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    बीजोपचार से किसानों को लागत का ग्यारह गुना लाभ

    बेतिया। बीजोपचार से किसानों को लागत का ग्यारह गुणा लाभ अधिक मिल सकता है। अव्वल कभी-कभी फसलों में होन

    By Edited By: Updated: Mon, 28 Nov 2016 03:00 AM (IST)

    बेतिया। बीजोपचार से किसानों को लागत का ग्यारह गुणा लाभ अधिक मिल सकता है। अव्वल कभी-कभी फसलों में होनेवाली महामारी की स्थिति में भी किसानों को 40 से 80 गुणा तक लागत में बचत हो जाता है। किसानों को भरपूर उत्पादन लेने के लिए उन्नत व प्रतिरोधी प्रभेदों के स्वच्छ, स्वस्थ एवं पुष्ट बीज की बुआई करना आवश्यक है। बीज को स्वस्थ बनाने के लिए उसे अनुशंसित शोधक से उपचारित करना आवश्यक है। बीज में अंदर एवं बाहर रोगाणु सुषुप्तावस्था में मिट्टी व हवा में रहते हैं। ये अनुकूल वातावरण के मिलने पर अंकुरित होकर पौघों पर रोग के लक्षण के रूप में प्रकट होते हैं। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार बीज के उपचार के लिए कई विधियां हैं। सीड ड्रम विधि में सीड ड्रम में डाल कर उसमें दपचार के लिए अनुशंसित शोधक की मात्रा को देकर हैंडल के सहारे इतना चलाना होता है कि बीज के उपर एक परत चढ़ जाय। आवश्यकता पड़ने पर बीज में पानी की छीटे दिये जा सकते हैं। इसके साथ ही घड़ा विधि, स्लरी विधि घोल विधि से भी बीज को उपचारित कर खेतों में डाला जा सकता है। बीज को शोधन के बाद धूप में नहीं सूखाना चाहिए। इसे सूखाने के लिए खुला व छायादार जगहों पर रखें। थिरम 75 से बीज को उपचारित करते समय आंख में चश्मा जरूर लगा लेना चाहिए। साथ ही बीज को उपचारित करते समय दस्ताना हाथ में पहनना आवश्यक है। दलहनी बीजों में रायजाबियम कल्चर से बीजोपचार के लिए सर्वप्रथम 250 ग्राम गुण को एक लीटर पानी में गर्म कर लेना चाहिए। चासनी ठंडा हो जाने पर इसमें राईजाबियम कल्चर को ठीक से मिला कर बीज के उपर डालकर मिलाना आवश्यक है। अगर उपरोक्त विधि से बीजोपचार नहीं करने पर एक लीटर ताजा गोमूत्र में दस लीटर पानी मिला कर बीज को उपचारित करना चाहिए। इनसेट कैसे करें बीजोपचार दलहन के लिए फफंद जनित रोग के लिए ट्राईकोडरमा या कार्बेन्डाजीम का उपयोग करना चाहिए। मिट्टी जनित कीट के लिए क्योरफायरीफास, नाईट्रोजन फिक्सेसन बैक्टीरिया लगाने के लिए रायजाबियम कल्चर का उपयोग करना चाहिए। तेलहन के लिए फफंद जनित रोग के लिए कार्बेन्डाजिम या ट्राईकोडरमा, मिट्टी जनित रोग के लिए क्योरापायरीफास का उपयोग करना चाहिए। गेहू फसल के लिए फफूंद जनित रोग पर ट्राईकोडरमा या कार्बोक्सीन, सूत्र कूमि के लिए नमक के घोल में बीज को डूबोये फिर छान कर साफ पानी में दो तीन बार घोना चाहिए। मिट्टी जनित कीट के लिए क्लोरपायरीफास से उपचार करना अनिवार्य है।

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    बयान

    अधिक फसल का उपज लेने के लिए बीजोपचार काफी आवश्यक है। इससे लागत से 11 गुणा ज्यादा लाभ मिलता है। इसी के तहत बीज टीकाकरण अभियान भी चलाया जा रहा है।

    शंभु प्रसाद ¨सह

    निदेशक

    आत्मा परियोजना

    बयान

    बीज को खेतों में बोने से पूर्व उसका शोधन आवश्यक है। ऐसा करने से फसलों में रोग नहीं लगा करता है। साथ ही उपज अधिक होती है।

    डा. अजीत कुमार

    मुख्य वैज्ञानिक क्षेत्रीय अनुसंधान केन्द्र

    माधोपुर।