व नष्ट हो जाते हैं, जिससे भविष्य की फसलों की पैदावार पर सीधा असर पड़ता है। इसके बावजूद किसान मजबूरी या जानकारी के अभाव में इस परंपरागत तरीके को अपनाने को विवश हैं।
इस समस्या के समाधान में कृषि विभाग की उदासीनता स्पष्ट है। न तो किसानों को पराली के वैकल्पिक निस्तारण के तरीकों के प्रति जागरूक किया जा रहा है और न ही प्रभावी नियंत्रण के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। पराली प्रबंधन के लिए उपलब्ध मशीनों, कंपोस्टिंग या अन्य तकनीकों की जानकारी किसानों तक नहीं पहुंच पा रही है।
प्रखंड कृषि पदाधिकारी अभय कुमार मिश्रा का रवैया भी सवालों के घेरे में है। ग्रामीणों का कहना है कि जब उनसे इस मुद्दे पर बात की जाती है, तो वे केवल “कार्रवाई की जाएगी” कहकर जवाब देते हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं हुई है। न तो जुर्माना लगाया गया है और न ही किसी किसान के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई है।
ग्रामीणों का आरोप है कि कृषि कर्मी केवल कागजी खानापूर्ति तक सीमित रह गए हैं। पराली न जलाने को लेकर जागरूकता अभियान फाइलों में ही सिमट कर रह गया है।
खेतों में न तो नियमित निरीक्षण हो रहा है और न ही किसानों को आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि यदि समय रहते प्रशासन और कृषि विभाग ने ठोस कदम नहीं उठाए, तो इसका खामियाजा आम जनता को गंभीर बीमारियों और खराब कृषि उत्पादन के रूप में भुगतना पड़ेगा। अब आवश्यकता केवल आश्वासन की नहीं, बल्कि वास्तविक और प्रभावी कार्रवाई की है, ताकि पराली जलाने पर पूरी तरह रोक लगाई जा सके।

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