Lalu Yadav School: लालू प्रसाद यादव उच्च विद्यालय में 8 सालों से अनुदान बंद, खेत में जंग खा रही स्कूल बस
वैशाली के सबलपुर दियारा स्थित लालू प्रसाद यादव उच्च विद्यालय पिछले आठ सालों से सरकारी अनुदान का इंतजार कर रहा है। आर्थिक तंगी के कारण सांसद निधि से मिली बस भी बेकार हो गई है। शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन मिलने में परेशानी हो रही है। विद्यालय के जर्जर भवन और आधारभूत संरचनाओं की कमी के कारण सरकार ने इसका कोड भी निलंबित कर दिया था।

जागरण संवाददाता, हाजीपुर। पिछले चार दशकों से सबलपुर दियारे की चार पंचायतों में शिक्षा की लौ जलाने वाले लालू प्रसाद यादव उच्च विद्यालय के शिक्षकों को आठ वर्षों से लंबित सरकारी अनुदान नहीं मिला है। आर्थिक तंगी के कारण सांसद फंड से मिला स्कूल बस भी बेकार पड़ा है। शैक्षणिक परिभ्रमण के लिए दिया गया यह बस एक दशक से खेत-खलिहान और बाढ़ के पानी में लावारिस हालत में जंग खा रहा है।
नशेड़ियों ने बस के अंदरूनी हिस्सों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया है। 1980 में स्थापित इस विद्यालय को बड़ा झटका तब लगा जब मुख्यमंत्री बनने के बाद भी लालू प्रसाद ने इसका अधिग्रहण नहीं कराया। नतीजतन पहली पीढ़ी के सभी शिक्षक बिना वेतन ही सेवानिवृत्त हो गए। वर्तमान में विद्यालय में पांच शिक्षक और तीन शिक्षकेत्तर कर्मी कार्यरत हैं।
जानकारी के अनुसार, अब तक किसी भी सरकार ने इस विद्यालय और यहां पढ़ाने-पढ़ने वालों की सुध नहीं ली। आठ साल से अनुदान नहीं मिलने के कारण शिक्षक और नान-टीचिंग स्टाफ की हालत बदतर है। 1986 से पहले यह विद्यालय श्रीराम जानकी वृक्षा गंगा उच्च विद्यालय, सबलपुर के नाम से संचालित होता था। बाद में तत्कालीन विधायक लालू प्रसाद के नाम पर इसका नामकरण किया गया।
लालू प्रसाद ने सांसद मद से दी थी बस
सारण से सांसद रहते लालू प्रसाद ने इस विद्यालय को अपने फंड से बस दी थी, लेकिन जब बच्चों को किताबें, साइकिल, कंप्यूटर, प्रयोगशाला और अतिरिक्त कक्षों की जरूरत थी, तब बस ही दे दी गई। विद्यालय की स्थिति इतनी खराब थी कि चालक को वेतन देने तक के पैसे नहीं थे।
शुरुआती दो वर्षों तक ही बस शैक्षणिक परिभ्रमण में उपयोग हो पाई। विद्यालय में बस रखने की जगह तो थी, लेकिन संकरी सड़कों के कारण उसे लाना-ले जाना संभव नहीं था। नतीजतन बस खेत-खलिहान में ही पड़ी रही और हर साल बाढ़ में डूबकर खराब होती चली गई।
जर्जर हो गए हैं भवन
यह विद्यालय मैट्रिक परीक्षा परिणाम के आधार पर अनुदान पाता है, लेकिन आठ वर्षों से राशि लंबित है। भवन जर्जर हो चुके हैं। आधारभूत संरचनाओं की कमी के कारण दो वर्ष पूर्व सरकार ने विद्यालय का कोड भी निलंबित कर दिया था। हालांकि पिछले वर्ष कोड की वापसी हुई, लेकिन बीच में नामांकन बंद रहने से छात्रों की संख्या प्रभावित हुई। विद्यालय परिवार अब इससे उबरने की कोशिश कर रहा है।
आर्थिक अभाव में सपना ही रह गया बच्चों का परिभ्रमण
विद्यालय के संस्थापक सचिव और कम्युनिस्ट नेता ब्रज किशोर शर्मा ने बताया कि 1980 के दशक में सबलपुर दियारे की चार पंचायतों में एक भी उच्च विद्यालय नहीं था। बच्चों को पढ़ाई के लिए हाजीपुर, सोनपुर या पटना जाना पड़ता था। खासकर बच्चियों की पढ़ाई प्रभावित होती थी। स्थानीय लोगों की मदद से ठाकुरबाड़ी की खाली जमीन पर विद्यालय की नींव रखी गई।
तत्कालीन विधायक लालू प्रसाद ने विधायक फंड से तीन कमरे बनवाए। एमएलसी जयमंगल सिंह और नेता केदारनाथ पांडेय ने एक-एक कमरा बनवाया। एक कमरा शिक्षकों ने चंदे से तैयार किया। मुख्यमंत्री बनने पर लालू प्रसाद ने 50 हजार रुपये दिए, जिससे एक और कमरा बन सका। सांसद रहते उन्होंने बस दी, लेकिन आर्थिक अभाव के कारण बच्चों का परिभ्रमण सपना ही रह गया।
खेत-खलिहान में सड़ रही बस
विद्यालय के वरीय शिक्षक मुकेश कुमार शर्मा ने बताया कि नवंबर 2013 में विद्यालय को बस मिली थी। उस समय शिक्षकों ने अपने स्तर से पैसे जोड़कर छात्रों को शैक्षणिक परिभ्रमण कराया। गया और राजगीर के लिए बस दो बार गई। लेकिन चालक को दैनिक मजदूरी देनी पड़ती थी। 2016 में बाढ़ से पहले ही विद्यालय ने जिला प्रशासन को लिखकर सूचित कर दिया था कि बस चलाना संभव नहीं है। तब से बस खेत-खलिहान में लावारिस पड़ी है और नशेड़ियों ने इसे बुरी तरह नुकसान पहुंचाया है। वर्तमान में 2018-19 से अनुदान राशि लंबित है।
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