भागवत कथा में श्रीकृष्ण और रुक्मिणी विवाह की प्रसंग सुनाई
संवाद सहयोगी सोनपुर हरिहर क्षेत्र सोनपुर के लोक सेवा आश्रम परिसर मे चल रहे संगीतमय

संवाद सहयोगी, सोनपुर :
हरिहर क्षेत्र सोनपुर के लोक सेवा आश्रम परिसर मे चल रहे संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन शनिवार की संध्या पूर्व डीजीपी तथा कथा वाचक गुप्तेश्वर पांडेय महाराज ने श्रीकृष्ण व रुक्मिणी के विवाह की कथा सुनाई। इसके पहले गजेंद्र मोक्ष देवस्थानम के पीठाधीश्वर जगतगुरु रामानुजाचार्य स्वामी लक्ष्मणाचार्य महाराज ने भी उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि भागवत कथा सुनना और सुनाना दोनों परम सौभाग्य की बात है। कथावाचक पूर्व डीजीपी गुप्तेश्वर पाण्डेय महाराज ने कहा कि विदर्भ के राजा भीष्मक के घर रुक्मिणी का जन्म हुआ था। बाल अवस्था से भगवान श्रीकृष्ण को सच्चे हृदय से पति के रूप में चाहती थी। लेकिन उसका भाई रुक्मिणी का विवाह गोपाल राजा शिशुपाल के साथ कराना चाहता था। रुक्मिणी ने अपने भाई की इच्छा जानी तो उसे बड़ा दुख हुआ। शुद्धमति के अंतपुर में एक सुदेव नामक ब्राह्मण आता-जाता था। रुक्मिणी ने उस ब्राह्मण से कहा कि वे श्रीकृष्ण से विवाह करना चाहती हैं। सात श्लोकों में लिखा हुआ मेरा पत्र तुम श्रीकृष्ण तक पहुंचा देना। रुक्मिणी ने स्वयं को प्राप्त करने के लिए उपाय भी बताया। पत्र में रुक्मिणी ने बताया कि वह प्रतिदिन पार्वती जी की पूजा करने के लिए मंदिर जाती हैं। श्रीकृष्ण आकर उन्हें यहां से ले जाएं। रुक्मिणी ने कहा कि मुझे विश्वास है कि आप इस दासी को स्वीकार नहीं करेंगे तो मैं हजारों जन्म लेती रहूंगी। पार्वती के पूजन के लिए जब रुक्मिणी आई उसी समय प्रभु श्रीकृष्ण रुक्मिणी का हरण कर ले गए। अत: रुक्मिणी के पिता ने रीति रिवाज के साथ दोनों का विवाह कर दिया। भीम और शिशुपाल युद्ध का भी उन्होंने विस्तृत रूप से वर्णन किया। साथ ही साथ कृष्ण की लीलाओं पर भी प्रकाश डाला। अंतिम दिन कथावाचक को संत विष्णु दास उदासीन मौनी बाबा ने शुभ आशीष देते हुए विदाई की। इस मौके पर मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा के यजमान अनिल कुमार सिंह भागवत कथा के यजमान दिलीप कुमार झा, फुलदेवी व हरिमोहन यादव सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
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