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    Hajipur: रामचौरा में पड़े थे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरण, आज भी विद्यमान; हो रहा भव्य मंदिर का निर्माण

    By Chandra Bhushan Singh ShashiEdited By: Ashish Pandey
    Updated: Thu, 30 Mar 2023 08:44 AM (IST)

    Shri Ram Foot Mark at Ramchaura हाजीपुर के प्रसिद्ध रामचौरा में स्वयं श्रीराम पधारे थे और उनके चरण-चिह्न आज भी यहां विद्यमान हैं। रामनवमी पर इन चरण-चिह्न के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचेंगे। मिट्टी के प्राचीन ऊंचे टीले पर बने मंदिर में श्रीराम के चरण-चिह्न अंकित हैं।

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    हाजीपुर के रामचौरा में आज जुटेंगे हजारों श्रद्धालु, यहां पड़े थे मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरण।

    जागरण संवाददाता, हाजीपुर: शहर में रामभद्र मोहल्ला का प्रसिद्ध रामचौरा मंदिर रामभक्तों के लिए तीर्थस्थल के समान है, जहां स्वयं श्रीराम और लक्ष्मण पधारे थे और उनके चरण-चिह्न आज भी विद्यमान हैं। रामनवमी पर श्रीराम के चरण-चिह्न के दर्शन-पूजन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचेंगे। मिट्टी के प्राचीन ऊंचे टीले पर बने मंदिर में श्रीराम के चरण-चिह्न अंकित हैं।

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    रामचौरा में आज जुटेंगे हजारों श्रद्धालु

    यहां प्राचीन समय से ही रामनवमी पर मेला भी लगता आ रहा है। मेले में रामदाना लाई और बेल का फल प्रसाद माना जाता है। इस मौके पर मंदिर परिसर से विशाल शोभायात्रा भी निकाली जाती है, जिसमें हाथी-घोड़े, बैंड-बाजे, ढ़ोल-मृदंग और झंडे-पताका के साथ हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। इस वर्ष भी इस शोभायात्रा की भव्य तैयारी है।

    रामनवमी पर दर्शन-पूजन और मेले में भीड़ नियंत्रण के लिए रामचौरा मंदिर कमेटी सदस्यों के साथ प्रशासन के पदाधिकारी और पुलिस बल भी तैनात रहेंगे। शोभायात्रा के दौरान विधि-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासनिक तैयारी भी की गई है। इस मौके पर रामचौरा मंदिर को आकर्षक और भव्य ढंग से सजाया गया है। वहीं गजेंद्र गिरि टीम लगातार रामधुन गा रही है। अवकाश प्राप्त जज प्रभुनाथ सिंह, पूर्व नगर पार्षद लक्ष्मण राय, नंदकिशोर सिंह, मनोज सिंह, अजय सिंह आदि बड़ी संख्या में स्थानीय लोग बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं।

    गुरु विश्वामित्र के साथ यहां पधारे थे श्रीराम-लक्ष्मण

    पुराणों में वर्णित है कि श्रीराम और लक्ष्मण अपने गुरु विश्वामित्र के साथ यहां पधारे थे। सीता स्वयंवर के लिए जनकपुर जाते समय वह गंगा नदी होकर नाव से यहां उतरे थे। कहते हैं कि वैशाली के राजा सुमति ने उनका स्वागत किया था। श्रीराम-लक्ष्मण ने गुरु विश्वामित्र के साथ यहां गंगा तट के इसी टीले पर रात्रि विश्राम किया था। इस दौरान उन्होंने पवित्र गंगा स्नान के बाद पूजा-अर्चना की थी और अपना मुंडन भी कराया था। कहते हैं कि इसी के बाद इस इलाके का नाम रामभद्र पड़ा था।

    श्रद्धालुओं ने टीले पर पड़े उनके चरण-चिह्न को याद के रूप में सुरक्षित रख लिया और सदियों से यहां इनकी पूजा-अर्चना होती आ रही है। रामचौरा टीले के मंदिर में पुराने चरण-चिह्न के जीर्ण-शीर्ण हो जाने पर बाद में श्रद्धालुओं ने नया चरण-चिह्न अंकित कराया है।

    हाजीपुर के रामचौरा में निर्माणाधीन भव्य श्रीराम मंदिर।

    रामभक्त ने कराया भव्य मंदिर निर्माण

    रामचौरा में पटना सिटी के रामभक्त मदन मोहन अग्रवाल ने भव्य मंदिर का निर्माण कराया है। वह कुछ वर्ष पहले श्रीराम मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए आए थे। उन्हें भगवान श्रीराम की इस मिट्टी से इतना लगाव हो गया कि वह यहां मंदिर परिसर में रहने लगे। उन्होंने मिट्टी के काफी ऊंचे टीले पर बने एक छोटे से मंदिर को भव्य रूप देना शुरू कर दिया। हालांकि यह मंदिर अभी पूर्ण नहीं हुआ है, लेकिन उनके स्वजनों ने इसे पूरा कराने का भरोसा दिलाया है। कहते हैं कि रामचौरा मंदिर के पास पहले 55 बीघा जमीन थी जो इसे दान में मिली थी। लेकिन बाद के दिनों में जमीन के अधिकांश हिस्से पर अतिक्रमण हो गया है। प्रशासन इस पर मौन बना हुआ है।

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