गोद में 4 माह की बेटी; गले में 2 गोल्ड और 1 सिल्वर मेडल, बिहार की काजल का मालदीव में कमाल
West Champaran News : चनपटिया की काजल गुप्ता ने मालदीव में आयोजित कैरम वर्ल्ड कप में दो गोल्ड और एक सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया। उन्होंने डबल्स म ...और पढ़ें

मेडल और ट्राफी के साथ काजल गुप्ता। सौ. स्वयं
संवाद सूत्र, चनपटिया (पश्चिम चंपारण) । गोद में चार माह की बेटी, गले में दो सोना-एक चांदी...। ये चनपटिया की काजल गुप्ता हैं। विदेशी धरती पर देश और राज्य के साथ चंपारण का नाम-मान रख आई हैं।
मालदीव में आयोजित सातवीं कैरम वर्ल्ड कप प्रतियोगिता में चनपटिया की इस बेटी ने इतिहास रच दिया है। काजल ने डब्ल्स मुकाबलों में दो गोल्ड और महिला सिंगल्स में एक सिल्वर जीतकर कमाल कर दिया। यह प्रतियोगिता दो से छह दिसंबर तक चली थी, जिसमें कनाडा, पाकिस्तान, बांग्लादेश, जापान सहित कई देशों के दिग्गज खिलाड़ियों ने भाग लिया था।
इस पूरे टूर्नामेंट में भारतीय खिलाड़ियों का दबदबा रहा। महिला सिंगल्स के फाइनल में काजल और एल. कृथना आमने-सामने थीं, जिसमें काजल उपविजेता रहीं। काजल की इस उपलब्धि को इसलिए भी विशेष माना जा रहा, क्योंकि वह अपनी चार माह की बेटी को साथ लेकर मालदीव पहुंची थीं।
वैवाहिक जीवन के बाद मातृत्व की जिम्मेदारियों के साथ उन्होंने अपने प्रदर्शन में कोई कमी नहीं आने दी। साबित किया कि इच्छाशक्ति और अनुशासन के सामने कोई चुनौती बड़ी नहीं होती।
काजल चनपटिया नगर निवासी संजय कुमार गुप्ता और किरण देवी की पुत्री हैं। 2005 में वे पहली बार राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता खेलने चंडीगढ़ गई थीं। वह दो दशक से कैरम खेल रही हैं और देश का मान बढ़ा रही हैं।
2018 में वे कोरिया चैंपियन बनी थीं, जिसे मेंस और वीमेंस श्रेणी में अब तक की उनकी सबसे बड़ी खिताबी सफलता है। अब तक काजल तीन बार वर्ल्ड कप में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं।
वर्तमान में वह मुंबई स्थित इंडियन आयल कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं। उनकी सफलता में उनके शुरुआती कोच धर्मेंद्र कुमार की बड़ी भूमिका रही है।
अपनी जीत के बाद काजल ने कहा, देश के लिए खेलते हुए मेडल लाना हमेशा गर्व का क्षण होता है। मातृत्व और खेल संतुलित करना चुनौतीपूर्ण था, पर परिवार के सहयोग ने इसे आसान बना दिया।

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