Bettiah Raj Property: बेतिया राज की संपत्ति कहां-कहां? कब्जे की घोषणा के बाद सरकार के सामने खड़ी हुई नई समस्या
बिहार सरकार ने बेतिया राज की संपत्ति के अधिग्रहण के लिए विधेयक पारित किया है लेकिन इसके लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। सरकार के सामने एक नई समस्या खड़ी हो गई है। बेतिया राज की कई संपत्तियों पर लोगों का कब्जा है जिन्हें हटाना मुश्किल होगा। इसके अलावा बेतिया राज के अभिलेखों की चोरी की घटनाएं भी सामने आई हैं।

जागरण संवाददाता, बेतिया। बिहार सरकार ने बेतिया राज की संपत्ति के अधिग्रहण के लिए मंगलवार को विधेयक पारित किया है, लेकिन राज की परिसंपत्तियों का अधिग्रहण सरकार के लिए आसान नहीं होगा। कई पेचिदगियां हैं।
बेतिया राज की आवासीय भूमि का लीज लेकर सैकड़ों लोग उसका व्यवसायिक इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी तरह खेती योग्य भूमि लीज पर लेकर लोग उस पर बहुमंजिली इमारत बना लिए हैं। हालांकि बुधवार को बेतिया राज कार्यालय का नजारा बदला हुआ दिखा।
अधिग्रहण विधेयक पारित होने के बाद संविदा पर काम कर रहे कर्मियों को भी अब स्थाई नौकरी मिलने की उम्मीद है। भूमि का नकल लेने के लिए मोतिहारी से आए संजय कुमार ने कहा कि सरकार की यह अच्छी पहल है। बर्बाद हो रहे बेतिया राज की संपत्ति एवं इतिहास को नया जीवन मिल सकता है।
हालांकि बेतिया राज की परिसम्पतियों पर कब्जा करना बिहार सरकार के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होगा। बेतिया राज के रिकार्ड रूम में बीते 24 अक्टूबर, 2021 चार बंडल अभिलेख की चोरी हुई थी। पांच दिन बाद राज के कर्मचारियों को पता लगा था कि वेटिलेटर का शीशा तोड़कर अभिलेख की चोरी हुई है।
मामले में बेतिया राज के लिपिक विनोद कुमार वर्मा ने 30 अक्टूबर 2021 को नगर थाने में अभिलेख गायब होने से संबंधित कांड संख्या 604/21 दर्ज कराया था। आरंभ में पुलिसिया जांच फौरी गति से चली। फारेंसिक जांच के लिए टीम भी बुलाई गई।
करीब एक सप्ताह बाद नाले से बेतिया राज का कुछ अभिलेख पुलिस ने बरामद किया था। लेकिन, चोरी के आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं हो पाई। बरामद अभिलेख अभी भी नगर थाने के मालखाना में पड़ा हुआ है।
बेतिया राज को अपनी परिसंपत्तियों को लेकर कितनी सजगता है, इससे अंदाजा लगाया जा सकता है। बेतिया राज को उन कागजातों की जरुरत अभी तक नहीं पड़ी है।
तीन वर्ष में बदले तीन जांच अधिकारी
बेतिया राज के अभिलेखागार से चोरी चार बंडल कागजातों के मामले में नगर थाने में दर्ज कांड संख्या 604/21 के पिछले तीन वर्ष में तीन जांच अधिकारी मिले हैं। आरंभ में इस कांड के जांच अधिकारी संजय कुमार थे। उनका तबादला होने के बाद उन्होंने इस कांड का प्रभार महावीर मिश्र को दे दिया।
अभी इस कांड के जांच अधिकारी महेश प्रसाद गौंड हैं। उन्होंने बताया कि मामला जांच के अधीन है। बरामद अभिलेख न्यायालय के आदेश मिलने के बाद हीं बेतिया राज को सुपुर्द किया जा सकता है।
इन अभिलेखों की हुई थी चोरी
- भूमि से संबंधित चार बंडल अभिलेख में करेक्सन खतियान
- साबिक थाना मोतिहारी की जमाबंदी पंजी
- विभिन्न अंचल का निलामी पंजी
- अंचल केसरिया थाना नंबर 33, 18, 88, 43, 21, 05, 11 एवं 203
- साबिक थाना मोतिहारी का एब्सटैक्ट खतियान
- थाना नंबर 204, 84, 46, 214, 191 एवं साबिक थाना गोविंद गंज का एब्सटैक्ट खतियान
- थाना नंबर 112, 196, 107, 129, 201, 183, 188, 116 एवं 3
- साबिक थाना बेतिया थाना नंबर 38 का करेक्सन खतियान
- साबिक थाना बेतिया थाना नंबर 113 एवं थाना नंबर 400 का एब्सटैक्ट खतियान
- बगहा सर्किल का निलामी पंजी, नवलपुर महाल का निलामी पंजी
- मोतिहारी के विभिन्न मौजा का जमाबंदी पंजी
- लकड़ी का पटरा 29 पीस चोरी हुई थी
बेतिया राज की चोरी की घटनाओं का नहीं हुआ पर्दाफाश
बेतिया राज में चोरी का पुराना इतिहास है। अब तक किसी भी चोरी के मामले को पुलिस नहीं सुलझा सकी है। 90 के दशक में बेतिया राज के खजाने से अरबों की हीरे जेवरात की चोरी हुई थी। कहा जा रहा था कि एशिया की सबसे बड़ी चोरी है। चोरी का पता तब चला जब खजाने का प्रभार आदान-प्रदान हो रहा था।
इस घटना में अंतराष्ट्रीय चोर गिरोह के साथ गांठ की संभावना व्यक्त की गई थी। फिर अगस्त 2012 में चोरों ने बेतिया राज के शीश महल से दुर्लभ बर्तनों की चोरी कर ली।
हालांकि बर्तनों की कीमत हजारों में ही आंकी गई थी लेकिन उसकी दुर्लभता अनुरूप उस समय इसकी कीमत करोड़ों माना गया। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद भी मामला अनसुलझा रहा।
अभिलेख की चोरी से संबंधित मामला पुराना है। मामले में थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। बरामद अभिलेख को रिकॉर्ड के रूप में लाने की नियमानुसार प्रक्रिया की जाएगी।-अनिल कुमार सिंह, व्यवस्थापक, बेतिया राज
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