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    Lalu Family Politics: तेजस्वी और तेजप्रताप के रास्ते हुए अलग, राजनीतिक विरासत ने ली करवट

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 10:15 PM (IST)

    वैशाली में तेज प्रताप यादव के नामांकन के साथ, एक परिवार की राजनीतिक विरासत ने नया मोड़ लिया है। 2015 में तेजस्वी और तेज प्रताप ने यहां से अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी। अब दोनों भाई अलग-अलग रास्तों पर हैं। तेज प्रताप ने महुआ से नामांकन किया, जबकि तेजस्वी ने राघोपुर से। नामांकन के दौरान तेज प्रताप अपनी दादी की तस्वीर साथ लेकर पहुंचे, जबकि तेजस्वी के नामांकन में पूरा परिवार शामिल था।

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    तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव।

    रवि शंकर शुक्ला, हाजीपुर। लोकतंत्र के आंगन वैशाली में एक परिवार की राजनीति ने गुरुवार को फिर एक बार ऐसी करवट ली है, जिसकी चर्चा यहां हर जुबान पर है। लालू के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव के नामांकन के साथ ही एक परिवार की राजनीतिक विरासत ने करवट ली है। बिहार के सबसे हॉट सीटों में जिले का महुआ शुमार हो गया है।

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    एक दशक पूर्व 2015 में देश-दुनिया में लालू-नीतीश की बड़े और छोटे भाई की एकजुटता तब सुर्खियां बनी थी। वहीं, लालू-राबड़ी के दोनों पुत्रों, तेजस्वी और तेज प्रताप की विरासत की पटकथा का साक्षी भी यह भूमि बनी थी। एक दशक बाद अब दृश्य बदल चुका है।

    जिस आंगन में विरासत की पटकथा लिखी गई थी, उस पावन भूमि पर राजनीति के मैदान में दोनों भाई आमने-सामने दिख रहे हैं। इसका हश्र क्या होगा यह तो भविष्य के गर्भ में है पर वर्तमान में इसकी चर्चा यहां हर जुबान पर है।

    इसी जिले में लिखी गई थी लालू-राबड़ी की विरासत की पटकथा

    2015 के विधानसभा चुनाव में वैशाली की ऐतिहासिक भूमि पर लालू-राबड़ी की विरासत की पटकथा लिखी गई थी। तक एनडीए के अलग होकर लालू और नीतीश बड़े और छोटे भाई की भूमिका में एक मंच पर आए थे। तब तेजस्वी और तेजप्रताप की पहली बार राजनीति में एंट्री हुई थी।

    डेढ़ दशक तक जिस राघोपुर से लालू-राबड़ी ने प्रतिनिधित्व किया था, वहां से राजनीतिक विरासत को सौंपते हुए तेजस्वी को चुनाव तेजस्वी को चुनाव मैदान में उतारा गया था, वहीं महुआ से तेज प्रताप को चुनाव मैदान में उतारा गया था।

    राघोपुर से तेजस्वी और महुआ से तेज प्रताप ने दर्ज कराई थी जीत

    2015 के चुनाव विधानसभा में तेज प्रताप ने महुआ विधानसभा क्षेत्र से तो तेजस्वी ने राघोपुर से भारी मतों के अंतर से अपनी तीन दर्ज कराई थी। लालू-राबड़ी के दोनों बेटों की पहली बार लोकतंत्र के आंगन से होते हुए तब विधानसभा में एंट्री हुई थी। अपनी विरासत की सफल पटकथा लिखने में इस बड़ी कामयाबी के बाद लालू-राबड़ी काफी गदगद हुए थे।

    हालांकि, 2020 में हुए विधानसभा के चुनाव में तेज प्रताप ने अपनी सीट बदल ली और समस्तीपुर जिले के हसनपुर से विधानसभा में एंट्री की। इधर, तेजस्वी ने राघोपुर को नहीं छोड़ा और यहीं से लगातार दूसरी बार भी विधानसभा में एंट्री ली।

    तेजस्वी डिप्टी सीएम और तेज प्रताप बनाए गए थे स्वास्थ्य मंत्री

    2015 के चुनाव में जीत दर्ज कराने के बाद पहली बार विधानसभा में पहुंचे तेजस्वी तब नीतीश कुमार के नेतृत्व में बनी सरकार में दूसरे नंबर की भूमिका में डिप्टी सीएम बनाए गए थे। वहीं तेज प्रताप स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए थे। उस वक्त दोनों ही क्षेत्रों में सरकार की खास नजरें इनायत हुई और राघोपुर के बिदुपुर में अभियंत्रण कालेज और महुआ को मेडिकल कॉलेज का तोहफा दिया गया था।

    एक दशक बाद तेजस्वी और तेज प्रताप की राह अलग

    लोकतंत्र के आंगन वैशाली जहां तेजस्वी और तेज प्रताप ने राजनीति में एंट्री की आज उसी भूमि पर दोनों की राह अलग-अलग दिख रही है। तेजप्रताप ने अपनी पार्टी जनशक्ति जनता दल से महुआ से गुरुवार को नामांकन दाखिल कर दिया है। एक दिन पहले बुधवार को तीसरी बार राघोपुर से तेजस्वी ने नामांकन दाखिल कर दिया था। राजद ने महुआ से डा. मुकेश रौशन को मैदान में उतारा है।

    दादी की तस्वीर हाथों में लिए अकेले पहुंचे तेज प्रताप

    बुधवार को तेजस्वी के नामांकन में पूरे परिवार का साथ मिला और लालू-राबड़ी के साथ ही मीसा भारती भी पहुंची। वहीं गुरुवार को महुआ में तेज प्रताप के होने वाले नामांकन में लालू परिवार का कोई भी सदस्य नहीं पहुंचा। तेज प्रताप अपनी दादी मरछिया देवी की तस्वीर हाथों में लिए यहां पहुंचे। रोड-शो के दौरान जहां दादी की तस्वीर को तेज प्रताप हाथों में लिए हुए थे, वहीं निर्वाची पदाधिकारी के कक्ष में भी नामांकन के दौरान तस्वीर लिए हुए थे।