Bihar Assembly Election 2025: एनडीए और महागठबंधन के लिए 'तीखी मिर्ची' साबित होंगे बागी
पश्चिम चंपारण जिले की नौ विधानसभा सीटों पर एनडीए और महागठबंधन के लिए बागी उम्मीदवार मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। टिकट बंटवारे से नाराज कई कार्यकर्ता निर्दलीय चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं, जिससे मुकाबला त्रिकोणीय होने की संभावना है। एनडीए ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जबकि महागठबंधन में अभी भी सीट बंटवारे को लेकर संशय बना हुआ है। भाजपा ने नरकटियागंज से संजय पांडेय, नौतन से नारायण प्रसाद और चनपटिया से उमाकांत सिंह को उम्मीदवार बनाया है। लौरिया से विनय बिहारी चौथी बार मैदान में हैं।

यह तस्वीर जागरण आर्काइव से ली गई है।
जागरण संवाददाता, बेतिया (पश्चिम चंपारण)। जिले की नौ विधानसभा सीटों पर इस बार एनडीए और महागठबंधन के लिए बागी सिरदर्द बनने वाले हैं। टिकट बंटवारे के बाद कई पुराने कार्यकर्ता नाराज हैं और स्वतंत्र रूप से मैदान में उतरने की तैयारी में हैं। इनमें कुछ ऐसे चेहरे भी हैं जिनका क्षेत्र में मजबूत जनाधार है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यदि इन बागियों ने नामांकन दाखिल किया तो मुकाबला त्रिकोणीय हो सकता है। कई सीटों पर यह बागी उम्मीदवार वोट काटने का काम करेंगे, जिससे मुख्य दलों की गणित गड़बड़ा सकती है।
फिलहाल दोनों गठबंधन बागियों को मनाने में जुटे हैं, परंतु असंतोष की आग ठंडी होती नहीं दिख रही है। चुनावी समीकरण में इन बागियों की भूमिका निर्णायक साबित हो सकती है। जिले की राजनीतिक गणित पर एक नजर डाले तो 2020 के चुनाव में नौ में से आठ सीटों पर एनडीए की जीत हुई थी।
सिर्फ एक सीट महागठबंधन के खाते में था। सिकटा से भाकपा माले के वीरेंद्र प्रसाद गुप्ता चुनाव जीते थे।इस बार भी वे महागठबंधन के उम्मीदवार हैं। जदयू के पूर्व मंत्री खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद ने पार्टी से त्यागपत्र देकर निर्दलीय नामांकन दाखिल कर दिया है।
वहीं नरकटियागंज विधानसभा से भाजपा की रश्मि वर्मा का टिकट कट गया है। वे भी निर्दलीय चुनाव लड़ सकती हैं। पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष व भाजपा नेत्री रेणु देवी भी टिकट के दौड़ में थी।
वर्ष 2015 में वे भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं, 16,061 वोट के अंतर से चुनाव हार गई थीं। उनके जनसुराज से चुनावी दंगल में उतरने की चर्चा है।
पूर्व जिलाध्यक्ष संजय पांडेय बने उम्मीदवार
नरकटियागंज विधानसभा सीट से भाजपा ने संगठन के अनुभवी और जमीनी कार्यकर्ता संजय पांडेय (60) को उम्मीदवार बनाया है। वे लौरिया विधानसभा के योगापट्टी प्रखंड अंतर्गत फतेहपुर गांव के निवासी हैं।
1991 से पार्टी में विभिन्न जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे हैं। वे 2001 से 2004 तक बेतिया जिला मंत्री, जिला मीडिया प्रभारी और प्रदेश परिषद सदस्य रहे। दो कार्यकाल तक जिला महामंत्री और वर्ष 2010 से 2016 तक निर्विरोध भाजपा जिलाध्यक्ष रहे।
2019 के लोकसभा चुनाव में वे गोपालगंज लोकसभा प्रभारी व 2020 में बगहा जिला प्रभारी रहे। 2020 से 2023 तक उन्होंने भाजपा बिहार के प्रदेश मीडिया प्रभारी के रूप में कार्य किया। वर्तमान में वे प्रदेश परिषद सदस्य एवं प्रदेश कार्यसमिति सदस्य हैं। वे उत्तर प्रदेश, गुजरात, दिल्ली और असम विधान सभा चुनावों में प्रवासी प्रभारी भी रहे हैं।
नौतन से तीसरी बार नारायण को मौका
भाजपा ने नौतन विधानसभा क्षेत्र से तीसरी बार नारायण प्रसाद को मौका दिया है। हालांकि नारायण प्रसाद पहली बार 2009 में बसपा के टिकट पर चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे थे। 2010 में वे लोजपा में शामिल हो गए और लोजपा के टिकट पर नौतन विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े थे।
लेकिन जदयू के मनोरमा प्रसाद से चुनाव हार गए। उसके बाद वे भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा ने 2015 के विधानसभा चुनाव में उन्हें उतारा और वे चुनाव जीत गए। तब से लगातार विधायक हैं। वे 9 फ़रवरी 2021 से 9 अगस्त 2022 तक बिहार सरकार में पर्यटन विभाग के मंत्री भी रहे हैं।
मुखिया से विधायक बने उमाकांत पर दूसरी बार भरोसा
चनपटिया विधानसभा से दूसरी बार भाजपा ने उमाकांत सिंह को अपना उम्मीदवार बनाया है। वे 2020 से पहले मुखिया थे। भाजपा ने पहली बार 2020 में उन्हें टिकट देकर चुनाव मैदान में उतरा था।
उस वक्त के निवर्तमान विधायक प्रकाश राय का टिकट कटने से जनता एवं कार्यकर्ताओं में नाराजगी भी थी, तब भी उमाकांत सिंह ने जिले में सर्वाधिक 83,828 वोट लिया था और विधायक बने थे। उससे पूर्व उनकी पहचान एक मुखिया के रुप में थी। वे 2001, 2006, 2011 और 2016 में गोनौली पंचायत के मुखिया रहे थे।
चौथी बार गीतकार विनय बिहारी मैदान में
लौरिया विधानसभा क्षेत्र से चौथी बार गीतकार विनय बिहारी चुनावी मैदान में हैं। तीसरी बार भाजपा ने उनपर भरोसा कर चुनाव मैदान में उतारा है। योगापट्टी प्रखंड के मच्छरगांवा निवासी विनय बिहारी ने पहली बार 2010 में राजनीति में इंट्री मारी थी।
राजनीति से दूर दूर तक सरोकार नहीं रखने वाले विनय बिहारी निर्दलीय उम्मीदवार के रुप में करीब 11 हजार मतों के अंतर से चुनाव जीते थे। वे जदयू के प्रदीप सिंह को हराए थे। बिहार में जीतन राम मांझी की सरकार में कला एवं संस्कृति विभाग के मंत्री भी रह चुके हैं।
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