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    Bihar: बंजर जमीन को सोने की खान में बदला, बैंक मैनेजर की नौकरी छोड़ की सेब और महोगनी की खेती

    राजापाकर के आनंद प्रकाश ने बंजर जमीन को उपजाऊ बनाकर दिखाया। दिल्ली में नौकरी छोड़कर गांव लौटे और सेब की खेती शुरू की। हरमन-99 किस्म के सेब लगाए जो जून-जुलाई में तैयार होते हैं। 200 महोगनी के पेड़ भी लगाए जिनसे भविष्य में करोड़ों की कमाई की उम्मीद है। आनंद का मानना है कि मेहनत से खेती को लाभप्रद बनाया जा सकता है।

    By Gangesh Gunjan Edited By: Rajat Mourya Updated: Fri, 22 Aug 2025 09:11 PM (IST)
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    बंजर जमीन को सोने की खान में बदला, बैंक की नौकरी छोड़ की सेब और महोगनी की खेती

    मणिभूषण कुमार, राजापाकर। सही सोच, कड़ी मेहनत और आधुनिक तकनीक के समुचित इस्तेमाल से बंजर जमीन को भी सोने की खान में बदला जा सकता है। रेगिस्तानी टीलों जैसी दिखने वाली रेतीली भूमि पर खेती करना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन राजापाकर प्रखंड के बैकुंठपुर गांव के युवा किसान आनंद प्रकाश ने इस चुनौती को अवसर में बदल दिया है।

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    आनंद प्रकाश पहले दिल्ली में एक निजी बैंक में मैनेजर थे, लेकिन जब उनके माता-पिता वृद्ध हुए, तो उन्होंने शहर की नौकरी छोड़कर गांव लौटने का निर्णय लिया। वर्ष 2021 में उन्होंने खेती को अपना करियर बना लिया।

    आनंद ने साढ़े तीन एकड़ भूमि पर हरमन-99 नस्ल के 100 सेब के पेड़ लगाए हैं। इस नस्ल का विशेष लाभ यह है कि इसके फल जून-जुलाई में तैयार होते हैं, जब हिमाचल और कश्मीर के सेब बाजार में नहीं होते।

    इस वर्ष लगभग 60 पेड़ों में फल आना शुरू हो गया है। आनंद के अनुसार, एक पेड़ से 4-5 हजार रुपये तक की कमाई संभव है। आने वाले वर्षों में इन पेड़ों से लाखों की आमदनी होने की उम्मीद है।

    200 महोगनी के पेड़ भी लगाए

    इसके साथ ही, आनंद ने 200 महोगनी के पौधे लगाए हैं, जो अब पेड़ हो गए हैं जिनमें से कई की कीमत वर्तमान में लगभग डेढ़ लाख रुपये आंकी जा रही है। आने वाले 20-25 वर्षों में इसी जमीन से करोड़ों रुपये की कमाई संभव है।

    आनंद पिछले पांच वर्षों से अपनी पुश्तैनी जमीन पर सेब के साथ-साथ अन्य फलों और सब्जियों की भी खेती कर रहे हैं। उनका मानना है कि यदि खेती को दिल से किया जाए, तो यह एक लाभकारी व्यवसाय साबित हो सकता है। बचपन से ही उन्हें खेती का शौक था, जो अब उनकी पहचान बन गया है।