भईया के माथे सिर पगड़ी, भउजी के माथे सिन्दूर; धूमधाम से मनाया गया भाई दूज का पर्व
भैया दूज भाई-बहन के स्नेह का पर्व है। इस दिन बहनें भाई के माथे पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की प्रार्थना करती हैं। भाई अपनी बहनों के घर जाकर भोजन करते हैं और उन्हें उपहार देते हैं। यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को प्रगाढ़ करता है।

गोवर्धन की आकृति बनकर पूजा अर्चना करती महिलाएं। (जागरण)
जागरण संवाददाता, बेतिया। परंपराओं की धरती पर वर्षों पुरानी संस्कृति जीवंत हो रही थी और जिले का कोना-कोना पारंपरिक और लोक गीतों से गूंज रहा था। भईया के माथे सिर पगड़ी, भउजी के माथे सिन्दूर हो ना..., युग युग जीओ मोरे भईया जीओ भईया लाख बरिश हो ना... जैसे गीत गाकर बहनें भाइयों का प्यार पाने को बेताब थी, तो वहीं राम भईया के लाली घोड़िया की घोड़िया दउड़ल जाय, पान खाएत मुंह बिहसल नारियल फोड़ी फोड़ी खाए गीत उमंग और उल्लास से भैया दूज को सराबोर कर रहे थे।
आज मौका भी था और दस्तूर भी सो भाई-बहन के अमर प्रेम का महापर्व भाई दूज गुरुवार की सुबह करीब 08 बजे पुरी श्रद्धा व भक्ति के साथ संपन्न हो गया। एक दिन पूर्व से कई घरों के परिसर में गोवर्धन की आकृति बनाई गई।
इन आकृतियों के समीप रविवार की अहले सुबह करीब 07 बजे से ही बहनें पहुंचने लगी। बहनों की गोलबंदी पूरी होते ही पर्व से आधारित लोक गीत गाने का सिलसिला शुरू हो गया। फिर भाईयों के लंबी उम्र और सुंदर स्वास्थ्य की कामना की गई।
पूजा के बाद बहनों ने भाईयों को पहनाई माला और खिलाया बजरी
आस्था के इस पर्व में बहना का भाई के प्रति प्यार देखते ही बना। पूजा समाप्त होते ही बहना अपने भाइयों को माला पहनाया और बजरी खिला कर ईश्वर से ब्रज जैसा मजबूत हो जाने की कामना की। फिर मिठाई खिलाकर उनका मुंह मीठा किया। बदले में भाईयों ने बहनों को उपहार देकर उनकी प्रति प्यार का इजहार किया।
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