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    Bihar Chunav: 'इ वक्त अइसन बा कि सब बेचैन हैं', चौक-चौराहों पर लोगों के बीच चल रही टिकट की चर्चा

    Updated: Sat, 11 Oct 2025 04:54 PM (IST)

    विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही चुनावी तैयारियां जोरों पर हैं। शहर के चौक-चौराहों से बैनर-पोस्टर हटा दिए गए हैं। लोग अब चाय की दुकानों पर उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों की चर्चा कर रहे हैं। युवा नागेंद्र सहनी का कहना है कि यह समय सोच-समझकर प्रतिनिधि चुनने का है। महिला डेजी पांडेय ने विकास कार्यों पर ध्यान देने की बात कही। प्रीति कुमारी के अनुसार, जल्द ही स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

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    प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई तस्वीर। (फाइल फोटो जागरण)

    अमित कुमार शुक्ल, बगहा। विधान सभा चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप दिए जा रहे हैं । शहर के चौक - चौराहे तो साफ हो चले हैं। यहां अब चौक हो या विद्युत खंभा बैनर, झंडा, बैरिकेडिंग बड़े-बडे होर्डिंग नजर नहीं आ रहे।

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    सीधी बात है अब यहां पहले की तरह जन है। जन मन की बात है सामने विधान सभा चुनाव है। मसलन, क्या शहर, क्या गांव अब यहां की आबोहवा में लोकतंत्र के निर्माण के लिए राजनीति का प्रवेश है। जनता की जुबान पर चुनाव है। आरंभ है तो लोग माननीय की बेचैनी और दर्द दोनों बयां करते हैं।

    मैं अभी जहां खड़ा हूं यह शहर की अपनी पहचान है। सरकारी मुलाजिमों के कार्यालय के पास ही इसका ठौर है। कारण कि यहां के अगल बगल सरकारी कार्यालय से लेकर स्वास्थ्य व्यवस्था तक की सुलभता है। न्याय से लेकर जेल तक की बात होती है। यही संविधान निर्माता की प्रतिमा है सो, देश की राजनीति से लेकर वार्ड तक की फलसफा यहां सुनने को मिलते हैं।

    आदर्श आचार संहिता लागू किए जाने के बाद शहर के चौक-चौराहे साफ-सुथरे दिखने लगे हैं। पहले जहां बैनर, पोस्टर, झंडों और बड़े-बड़े होर्डिंग्स की भरमार हुआ करती थी, वहां अब साफ-सफाई नजर आने लगी है। यह बदलाव न सिर्फ शहर बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी देखा जा रहा है। हर जगह लोगों की जुबान पर एक ही बात है चुनाव।

    जनता के मन में उठते सवाल और उम्मीदें

    चाय की दुकानों पर लोग उम्मीदवारों की चर्चाओं में मशगूल हैं। कुछ दिन पहले तक राजनीतिक झंडों और फ्लैक्स से पटा रहने वाला इलाका अब शांत है, लेकिन चर्चाओं की गर्मी बरकरार है। समझिए- चेहरे पर मुस्कान, मुंह में पान गुटखा लिए नौरंगिया के युवा नागेंद्र सहनी अपने परिचित उपेंद्र यादव से बतिया रहे थे - देख भैयवा। इ वक्त अइसन बा कि सभे बेचैन बा। पांच साल खातिर हमनी के एक आदमी के चुने नी जा, ओकरा बाद हमनी के मौका मिलल बा।

    अभी ऐहीजा के ढेर चुनाव लड़े वाला लोग पटना ध ईले बा। ई लोग टिकट ला ऊहा डेरा जमा देले बा। पार्टी वाला मुखिया भी अइसन बा लो कि ए लोग के कुंडली जमा करके रखले बा।

    पटखौली निवासी चंदन कुमार कहते हैं कि महर्षि वाल्मीकि व सत्याग्रह की धरती है यह चंपारण की। ई माटी में अभी भी दम बा। ईहां के लोग ढेर छक्का पंजा ना जानेला...। आंदोलन उभारे के ताकत अभी भी बा।

    सीधा संवाद बात समझिए कि चेहरा व विकास के कार्य पर टिकट तय कर देता है, लेकिन अंतिम निर्णय जनता ही करती है । वक्त आने पर सब साफ हो जाएगा कि आपका विकास इंटरनेट मीडिया पर है या धरातल पर। स्पष्ट जनादेश जनता ही देती है ।

    रोजमर्रा की वस्तुओं की खरीदारी के लिए सुपर मार्केट में आई महिला डेजी पांडेय ने कहा कि - ई समय चुनाव के बा। ई अइसन समय बा कि इ अधिकार के उपयोग करे के पहिले सोच समझे के जरूरत बा। खाली सूरत ही ना विकास कार्य के ध्यान में भी रखला के जरुरी बा। हमरा बुझाता कि कवनो भी पार्टी वाला हमनी जइसन आम लोग के बीच ही सर्व कर लेला तब टिकटवा के घोषणा करेला .. अब त रउरा बुझ ली कि हमनी के का सोच तानी।

    ग्रेजुएट की छात्रा प्रीति कुमारी, भोली स्मिता की बात स्पष्ट थी कि ... अब काहे घबराए के एक से दू दिन में इ क्लियर हो जाता टिकट भी मिली अउर लोग के चेहरवा भी लटकल ना चमकल नजर आवे लागी । पर एक बात और है कि जो होगा वह सबके हित में होगा। आखिरी फैसला चेहरा तय होने के बाद में ही होगा।