चीन ही नहीं नेपाल भी भारत के साथ कर रहा ' खेल', गंडक नदी में अवैध खनन
भारत-नेपाल सीमा पर गंडक नदी में नेपाल द्वारा अवैध खनन से तटबंधों को खतरा है। भारतीय अधिकारियों ने नेपाल प्रशासन को पत्र लिखकर चिंता जताई है। सुस्ता क् ...और पढ़ें

अवैध खनन से दोनों देशों के तटबंधों पर बढ़ रहा गंभीर खतरा। जागरण
सुनील कुमार गुप्ता, वाल्मीकिनगर (पश्चिम चंपारण)। भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र में स्थित गंडक नदी में नेपाल की ओर से हो रहे अवैध खनन को रोकने के लिए भारतीय वरिष्ठ अधिकारियों ने नेपाल के प्रशासनिक निकायों, स्थानीय प्रशासन, जनप्रतिनिधियों तथा भारतीय दूतावास को औपचारिक रूप से पत्राचार किया है।
इस खनन गतिविधि से गंडक नदी के तटबंधों पर गंभीर जोखिम उत्पन्न हो गया है, जिसे लेकर भारतीय पक्ष ने गहरी चिंता व्यक्त की है।उत्तरप्रदेश के सिंचाई विभाग के गंडक सिंचाई कार्य मंडल दो, गोरखपुर के अधीक्षण अभियंता जय प्रकाश सिंह ने केंद्र सरकार के विदेश मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखा है।
पत्र की प्रति गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग पटना, मुख्य अभियंता सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग गोरखपुर, मुख्य अभियंता सिंचाई विभाग पटना तथा अधिशासी अभियंता सिंचाई खंड दो महराजगंज, नेपाल के सिंचाई विभाग, प्रशासनिक इकाइयों और संबंधित अधिकारियों को भी भेजा गया है। पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि यदि खनन नहीं रोका गया तो दोनों देशों के तटबंधों की स्थिरता पर गंभीर संकट उत्पन्न हो सकता है।
सुस्ता में नीलामी प्रक्रिया से बढ़ा जोखिम
अधिकारियों ने पत्र में लिखा है कि नेपाल के नवलपरासी जिले के सुस्ता गांव पालिका में नदी जन्य पदार्थ के उत्खनन के लिए नीलामी प्रक्रिया इस खतरे का मुख्य कारण है। नो-मैन्स लैंड तथा तटबंध के नजदीकी क्षेत्रों में खनन की अनुमति दिए जाने से भारी वाहनों की आवाजाही बढ़ गई है। इससे तटबंध के पास बनी सड़क टूट रही है और नदी का बहाव तटबंध की ओर मुड़ने लगा है।
इस परिवर्तन से तटबंध की पूरी संरचना असुरक्षित होती जा रही है।इस मुद्दे को भारत सरकार ने ज्वाइंट कमेटी ऑन इनइंडेशन एंड फ्लड मैनेजमेंट (जेसीआइएफएम) की बैठक में भी औपचारिक रूप से उठाया था, लेकिन नेपाल की ओर से अभी तक आवश्यक कदम नहीं उठाए गए।
भारतीय अधिकारियों ने स्पष्ट कहा है कि ए गैप से बी गैप तक, ए-बी लिंक, लिंक तथा नेपाल तटबंध के स्पर नंबर पांच तक भारत सरकार की अनुमति के बिना खनन की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।अधिशासी अभियंता ने इसे दोनों देशों की सार्वजनिक सुरक्षा तथा सीमा क्षेत्र की सुरक्षा से जुड़ा मामला बताते हुए खनन कार्य तुरंत रोकने की मांग की है।
तटबंध पर बढ़ा खतरा
गंडक समझौता 1959 के अनुसार भारत सरकार ने नारायणी नदी के दाईं ओर कई महत्वपूर्ण तटबंधों का निर्माण किया था। इसमें ए गैप (2.5 किलोमीटर), बी गैप (7.23 किलोमीटर), ए-बी लिंक (2.3 किलोमीटर), लिंक (2.52 किलोमीटर) तथा नेपाल तटबंध (12 किलोमीटर) शामिल हैं।
इन संरचनाओं की बदौलत नेपाल के 84 गांवों की लगभग 68 हजार की जनसंख्या और 21 हजार एक सौ हेक्टेयर कृषि भूमि सुरक्षित है।पत्र में चेतावनी दी गई है कि गंडक नदी में अनियंत्रित खनन से नदी की धारा का रुख बदल सकता है और वह सीधे तटबंध से टकरा सकती है। इससे तटबंध कमजोर होंगे और नेपाल क्षेत्र में बड़े नुकसान की आशंका बढ़ जाएगी।
राजनीतिक निकायों को भेजी गई प्रतिलिपि
महराजगंज सिंचाई विभाग ने पत्र की प्रतिलिपि नेपाल के शीर्ष सुरक्षा और प्रशासनिक निकायों को भेजी है। इसमें नवलपरासी जिला पुलिस कार्यालय, सुस्ता गांव पालिका के अध्यक्ष, गंडक परियोजना सेमरी गोपीगंज कार्यालय, लायजन और भू-अर्जन कार्यालय, भारतीय दूतावास काठमांडू तथा गंगा बाढ़ नियंत्रण आयोग लखनऊ शामिल हैं।
पहले भी सुस्ता क्षेत्र के स्थानीय लोगों ने खनन से नदी के बहाव में परिवर्तन, खेती योग्य भूमि के कटान, बस्तियों पर जोखिम और बाढ़ की समस्या बढ़ने की शिकायतें प्रशासन को दी थी। अब भारतीय अधिकारियों द्वारा भेजे गए पत्र से यह मुद्दा फिर से चर्चा के केंद्र में आने लगा है, जिससे नेपाल के प्रशासन, गांव पालिका और विभिन्न संगठनों की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।