हरजोड़ के पौधे से जुड़ जाएगी टूटी हड्डी, सतावर से मधुमेह व चित्रक से कैंसर का इलाज
वैशाली। पौधों के पत्ते, जड़, कंद, बीज एवं अन्य हिस्सों के प्रयोग से आप तमाम तरह की बिमारियों से छुटकारा पा सकते हैं।
वैशाली। पौधों के पत्ते, जड़, कंद, बीज एवं अन्य हिस्सों के प्रयोग से आप तमाम तरह की बिमारियों से छुटकारा पा सकते हैं। यह सुनकर आप चौंक जाएंगे लेकिन यह शत-प्रतिशत सही है। बीमारियां ही नहीं, टूटी हड्डियों को जोड़ने में भी पौधा सहायक है। चित्रक के पौधे से खतरनाक बीमारी कैंसर के अलावा कुष्ठ रोग, चर्म रोग, अतिसार एवं कृमि से मुक्ति मिलती है। सतावर के कंध एवं जड़ से मधुमेह के साथ मिर्गी, अस्थमा एवं पेट दर्द से मुक्ति मिलती है। यह मैं नहीं कह रहा बल्कि एशिया में प्रसिद्ध हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेले में बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर, भागलपुर की प्रदर्शनी में इस बात की जानकारी दी जा रही है। इतना ही नहीं, जानकारियों के साथ यहां लगाए गए स्टॉल पर पौधों की बिक्री भी हो रही है। लोग यहां से पौधे खरीदकर अपने घर भी ले जा रहे हैं। पहली बार व्यापक जानकारियों के साथ कृषि विश्वविद्यालय ने औषधीय पौधों की बिक्री शुरू की है। दरअसल औषधीय पौधों से तमाम तरह के रोगों का इलाज भारत का समृद्ध अतीत है। पहले इतने व्यापक स्तर पर अंग्रेजी दवाओं का लोग सेवन नहीं करते थे। पेड़-पौधों के पत्ते, जड़, कंद, बीज एवं अन्य हिस्से के प्रयोग से तमाम तरह की बिमारियों से छुटकारा मिलता था। इसके जानकार लोग भी थे। धीरे-धीरे इसके जानकार लोग कम होते गए। नवयुग में लोग अपने इस समृद्ध अतीत को भूल गए हैं। अंग्रेजी दवाओं का लोग धड़ल्ले से उपयोग कर रहे हैं। अब जब अंग्रेजी दवाओं के कुप्रभाव से लोग परेशान हो गए तो फिर एक बार भारत की पुरानी चिकित्सा पद्धति की ओर लौटते दिख रहे हैं। राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अंग्रेजी दवाओं के कुप्रभाव को रोकने को लेकर बहस शुरू हो गई है। पहली बार हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेले में बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर, भागलपुर की प्रदर्शनी में न सिर्फ इस बात की जानकारी दी जा रही है बल्कि पौधों की बिक्री भी की जा रही है। सबसे बड़ी बात तो यह है कि पौधों की कीमत भी बहुत ज्यादा नहीं है। बड़ी एवं गंभीर बिमारियों के इलाज में सहायक ये पौधे यहां प्रदर्शनी स्टॉल पर महज 10 से 50 रुपये में उपलब्ध हैं। विभिन्न बीमारियों के यहां करीब सौ तरह के पौधे रखे गए हैं।
वन तुलसी पित्तरोधी व सर्पदंश में लाभदायक : वन तुलसी पित्तरोधी के साथ कफ, खांसी, स्वेदजनन के साथ सर्पदंश में लाभदायक हैं। इस पौधे का संपूर्ण भाग उपयोगी है। वहीं, श्याम तुलसी कफ निकालने के साथ श्वास रोग से छुटकारा दिलाती है।
ब्राह्मी आयुवर्द्धक, हृदय को मजबूत करती सफेद मुसली : ब्राह्मी का पौधा आयुवर्द्धक है। साथ ही रक्त शोधन, मिर्गी एवं बुखार से भी मुक्ति दिलाता है। हृदय को मजबूत करने वाला भी यहां पौधा है। सफेद मुसली पित्त, थकान दूर करने, हृदय को मजबूत करने के साथ धातवर्द्धक है।
मेंथा का पौधा पाचन में सहायक : मेंथा का पौधा पाचन में सहायक है। गुरीच गिलोम से चर्मरोग, कुष्ठ रोग, जीर्ण ज्वर से मुक्ति मिलती है।
टूटी हड्डियों को जोड़ता हरजोड़ का पौधा : हरजोड़ का पौधा टूटी हड्डियों को जोड़ने के साथ बावासीर, अस्थमा, घाव एवं श्वासरोग से निजात दिलाता है। मेंथा से पाचन के साथ बीमारियों का इलाज होता है।
चित्रक के पौधे से खतरनाक बीमारी कैंसर का इलाज : चित्रक के पौधे से खतरनाक बीमारी कैंसर के अलावा कुष्ठ रोग, चर्मरोग, अतिसार एवं कृमि से मुक्ति मिलती है। घृतकुमारी पाचन के साथ दर्द, जलन, यकृत एवं स्त्री रोग से मुक्ति दिलाती है।
सतावर के कंध-जड़ से मधुमेह के व मिर्गी से मुक्ति : सतावर के कंध एवं जड़ से मधुमेह के साथ मिर्गी, अस्थमा एवं पेट दर्द से मुक्ति मिलती है। वहीं, इस्टीबीया के पौधे से भी मधुमेह से मुक्ति मिलती है। साथ ही दांत दर्द एवं मसूढ़ों के रोग से मुक्ति मिलती है।
खस से बनता इत्र व सुगंधित तेल : खस के पौधे की जड़ इत्र, तेल एवं शर्बत बनाने के साथ पाचन में भी काम आता है। यह उत्तेजक भी है। वहीं, पामारोजा के पौधे से इत्र, सौंदर्य प्रसाधन एवं साबुन बनाने के काम आते हैं।
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