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    Basant Panchami 2025: 3 फरवरी को बसंत पंचमी, जानिए क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व?

    Updated: Fri, 31 Jan 2025 05:09 PM (IST)

    बसंत पंचमी का त्योहार इस साल 3 फरवरी सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। इस बार बसंत पंचमी पर अभिजीत मुहूर्त में पूजा करना विशेष फलदायी रहेगा। सोमवार को सूर्योदय के बाद से सुबह 0936 बजे तक पूजा हेतु उत्तम मुहूर्त है। इस बीच कभी भी पूजन प्रारंभ कर अपने अनुसार समाप्ति व हवन किया जा सकता है।

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    3 फरवरी को बसंत पंचमी, जानिए क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व?

    संवाद सूत्र, बगहा। बसंत पंचमी सोमवार (तीन फरवरी) को अभिजीत मुहूर्त में मनाई जाएगी। शिक्षण संस्थानों व छात्रावासों से लेकर तमाम सार्वजनिक व निजी मंदिरों में भी इसका आयोजन हो रहा है। इसको लेकर क्षेत्र के दर्जनों मूर्तिकार करीब दो माह पहले से ही मूर्तियों के निर्माण में जुटे हैं।

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    इस बार मांग अधिक होने के कारण मूर्तियों की कीमत में भी आंशिक मात्रा में बढ़ोतरी हुई है। 200 से लेकर 5 हजार तक की मूर्ति बाजार में उपलब्ध है।

    शिल्पकार मांगीराम ने बताया कि उसके पास आठ सौ से अधिक प्रतिमा का ऑर्डर बुक है। उसके अलावा भी करीब चार सौ प्रतिमा बनाकर रखी हुई है, ताकि अंतिम समय में किसी को जरूरत लगे तो उसकी मांग को पूरा किया जा सके।

    पूजन सामग्री से पटा पड़ा बाजार

    बसंत ऋतु का सबसे अनुपम व अनूठा त्योहार बसंत पंचमी माना जाता है। इसको गुप्त नवरात्र के श्री पंचमी के रूप में भी मनाया जाता है। इस पूजा में वासंतिक रंग का विशेष महत्व दिया गया है। जिसमें सबसे प्रमुख सरसों के फूल को माना गया है।

    • माता की पूजा के लिए पीला वस्त्र, पीला फूल, पीला फल के साथ मौसमी फल यथा गाजर, बेर, कोन, शीतल केसर, नारंगी, बुंदिया आदि फलों को विशेष रूप से उपयोग किया जाता है।
    • इसके अलावा, माता को विद्या की अधिष्ठात्री देवी माना गया है तो इसके लिए कॉपी, कलम, रजिस्टर व किताब आदि भी माता को चढ़ाया जाता है।
    • माता के लिए पीला वस्त्र सबसे उत्तम वस्त्र होता है। चढ़ाने व यजमान को पहनने से लेकर दान हेतु पीला वस्त्र सबसे उत्तम माना गया है।

    आचार्य डॉ. अशोक कुमार मिश्र ने बताया कि इस बार यह त्योहार तीन फरवरी को मनाया जाएगा। माता की पूजा भी तीन फरवरी को ही होगी।

    सूर्योदय के बाद से सुबह 09:36 बजे तक पूजा का उत्तम मुहूर्त

    आचार्य ने बताया कि सोमवार को सूर्योदय के बाद से सुबह 09:36 बजे तक पूजा हेतु उत्तम मुहूर्त है। इस बीच कभी भी पूजन प्रारंभ कर अपने अनुसार समाप्ति व हवन किया जा सकता है। अति उत्तम फलदाई के लिए स्थिर लग्न व अभिजीत मुहूर्त में पूजा की जाती है। जो सुबह साढ़े सात बजे से 08:10 बजे तक है।  इस बीच स्थिर लग्न होने से पूजा का फल कई गुना बढ़ जाता है।

    पूजा में उपयोग होने वाले सभी सामान की दुकान बाजार में सज गई है। दुकानदारों मांग के अनुसार सामान का स्टॉक रख लिया है, ताकि किसी भी खरीदार या पूजा करने वाले श्रद्धालु को किसी भी चीज की कमी ना हो। माता को चढ़ाने के लिए सजी दुकानों में दुकानदार अभी से बिक्री में जुट गए हैं।

    दुकानदार रंजीत कुमार, सतीश कुमार, विनय साह आदि ने बताया कि उत्तरप्रदेश के विभिन्न बाजारों से सामान मंगाया गया है।

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