Bihar Politics: उपेंद्र के बेटे की वजह से हो गया 'खेला', इस दिग्गज नेता को कैबिनेट में नहीं मिली जगह
वैशाली जिले में एनडीए सरकार के नए मंत्रिमंडल को लेकर लोगों में खुशी और हैरानी है। जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा और हाजीपुर विधायक अवधेश सिंह को मंत्री पद नहीं मिला। राजनीतिक समीकरणों और जातीय गणित के चलते उमेश कुशवाहा और अवधेश सिंह मंत्री बनने से वंचित रह गए, जिससे समर्थकों में निराशा है।

दीपक प्रकाश और उपेंद्र कुशवाहा।
जागरण संवाददाता, हाजीपुर। एनडीए की नई सरकार में मंत्रिमंडल के गठन को लेकर वैशाली के लोग जहां एक ओर गदगद हैं तो वहीं हैरत में भी हैं। दो नाम ऐसे हैं जिन्हें नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी नई सरकार में मंत्री बनाए जाने को लेकर इस बार यहां के लोग पूरी तरह से आश्वस्त थे।
इन दो नामों में एक है, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा का नाम और दूसरा है, हाजीपुर से लगातार चाैथी बार विधायक बने अवधेश सिंह का नाम।
मंत्रिमंडल के गठन में जब इन दोनों के नाम को लोगों ने नहीं देखा तो आश्चर्य में पड़ गए। ना सिर्फ राजनीतिक गलियारे में, बल्कि आम लोगों में भी इस बात की चर्चा तेज हो गई है।

उमेश सिंह कुशवाहा।
उपेंद्र के पुत्र और जातीय समीकरण के कारण वंचित रह गए उमेश कुशवाहा
नीतीश कुमार के नेतृत्व में गुरुवार को गठित राज्य की नई मंत्रिमंडल में महनार विधानसभा क्षेत्र से विधायक चुने गए जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा को जगह मिलने को लेकर लोग पूरी तरह से आश्वस्त थे। लोगों के आश्वस्त होने का मजबूत आधार भी था। एक तो उमेश कुशवाहा जदयू में महत्वपूर्ण ओहदा प्रदेश अध्यक्ष के पद पर आसीन हैं।
वहीं दूसरी ओर चुनाव प्रचार के दौरान जंदाहा में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने महनार के लोगों से उन्हें जीताने की अपील करते हुए कहा था कि उमेश काे एनडीए की सरकार में मंत्री बनाया जाएगा। यहां तक कहा था कि अगर जदयू में जगह नहीं मिली तो भाजपा कोटे से मंत्री बनवाएंगे।
आखिरी वक्त तक उनके मंत्री बनाए जाने की चर्चा खास थी। इसी बीच महनार विधानसभा क्षेत्र के ही रहने वाले राष्ट्रीय लोक मोर्चा के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के पुत्र दीपक प्रकाश का नाम सामने आ गया और उमेश सध गए। कारण यह था कि दीपक रालामो गठबंधन के तहत मंत्री बने तो वहीं मंत्रिमंडल में जातीय समीकरण में भी एक ही साथ आ गए। इसके कारण ही शायद उमेश को मंत्री बनने से आखिरी वक्त में वंचित होना पड़ा।
उजियारपुर के कारण सध गए चौथी बार विधायक बनने वाले अवधेश
वैशाली जिला मुख्यालय की हाट सीटों में शुमार हाजीपुर से लगातार चौथी बार विधायक बने अवधेश सिंह को इस बार गुरुवार को नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी एनडीए की नई सरकार में मंत्री बनाए जाने को लेकर यहां के लोग पूरी तरह से आश्वस्त थे। आखिरी वक्त में जैसे ही पातेपुर से दूसरी बार विधायक बने लखेंद्र रौशन का नाम मंत्री बनने वालों की लिस्ट में सामने आया, लोग आश्चर्य में पड़ गए।
हालांकि, लखेंद्र को मंत्री बनाए जाने के पीछे भी दूर का राजनीतिक मकसद है। एक तीर से दो क्षेत्र को साधने की कोशिश के तहत अवधेश मंत्री बनने से वंचित रह गए। इसका राजनीतिक कारण यह है कि पातेपुर विधानसभा क्षेत्र केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय के संसदीय क्षेत्र समस्तीपुर के उजियारपुर के अंतर्गत आता है। इसके तहत पातेपुर के साथ उजियारपुर को भी संदेश देने की कोशिश नित्यानंद की ओर से की गई है।
यहां बताते चलें कि अवधेश भी नित्यानंद के ही खास हैं और उनकी राजनीतिक विरासत को संभाल रहे हैं। उजियारपुर से सांसद चुने जाने के पूर्व नित्यानंद 2000 से लगातार 04 टर्म विधायक रह चुके हैं और सांसद बनने के बाद अवधेश को ना सिर्फ अपनी राजनीतिक विरासत को सौंपा बल्कि फेस बनकर उन्हें जीता कर विधानसभा भी पहुंचाया।
वहीं दूसरी ओर मंत्रिमंडल के गठन में जातीय समीकरण काे लेकर भी अवधेश वंचित होते रहे हैं। इसका कारण है कि अवधेश मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समाज से ही आते हैं। बीते बार मंत्रिमंडल के गठन में इसी समाज से आने वाले कृष्ण कुमार मंटू के कारण आखिरी वक्त में चर्चाओं के बावजूद उन्हें जगह नहीं मिल सकी थी।

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