Bihar Chunav: सोनपुर में RJD की बढ़ेगी टेंशन! राजद के बागी सुरेंद्र को तेज प्रताप का मिला साथ
राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के क्षेत्र सोनपुर में, राजद नेता सुरेंद्र प्रसाद यादव ने टिकट न मिलने पर तेज प्रताप यादव की पार्टी से नामांकन किया। इससे राजद खेमे में हलचल है। महागठबंधन उम्मीदवार को अपनों से जूझना होगा। एनडीए में भी टिकट बंटवारे से निराशा है, जिससे भितरघात की आशंका है।

सुरेंद्र यादव ने किया नामांकन। (जागरण)
संवाद सहयोगी, सोनपुर। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का राजनीतिक कर्मभूमि रहे सोनपुर विधानसभा क्षेत्र में पार्टी में नामांकन के अंतिम दिन शुक्रवार को बगावत देखने को मिला।
राजद से बगावत कर पार्टी के प्रदेश महासचिव रहे सुरेंद्र प्रसाद यादव ने सोनपुर विधानसभा क्षेत्र से पूर्व मंत्री तेज प्रताप यादव की पार्टी जनशक्ति जनता दल से शुक्रवार को नामांकन किया है।
सुरेंद्र के नामांकन के साथ ही राजद खेमे में हलचल बढ़ गई है। सुरेंद्र ने इसके पूर्व सोनपुर विधानसभा क्षेत्र से पार्टी के टिकट के लिए काफी प्रयास किया।
यहां तक कि वह लगभग अपने 500 समर्थकों के साथ पटना लालू-राबड़ी आवास तक भी पहुंचे और टिकट की गुहार लगाई लेकिन उनके सारे प्रयासों पर पानी फेरते हुए राजद ने सोनपुर के सीटिंग कैंडिडेट डॉ. रामानुज प्रसाद को सिंबल दे दिया।
डॉ. रामानुज को राजद का सिंबल मिलने के बाद सुरेंद्र ने अपने बगावत का बिल्कुल फूंकते हुए पर्चा दाखिल किया। इधर, निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में गुरुवार को रमेश कुमार ने अपना पर्चा दाखिल किया। इस बार महागठबंधन के उम्मीदवार को सोनपुर में अपने ही लोगों से जूझना पड़ेगा।
दूसरी ओर गुरुवार को एनडीए प्रत्याशी विनय कुमार सिंह की नामांकन सभा में मंच पर एक भी वह चेहरा नहीं दिखा जो कल तक सिंह के खिलाफ बिगुल फूंककर स्वयं एनडीए की टिकट की दावेदारी कर रहा था लेकिन पार्टी नेतृत्व ने पूर्व विधायक सिंह का ही चयन किया।
भाजपा के इस कदम से टिकट के अन्य दावेदारों में भारी निराशा है। इस स्थिति से एनडीए और महागठबंधन में भितरघात की संभावना बढ़ गयी है। जनशक्ति जनता दल के उम्मीदवार सुरेंद्र यादव टिकट की घोषणा होने से पूर्व तक राजद के समर्पित वर्कर हुआ करते थे।
इस बार आई बाढ़ के दौरान उन्होंने बढ़-चढ़कर इस उम्मीद से पीड़ितों की मदद की थी कि पार्टी नेतृत्व यह सब देख रहा है और टिकट उन्हे ही मिलेगा, लेकिन राजद ने उनके उम्मीदों पर पानी फेर दिया और पार्टी के निर्णय से खफा सुरेंद्र राजद से बगावत कर तेज प्रताप के दल में चले गए।
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