Bihar Election 2025: थारू वोटरों के हाथ में वाल्मीकिनगर की सत्ता, प्रत्याशी की जीत-हार तय करने में निर्णायक
पश्चिमी चंपारण के वाल्मीकिनगर में थारू समुदाय के मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। 2.5 लाख की आबादी वाले इस समुदाय का समर्थन 2025 के बिहार चुनाव में महत्वपूर्ण होगा। राजनीतिक दल उन्हें लुभाने का प्रयास कर रहे हैं, क्योंकि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसे स्थानीय मुद्दे चुनाव परिणाम को प्रभावित करेंगे। थारू वोटर ही तय करेंगे वाल्मीकिनगर में किसकी होगी जीत।

वाल्मीकिनगर में सत्ता की चाबी हैं थारू मतदाता। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, बगहा। विधानसभा चुनाव में थारू समाज की भूमिका चर्चा में रहती है। इस बार भी वाल्मीकिनगर में इनकी अहमियत साफ है। यहां थारू मतदाताओं की संख्या 55 हजार से अधिक है, जो किसी भी प्रत्याशी की जीत-हार तय करने में निर्णायक होते हैं।
थारू समाज लंबे समय से राजनीतिक प्रतिनिधित्व से वंचित रहा है। जब भी कोई थारू प्रत्याशी खड़ा होता, उसे अपने ही समाज से समर्थन नहीं मिल पाता। चौथे-पांचवें स्थान पर रहता है।
इस बार जन सुराज पार्टी ने थारू समाज से शिक्षक दृगनारायण प्रसाद को प्रत्याशी बनाया था, लेकिन नामांकन पत्र की जांच के दौरान खामियों के आधार पर पर्चा खारिज हो गया।
थारू महिलाएं कहती हैं, पहली बार किसी पार्टी ने थारू समुदाय के व्यक्ति को टिकट दिया था, हारना-जीतना अलग बात है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि थारू वोट बिखरता नहीं है।
हरनाटांड़ के आशीष कुमार ने कहा कि उच्च व तकनीकी शिक्षा के लिए युवाओं को आज भी बड़े शहरों का रुख करना पड़ रहा। कभी हम छात्र थे, अब अभिभावक हो गए हैं। बच्चों को बाहर भेजने के लिए हम विवश रहे हैं।
ग्रामीण बृजेश यादव कहते हैं कि मौजूदा सरकार ने थारुओं में शिक्षा, आवास और रोजगार पर ध्यान दिया है, लेकिन युवा वर्ग इससे पूर्ण संतुष्ट नजर नहीं आता।
वाल्मीकिनगर में दो थारू नेता लड़ चुके हैं विधान सभा
वाल्मीकिनगर लोकसभा क्षेत्र के वाल्मीकिनगर, रामनगर और सिकटा विधानसभा क्षेत्रों के 214 राजस्व गांवों में लगभग 2.57 लाख थारू समुदाय के लोग निवास करते हैं। इनमें करीब 1.50 लाख पंजीकृत मतदाता हैं। अकेले वाल्मीकिनगर विधानसभा में ही थारू मतदाताओं की संख्या लगभग 55 हजार है।
चुनावी समीकरणों में थारू समाज की भूमिका लगातार अहम रही है। हर चुनाव में इनके वोट निर्णायक माने जाते हैं, लेकिन राजनीतिक दलों ने अब तक इन्हें केवल वोट बैंक के रूप में देखा है। वाल्मीकिनगर क्षेत्र की राजनीति में इस समाज से कोई प्रभावशाली प्रतिनिधि उभर नहीं सका।
भारतीय थारू कल्याण महासंघ के पूर्व अध्यक्ष दीप नारायण प्रसाद महतो ने दो बार निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव लड़ा। 2010 के चुनाव में उन्होंने 14,047 वोट हासिल किए और पांचवें स्थान पर रहे।
वहीं, 2015 में उनका प्रदर्शन कमजोर रहा और उन्हें केवल 8,355 वोट मिले। इसके बाद 2020 के चुनाव में जन अधिकार पार्टी से सुमंत कुमार मैदान में उतरे और 18,049 वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे।
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि थारू समाज का राजनीतिक प्रभाव तो है, लेकिन संगठित नेतृत्व और रणनीति की कमी के कारण यह प्रभाव सत्ता में हिस्सेदारी में नहीं बदल पा रहा।
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