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    WATCH VIDEO: इंसानों के खून का प्यासा बन चुका था बाघ, खेल खत्‍म होते ही ब‍िहार के पश्‍च‍िम चंपारण में जश्‍न

    By Jagran NewsEdited By: Dharmendra Kumar Singh
    Updated: Sat, 08 Oct 2022 04:54 PM (IST)

    बगहा में था बाघ का आतंक किसी को बिस्तर से उठाया किसी को सरेह में दबोचा मवेशियों को नहीं पहुंचा रहा था नुकसान। करीब 26 दिन से दहशत में में स्‍थानीय लोग। अब मौत से नगर में भी खुशी।

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    वीटीआर से निकला बाघ इंसानों के खून का प्यासा था। फोटो-जागरण

    पश्‍च‍िम चंपारण (रामनगर), जासं। वीटीआर से निकला बाघ इंसानों के खून का प्यासा था। उसने वन्य जीवों का शिकार करना छोड़ दिया था। जंगल से सरेह और गांव तक वह सिर्फ इंसानों की तलाश कर रहा था। नौ लोगों की जान ले चुके आदमखोर बाघ को शनिवार की दोपहर में शूटरों की टीम ने मौत की नींद सुला दी। इस बात की सूचना पाकर नगर एवं स्थानीय थाना क्षेत्र में भी खुशी का माहौल है। लोगों ने राहत की सांस ली है। बता दें कि बाघ के आतंक के कारण लोग सरेह में जाना तक छोड़ दिए थे।

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    WATCH VIDEO:

    शनिवार की सुबह प्रखंड के बलुआ गांव के मां और उसके बेटे की जान बाघ ने ले ली थी। वही शुक्रवार की सुबह डुमरी में शौच करने गए एक व्यक्ति को मार दिया था। जबकि सिंगाही गांव में अपने नानी के साथ सो रही एक बच्ची की हत्या भी बाघ ने कर दी थी। हत्यारे बाघ के कारण क्षेत्र के लोग कई दिनों से दहशत में थे। साथ ही अकेले कोई रात के समय घर से बाहर नहीं निकलना चाहता था। नरभक्षी हो चले बाघ को लेकर विभाग ने भी इसके एनकाउंटर का आदेश निर्गत किया। जिसके बाद शूटर्स की टीम का गठन किया गया। इसके अलावा वन विभाग के कर्मी एवं कई थानों की पुलिस भी इनके सहयोग में लगी हुई थी। जाल के साथ ड्रोन कैमरा, ट्रेकुलाइजर गन समेत अन्य अत्याधुनिक हथियारों को इसमें शामिल किया गया था। बलुआ गांव के समीप ही गन्ने के खेत में इस को चिन्हित किया गया। जिसके बाद उसकी घेराबंदी कर ली गई। जहां इसे शूटर्स ने गोली मार दी।

    अब स‍िर्फ इंसानों को बना रहा था श‍िकार

    बाघ के 26 दिनों की की दिनचर्या पर गौर करें तो उसने औसत हर चौथे दिन एक इंसान को अपना शिकार बना रहा था। जबकि इस दौरान एक भैंस के बच्चे को छोड़ अन्य किसी मवेशी को नुकसान नहीं पहुंचाया। बाघ के नरभक्षी होने पर मुख्य वन्य प्राणी प्रतिपालक (चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन) ने उसे मारने का निर्देश जारी किया था। इसके बाद 24 घंटे भी नहीं बीते बाघ ने गोबर्द्धना थानाक्षेत्र के बलुआ में बबीता देवी व सात वर्षीय उनके बेटे शिवम को मार डाला। लोगों के जेहन में बस एक ही सवाल कौंध रहा था। आखिर कितनों को मौत के घाट उतारकर मरेगा बाघ? एक-एक कर अपनों को खो रहे ग्रामीण इसी बात पर आक्रोशित और आंदोलित हो रहे थे।

    12 वर्षीय राजकुमार को पहली बार बनाया था श‍िकार

    14 मई को सेमरा थाना क्षेत्र के जिमरी नौतनवा निवासी 12 वर्षीय राजकुमार बैठा को जब पहली बार इस बाघ ने शिकार बनाया । इसके एक हफ्ते बाद चिउटहां थाना क्षेेत्र के ढोलबजवा-लक्ष्मीपुर पंचायत के पुरानी कटहां में 50 वर्षीय पार्वती को मौत के घाट उतार दिया। एक के बाद एक छह मौतों के बाद भी ग्रामीण वन विभाग के आश्वासन पर आशान्वित रहे। उन्हें उम्मीद थी वन विभाग की टीम जल्द ही काल रूपी बाघ को पकड़ लेगी। हम फिर से अपने खेतों की ओर आने-जाने के लिए आजाद होंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। पटना से आई टीम, हैदराबाद का शूटर, स्थानीय लाव-लश्कर सब गायब हो गया। इधर बेफिक्र हुआ मौत का तांडव करने लगा। पांच अक्तूबर को सिंगाही गांव में 12 वर्षीय किशोरी को बिस्तर से उठा ले गया। गुरुवार को डुमरी निवासी संजय महतो को मौत के घाट उतार दिया।