चिड़िया बाजार से कुत्ता बाजार तक, सोनपुर मेला में मिल रहे हैं सबसे हटके पेट्स
सोनपुर मेले का कुत्ता बाजार इस बार देशी-विदेशी नस्ल के कुत्तों और रंग-बिरंगी चिड़ियों से गुलजार है। चिड़ियों की बिक्री पर प्रतिबंध के बाद अब यह कुत्ता बाजार के नाम से जाना जाता है। यहां जर्मन शेफर्ड, डोबरमैन जैसे कई नस्लों के कुत्ते और पालतू चिड़ियां उपलब्ध हैं। बाजार में छोटा तोता और स्लोवाक घरेलू बत्तख भी आकर्षण का केंद्र हैं। दर्शक यहां कुत्तों की तस्वीरें कैद करने का मौका नहीं छोड़ते।

सोनपुर मेला 2025
जागरण संवाददाता, हाजीपुर। विश्व प्रसिद्ध हरिहर क्षेत्र सोनपुर मेला का कुत्ता बाजार इस बार देशी-विदेशी नस्ल के कुत्तों और पालतू रंग-बिरंगी चिड़ियों की उपस्थिति से पूरी तरह गुलजार है। जर्मन शेफर्ड, पवेलियन, लेब्रा, गोल्डेन नेटीवर, पग सहित कई नस्लों के कुत्ते यहां बिक रहे हैं।
एक ओर कुत्तों की भौंकने की आवाज तो दूसरी ओर अप्रतिबंधित चिड़ियों की चहचहाहट लगातार गूंज रही है। यह बाजार मेले के पुराने चिड़िया बाजार में ही लगता है। जब इसका नाम चिड़िया बाजार था, तब भी यहां कुत्तों की बिक्री होती थी।
चिड़ियों की खरीद-बिक्री पर प्रतिबंध और रोकथाम की वजह से अब यह कुत्ता बाजार के नाम से जाना जाता है। भारी मुश्किलों के बावजूद यह बाजार आज भी जीवंत, सुंदर और आकर्षक बना हुआ है और मेला दर्शकों की पसंद में मजबूती से शामिल है।
समय के साथ सरकार की नीतियों में बदलाव आया, जिससे चिड़िया बाजार पर बड़ा असर पड़ा। हाथी की तरह चिह्नित चिड़ियों की खरीद-बिक्री पर रोक लगने के बाद इस बाजार का स्वरूप बदलना अवश्यंभावी था।
हालांकि आज भी यहां अप्रतिबंधित और पालतू चिड़ियों की चहचहाहट सुनाई देती है और इन्हीं चिड़ियों को बिक्री के लिए लाया जाता है। चिड़िया बाजार से कुत्ता बाजार तक का सफर इसके आकर्षण को कम नहीं कर पाया है।
कई नस्लों का उपलब्ध है कुत्ता
यहां जर्मन शेफर्ड, डोबरमैन, ग्रेडियन सहित कई नस्लों के कुत्ते उपलब्ध हैं और उनके अनुरूप उनका दाम भी। साथ ही बत्तख, घरेलू हंस, कबूतर आदि की भी बिक्री हो रही है। विलायती चूहा और सफेद खरहा भी बाजार में मौजूद हैं।
वास्तविक मूल नस्ल के हंस की बिक्री पर प्रतिबंध है। कुत्ता बाजार वर्षों से निजी जमीन पर लगता आ रहा है। दूरदराज से आने वाले कुत्ता व्यापारी दूसरी जगह नहीं जाना चाहते क्योंकि उन्हें वर्तमान स्थल पर शांति का एहसास होता है।
कुत्ता बाजार के मालिक रामजी सिंह उन्हें अपने लोगों की तरह संरक्षण देते आए हैं। इसी कारण कोई भी व्यापारी दूसरे स्थान पर जाने की कल्पना तक नहीं करता। कुत्ता व्यवसाय से जुड़ी सभी बुनियादी सुविधाएं उन्हें यहां हमेशा मिलती रही हैं।
नन्हा छोटा तोता पक्षी बना आकर्षण
कुत्ता बाजार में नन्हा पालतू बजरिगर छोटा तोता पक्षी भी बिक्री के लिए उपलब्ध है। इस पक्षी को बाजी, शैल तोता, कैनरी तोता, ज़ेबरा तोता, कॉमन पेट तोता, अन्डुलेटेड तोता और हिंदी में “बजरी” के नाम से जाना जाता है।
अमेरिका में इसे लिटिल पैराकीट कहा जाता है। इसके अलावा स्लोवाक घरेलू बत्तख भी मेले में मौजूद है, जो स्लोवाकिया में उत्पन्न होने वाली और अब दुनिया भर में उपलब्ध एक घरेलू नस्ल है।
बाजार में आने वाले दर्शक न केवल कुत्तों की दुनिया में खो जाते हैं, बल्कि अपने कैमरों में उनकी तस्वीरें कैद करने का मौका भी नहीं छोड़ते।

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