Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bihar Election 2025: वोट चाहिए, सत्ता में हिस्सा नहीं, पश्चिमी चंपारण की 9 विधानसभा में सिर्फ एक महिला प्रत्याशी

    Updated: Wed, 29 Oct 2025 11:37 AM (IST)

    पश्चिमी चंपारण की नौ विधानसभा सीटों पर बिहार चुनाव 2025 में केवल एक महिला उम्मीदवार है। यह स्थिति राजनीतिक दलों द्वारा महिलाओं को कम प्रतिनिधित्व देने को दर्शाती है। सामाजिक धारणाएं और राजनीतिक दलों का रवैया महिलाओं की चुनावी भागीदारी में बाधा बन रहे हैं, जिससे उनके मुद्दों का समाधान मुश्किल हो रहा है।

    Hero Image

    पश्चिमी चंपारण की 9 विधानसभा सीटों पर महिला प्रत्याशी इक्का-दुक्का। फोटो जागरण

    सुनील आनंद, बेतिया, (पश्चिम चंपारण)। चुनाव में महिला मतदाताओं का समर्थन तो हर राजनीतिक दल को चाहिए, लेकिन जब सत्ता में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने की बात आती है तो कन्नी काट जाते हैं।

    यूं कहें तो इक्का-दुक्का महिला प्रत्याशी बनाते हैं। जिले की नौ विधानसभा सीटों पर भाजपा की एकमात्र महिला उम्मीदवार बेतिया से रेणु देवी हैं। महागठबंधन और जनसुराज की ओर से एक भी महिला प्रत्याशी नहीं उतारा गया है। उत्तर बिहार के अन्य जिलों में भी स्थिति ऐसी ही है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बेतिया से रेणु देवी, नरकटियागंज से रश्मि वर्मा और रामनगर से भागीरथी देवी को उतारा था। तीनों चुनावी जीती थीं। इस बार रश्मि वर्मा और भागीरथी देवी का टिकट कट गया।

    भाजपा ने यहां से महिला की जगह पुरुष उम्मीदवार को मौका दिया है। जबकि दोनों सीटों से भाजपा की महिला कार्यकर्ता उम्मीदवार की कतार में थीं। एनडीए गठबंधन की ओर से जदयू यहां से दो सीटों वाल्मीकिनगर और सिकटा से चुनाव लड़ रही है। उसने भी महिला उम्मीदवार नहीं दिया है।

    1990 के बाद महिला प्रत्याशियों को भूल गया कांग्रेस

    आजादी के बाद जिले में कांग्रेस का लंबे समय तक दबदबा रहा। 1952 में बेतिया से कांग्रेस की केतकी देवी विधायक चुनी गई थीं। फिर 1957 में केतकी देवी को कांग्रेस ने मौका दिया। वे चनटिया विधानसभा से विधायक चुनी गईं।

    उसके बाद 1980 में कांग्रेस ने नौतन सीट से पूर्व मुख्यमंत्री केदार पांडेय की पत्नी कमला पांडेय का उतारा। वे लगातार 10 वर्षों तक नौतन का विधायक रहीं। उसके बाद कांग्रेस जिले में महिलाओं की सत्ता में भागीदारी पूरी तरह से भूल गई।

    जदयू ने भी सिर्फ पांच वर्ष के लिए दिया था मौका

    सिर्फ नौतन से वर्ष 2010 में जदयू ने महिला उम्मीदवार उतारा था। मनोरमा प्रसाद विधायक चुनी गई थीं। 2015 के चुनाव में जदयू ने मनोरमा प्रसाद का टिकट काट दिया था। इससे आहत हो वे निर्दलीय चुनाव भी लड़ी थीं। उसके बाद जदयू ने कभी महिला उम्मीदवार को नहीं उतारा।

    जनसुराज ने भी महिलाओं से किया किनारा

    महिलाओं के लिए कई चुनावी वादे करने वाली प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने भी जिले में महिलाओं को सत्ता में भागीदारी देने से परहेज किया है, जबकि आधा दर्जन से अधिक महिलाओं ने विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों से टिकट के लिए आवेदन दिया था। नई पार्टी के रूप में जनसुराज को महिलाओं का विश्वास जीतने का अच्छा मौका था, लेकिन यहां भी पुरुष सत्ता का प्रभाव दिखा।

    चार सीटों से महिलाओं को कभी नहीं मिला मौका

    जिले की धनहा (अब वाल्मीकिनगर), लौरिया, सिकटा और बगहा विधानसभा सीट से कभी महिलाओं को मौका नहीं मिला। जबकि शिकारपुर (अब नरकटियागंज) से पहली बार 2000 में भाजपा की भागीरथी देवी विधायक चुनी गई थीं।

    फिर इस सीट से 2014 और 2020 में भाजपा की रश्मि वर्मा विधायक बनीं। रामनगर (सुरक्षित) क्षेत्र होने के बाद भाजपा की भागीरथी देवी 2010 में विधायक चुनी गई थीं और लगातार अब तक विधायक थीं।

    अन्य जिलों में यह है स्थिति

    उत्तर बिहार के अन्य जिलों में दोनों गठबंधन की बात करें तो सीतामढ़ी के परिहार भाजपा व राजद ने महिला उम्मीदवार दिया है। पूर्वी चंपारण की केसरिया सीट से जदयू व मधुबन से राजद ने महिला प्रत्याशी दिया है।

    शिवहर से जदयू ने महिला को मैदान में उतारा है। मुजफ्फरपुर की औराई सीट से भाजपा, बोचहां से लोजपा (आर) व गायघाट से जदयू ने महिला को टिकट दिया है। दरभंगा की अलीनगर सीट से भाजपा ने महिला को टिकट दिया है।

    समस्तीपुर सीट से व विभूतिपुर से जदयू हसनपुर व मोहिउद्दीननगर से राजद ने महिला को मैदान में उतारा है। मधुबनी जिले की बाबूबरही से जदयू, फुलपरास से जदयू ने महिला को टिकट दिया है। जनसुराज ने जिले में दो महिला प्रत्याशी दिए हैं।