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    दस्यु बैजनाथ यादव ने फिल्मी स्टाइल में रखा था क्राइम की दुनिया में कदम, गिरोह बनाकर लगा दी थी अपराध की झड़ी

    By Manoj MishraEdited By: Mohit Tripathi
    Updated: Mon, 28 Aug 2023 08:42 PM (IST)

    पश्चिमी चंपारण के कुख्यात अपराधी बैजनाथ यादव ने अपनी ससुराल में हत्या के साथ अपराध की दुनिया में पहली बार कदम रखा। बैजनाथ यादव के साले शंकर यादव और गल्लू मुखिया के बीच जमीनी विवाद चल रहा था। बैजनाथ यादव अपने साले शंकर यादव के साथ मिलकर जुलाई 1996 में गल्लू मुखिया की हत्या कर दी थी। इसके बाद वह दस्यु सरगना वासुदेव यादव के गिरोह में शामिल हो गया।

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    भारत-नेपाल बार्डर के पुरुषोत्तमपुर बाजार से कुख्यात दस्यु सरगना बैजनाथ यादव गिरफ्तार। जागरण

    योगापट्टी, (पश्चिमी चंपारण), संवाद सूत्र: पश्चिमी चंपारण के जोगापट्टी के रहने वाले कुख्यात अपराधी बैजनाथ यादव ने अपनी ससुराल में हत्या करने के साथ अपराध की दुनिया में पहली बार कदम रखा।

    बैजनाथ यादव के साले शंकर यादव (मदारपुर निवासी) और गल्लू मुखिया के बीच जमीनी विवाद चल रहा था। बैजनाथ यादव ने अपने साले शंकर यादव के साथ मिलकर जुलाई 1996 में गल्लू मुखिया की हत्या कर दी थी।

    इसके बाद वह दस्यु सरगना वासुदेव यादव के गिरोह में शामिल हो गया। उस समय अपराध की दुनिया में कुख्यात वासुदेव यादव के नाम का सिक्का चलता था।

    गल्लू मुखिया की हत्या के करीब डेढ़ साल बाद बैजनाथ के साले शंकर यादव की हत्या हो गई। साले की हत्या की खबर सुनकर वह तिलमिला उठा।

    बदला लेने के लिए बनाया अलग गिरोह

    साले की हत्या के बाद से वह प्रतिशोध की आग में जल रहा था। उसने अपने सरदार वासुदेव यादव से इसकी प्रतिशोध लेने की बात कही, लेकिन वासुदेव के मना कर दिया। इससे नाराज होकर वह खुद का अलग गिरोह बना लिया।

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    अपने साले की हत्या के प्रतिशोध में आमिर मियां और हातिम मियां की हत्या कर दी। इन हत्याओं के बाद बैजनाथ यादव अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया।

    आपराधिक घटनाओं की लगाई झड़ी

    इसके बाद तो उसने अपराधिक वारदातों की झड़ी लगा दी। एक के बाद एक कई आपराधिक घटनाओं को अंजाम देकर दियारा इलाके में दहशत का फैला दिया। सिर्फ योगापट्टी थाना में ही उसके खिलाफ एक दर्जन से ज्यादा संगीन मामले दर्ज हुए।

    वह दियारा इलाके तक ही सीमित नहीं रहा। चनपटिया, लौरिया और बगहा पुलिस जिला के थानों में भी उसने आपराधिक वारदात को अंजाम दिया।

    2006 में नेपाल को बना लिया ठिकाना

    बताया जाता है कि 90 के दशक में दियारा इलाके में दस्यु सरगनाओं का गढ़ था। यहां डकैतों के कई गिरोह थे। लेकिन 2005 से स्थिति में बदलाव आनी शुरू हो गई थी।

    पुलिस की सक्रियता बढ़ी और कई अपराधी पुलिस की गोली के शिकार बने। अपनी जान की रक्षा के लिए कई अपराधियों ने सरेंडर कर दिया।

    बदलते माहौल को मनमाकिफ नहीं पाकर बैजनाथ यादव ने पुलिस से बचने के लिए नेपाल को अपना ठिकाना बना लिया।

    कुछ दिनों तक नेपाल से ही गिरोह का संचालन करता रहा। बाद में गिरोह के कुछ डाकू मारे गए तो कुछ पकड़े गए। धीरे-धीरे उसका गिरोह विखंडित हो गया।

    2018 में हुआ था गिरफ्तार

    बताया जाता है कि बैजनाथ यादव नेपाल से कभी-कभार अपने घर भी आता था। वर्ष 2018 में पुलिस को इसकी भनक लग गई। तब उसे गिरफ्तार किया गया था।

    जेल से जमानत पर छूटने के बाद वह फिर नेपाल चला गया। न्यायालय में चल रहे मामलों में उपस्थित नहीं हो रहा था।

    न्यायालय ने उसके खिलाफ स्थायी वारंट बीते 13 अप्रैल 2023 को जारी किया। उसके बाद पुलिस उसकी तलाश में जुट गई थी।