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    दशकों से विकास की आस संजोए बैठा है वैशाली का ऐतिहासिक चेचर ग्राम समूह

    By JagranEdited By:
    Updated: Wed, 22 Dec 2021 11:43 PM (IST)

    बिदुपुर (वैशाली) कई कालखंडों के इतिहास को अपने दामन में समेटे ऐतिहासिक चेचर ग्राम सम

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    दशकों से विकास की आस संजोए बैठा है वैशाली का ऐतिहासिक चेचर ग्राम समूह

    बिदुपुर (वैशाली) :

    कई कालखंडों के इतिहास को अपने दामन में समेटे ऐतिहासिक चेचर ग्राम समूह दशकों से विकास की आस लगाए बैठा है। तमाम दावों और घोषणाओं के बावजूद चेचर ग्राम समूह का ना तो आज तक सर्वांगीण विकास हो सका और ना ही पर्यटक स्थल के रूप में ही विकसित हो सका। इतिहास के पन्नों में कोटी ग्राम के रूप में मशहूर चेचर ग्राम समूह की 1978 में हुई खुदाई में तेरह काल खंडों के अवशेष मिले थे। इसकी सर्वे रिपोर्ट आर्कियोलॉजिकल रिव्यू में प्रकाशित हो चुकी है। इसके बाद भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने खुदाई कर सोलह हजार अवशेष ले गए, जो पटना के आंशिक कार्यालय में जमा हैं।

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    खुदाई में यहां मिले थे ऐतिहासिक अवशेष

    खुदाई में गुप्तकाल, शु्गकाल कुषाणकाल, ताम्र पाषाणकाल, नवपाषाण काल तक के ऐतिहासिक साक्ष्य एवं प्राप्त अवशेष मिले थे। यहां मिले प्रमुख अवशेषों में ऐरोहेड, हेलन की मूर्ति, पॉलिशदार बर्तन, सेल्युकस की पुत्री की मूर्ति, टेराकोटा, ब्लैक बेयर, रेड बेयर, बुद्ध की मूर्ति, विष्णु की मूर्ति, सिक्का, पत्थर के औजार मिले थे।

    मुख्यमंत्री की घोषणाओं के बावजूद नहीं हो सका विकास

    अपने वैशाली प्रवास के दौरान 14 फरवरी 2010 को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चेचर ग्राम समूह का दौरा कर खुदाई कराने एवं संरक्षित क्षेत्र घोषित करने का आश्वासन दिया था। क्षेत्र में विकास की पर्याप्त संभावनाओं का जिक्र करते इसके विकास के लिए हर संभव कोशिश करने का आश्वासन दिया था। साथ ही चेचर घाट किनारे 2001 एकड़ दियारा क्षेत्र में टूरिज्म हब बनाने, चेचर ग्राम समूह को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी। मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद चेचर ग्राम समूह के विकास और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होने की उम्मीद जगी थी। साथ ही यहां के युवाओं में रोजगार के पर्याप्त अवसर उपलब्ध होने की आस जगी थी। लेकिन गुजरते वक्त के साथ सारी उम्मीदें धूमिल होती चली गई।

    उपेक्षा का दंश झेल रहा ऐतिहासिक चेचर

    कई कालखंडों के इतिहास व पुरावशेषों को अपने दामन में छिपाए ऐतिहासिक चेचर ग्राम समूह का प्रशासनिक उपेक्षा के कारण उतना विकास नहीं हो सका जिसका वो हकदार था। कभी सात एकड़ में फैला चेचर ग्राम समूह वर्तमान में अतिक्रमण के कारण ढाई एकड़ में सिमट कर रह गया है। चेचर संग्रहालय के अवलोकन मुख्यमंत्री ने सरकारीकरण करने कि आदेश दिया था। चेचर संग्रहालय का सरकारीकरण सात सितम्बर 2015 को किया गया।

    चेचर के विकास के लिए की गई थीं घोषणाएं

    चेचर ग्राम समूह के लिए कई घोषणाएं की गई थी। द़खद त्रासदी है कि इसपर आज तक अमल नहीं हो सका। चेचर को पर्यटक हब के रूप में विकसित करने, बुद्ध सर्किट से जोड़ने एवं खुदाई पूरे क्षेत्र में कराने आदि की घोषणा पर आज तक अमल नहीं हुआ। सारे कार्य अधूरे ही रह गए। वर्तमान समय मे चेचर ग्राम समूह एक उद्धारक की बाट जोह रहा है।