दस्यु बैजनाथ यादव ने फिल्मी स्टाइल में रखा था क्राइम की दुनिया में कदम, गिरोह बनाकर लगा दी थी अपराध की झड़ी
पश्चिमी चंपारण के कुख्यात अपराधी बैजनाथ यादव ने अपनी ससुराल में हत्या के साथ अपराध की दुनिया में पहली बार कदम रखा। बैजनाथ यादव के साले शंकर यादव और गल्लू मुखिया के बीच जमीनी विवाद चल रहा था। बैजनाथ यादव अपने साले शंकर यादव के साथ मिलकर जुलाई 1996 में गल्लू मुखिया की हत्या कर दी थी। इसके बाद वह दस्यु सरगना वासुदेव यादव के गिरोह में शामिल हो गया।
योगापट्टी, (पश्चिमी चंपारण), संवाद सूत्र: पश्चिमी चंपारण के जोगापट्टी के रहने वाले कुख्यात अपराधी बैजनाथ यादव ने अपनी ससुराल में हत्या करने के साथ अपराध की दुनिया में पहली बार कदम रखा।
बैजनाथ यादव के साले शंकर यादव (मदारपुर निवासी) और गल्लू मुखिया के बीच जमीनी विवाद चल रहा था। बैजनाथ यादव ने अपने साले शंकर यादव के साथ मिलकर जुलाई 1996 में गल्लू मुखिया की हत्या कर दी थी।
इसके बाद वह दस्यु सरगना वासुदेव यादव के गिरोह में शामिल हो गया। उस समय अपराध की दुनिया में कुख्यात वासुदेव यादव के नाम का सिक्का चलता था।
गल्लू मुखिया की हत्या के करीब डेढ़ साल बाद बैजनाथ के साले शंकर यादव की हत्या हो गई। साले की हत्या की खबर सुनकर वह तिलमिला उठा।
बदला लेने के लिए बनाया अलग गिरोह
साले की हत्या के बाद से वह प्रतिशोध की आग में जल रहा था। उसने अपने सरदार वासुदेव यादव से इसकी प्रतिशोध लेने की बात कही, लेकिन वासुदेव के मना कर दिया। इससे नाराज होकर वह खुद का अलग गिरोह बना लिया।
अपने साले की हत्या के प्रतिशोध में आमिर मियां और हातिम मियां की हत्या कर दी। इन हत्याओं के बाद बैजनाथ यादव अपराध की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया।
आपराधिक घटनाओं की लगाई झड़ी
इसके बाद तो उसने अपराधिक वारदातों की झड़ी लगा दी। एक के बाद एक कई आपराधिक घटनाओं को अंजाम देकर दियारा इलाके में दहशत का फैला दिया। सिर्फ योगापट्टी थाना में ही उसके खिलाफ एक दर्जन से ज्यादा संगीन मामले दर्ज हुए।
वह दियारा इलाके तक ही सीमित नहीं रहा। चनपटिया, लौरिया और बगहा पुलिस जिला के थानों में भी उसने आपराधिक वारदात को अंजाम दिया।
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