सुन्दरता पर ग्रहण लगा सकता है घेघा रोग
बेतिया,पच। यदि आपके गले के अगले भाग में उभार हो रहा है और कभी-कभार हाथ में कम्पन्न हो रहा है, तो आप घेघा रोग से ग्रसित हो सकते हैं। यह एक ऐसी बीमारी है, जिसके होने पर आपके गले में सूजन होता है और वहां मांस का लोथड़ा निकल आता है, जिससे मनुष्य की सुंदरता भी खराब हो जाती है। घेंघा बीमारी के प्रचार प्रसार के लिए केन्द्र सरकार ने 1962 में गलगंड रोग नियंत्रण कार्यक्रम आरंभ किया था। इसके तहत प्रत्येक वर्ष घेघा रोग प्रमुखता वाले क्षेत्रों में आयोडीन नमक की व्यवस्था की जाती है। वर्ष 2006 से सरकार ने साधारण नमक पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया, जिसके कारण पूरे पश्चिमी चम्पारण में साधारण और खुले नमक की बिक्री लगभग बंद है। पहले जिले के गरीब और उच्च वर्ग भी साधारण नमक पर अधिक ध्यान देते थे, परंतु सरकार के प्रतिबंध का व्यापक असर हुआ है और लोग अब आयोडीन युक्त नमक खाने लगे हैं। लगभग सभी दुकानों पर आयोडीन युक्त नमक बिकने के कारण आज लोग साधारण नमक खाना भुल चुके हैं। इसके कारण घेंघा रोग में कमी आयी है।
अस्पतालों में कम हुए मरीज
बेतिया,पच। सरकारी अस्पतालों में पहले की अपेक्षा घेघा के रोगी अब कम दिखने को मिल रहे हैं। पहले जो केस था, वहीं अभी है। नए केस कम मिल रहे हैं। इसके रोकथाम के लिए स्वास्थ्य समिति कई कार्यक्रम चला रही है। लोगों को आयोडीनयुक्त नमक खाने के लिए प्रेरित किया जाता है। सलाह दी जाती है कि साधारण नमक की तुलना में आयोडीनयुक्त नमक का सेवन करें तथा थाइरॉक्सीन टेबलेट का इस्तेमाल करें।
क्या कहते हैं अस्पताल उपाधीक्षक
बेतिया,पच। एमजेके अस्पताल उपाधीक्षक डा. अशोक कुमार चौधरी बताते हैं कि घेघा रोग दो कारणों से होता है। पहला आयोडीन की कमी से और दूसरा थायराइड में कभी-कभी सूजन हाइफोराडीजीन के कारण। इस स्थिति में टीएचएच हारमोन बढ़ा रहता है। उन्होंने कहा कि इस रोग के होने पर रोगी को आयोडीनयुक्त नमक और थारोक्सीन की गोली लेनी चाहिए।
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