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    रमा-अजय की जोड़ी को मिला नया राजनीतिक जीवन, बिहार की सियासत में निभा सकते हैं अहम रोल

    Updated: Sat, 22 Nov 2025 04:35 PM (IST)

    रमा और अजय की जोड़ी ने राजनीति में कड़ी मेहनत से सफलता प्राप्त की थी। अमित शाह ने उन्हें फिर से एक नया मौका दिया है। इस कदम से पार्टी को मजबूती मिलने की उम्मीद है। अब यह देखना है कि यह जोड़ी इस अवसर का कितना फायदा उठा पाती है।

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    अजय निषाद और रमा निषाद। फाइल फोटो

    रवि शंकर शुक्ला, हाजीपुर। राजनीति ऐसा क्षेत्र जहां कब कौन अर्श से फर्श और फिर फर्श से अर्श पर आ जाए कहना मुश्किल है। हाजीपुर शहर में बीते कई दशक से एक मजबूत राजनीतिक विरासत को संभालने वाला परिवार बीते दो वर्ष के दौरान इस दौर से गुजरा।

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    कभी राज्य से लेकर केंद्र की सरकार तक में मंत्री का पद संभालने वाले कैप्टन जय नारायण प्रसाद निषाद के परिवार के साथ ऐसा ही हुआ। बिहार से लेकर केंद्र तक की राजनीति में अपने मजबूत जातीय समीकरण की बदौलत कैप्टन निषाद ने अलग पहचान बनाई थी।

    हालांकि अपने जीवनकाल में ही कैप्टन निषाद ने अपनी अपनी मजबूत राजनीतिक विरासत को अपने पुत्र अजय निषाद और पुत्रवधू रामा निषाद को सौंप दिया था। इसके बाद बीते दो वर्ष के दरम्यान इस परिवार की राजनीति अर्श से फर्श पर आ गई थी।

    इधर, इस विधानसभा चुनाव के ठीक पहले फिर एक बार राजनीति के क्षेत्र में किस्मत ने साथ दिया और फिर एक बार इस परिवार की राजनीति फर्श से अर्श पर पहुंच गई है।

    मुजफ्फरपुर से हारने के बाद अर्श से फर्श पर आ गए थे अजय

    अभी एक साल पहले की ही बात है। मुजफ्फरपुर से लगातार दो बार से भाजपा के सांसद रहे अजय निषाद को भाजपा ने बीते लोकसभा के चुनाव में टिकट से वंचित कर दिया था। उनकी जगह पार्टी ने यहां से राजभूषण चौधरी को मौका दिया। इसके बाद अजय भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए।

    मुजफ्फरपुर से ही चौधरी के मुकाबले अजय ने चुनावी मैदान में ताल ठोक दिया था। हालांकि, चुनाव में अजय को भारी मतों के अंतर से यहां से हार का सामना करना पड़ा। वहीं चौधरी को नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनी केंद्र की सरकार में राज्यमंत्री बना दिया गया। इसके बाद अजय राजनीति में हाशिए पर आ गए थे।

    दो वर्ष पूर्व रमा निषाद की राजनीति भी आ गई थीं हाशिए पर

    हाजीपुर में नगर पंचायत से लेकर नगर परिषद तक के करीब दो दशक के सफर में वार्ड पार्षद का चुनाव हारने के बाद अजय की पत्नी रमा निषाद की राजनीति भी हाशिए पर आ गई थी। मूल रूप से हाजीपुर नगर परिषद के हथसारगंज मुहल्ले की रहने वाली रमा निषाद ने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत वर्ष 2007 में हाजीपुर नगर परिषद चुनाव से की थी।

    वे 2007 और 2014 में नगर परिषद की सभापति निर्वाचित हुईं। हालांकि वर्ष 2022 के नगर निकाय चुनाव में उन्हें वार्ड पार्षद के चुनाव में अपने चचेरे भसुर विजय सहनी की एमबीए बहू से पराजित होना पड़ा था। इसके बाद बीते दो वर्ष से वे राजनीति से करीब-करीब बाहर हो चुकी थीं।

    बीते विधानसभा चुनाव में अमित शाह की पहल पर हुई दोनों की वापस

    बिहार की राजनीति में एनडीए को दो सौ पार कराने में अपनी अहम भूमिका निभाने और राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तर बिहार की राजनीति को साधने के क्रम में जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए ना सिर्फ अजय की भाजपा में वापसी कराई, बल्कि मुजफ्फरपुर के औराई से उनकी पत्नी हाजीपुर नगर परिषद की पूर्व सभापति रमा निषाद को टिकट दिया।

    भाजपा प्रत्याशी के रूप में पहली बार चुनाव मैदान में उतरी रमा निषाद ने ऐतिहासिक जीत दर्ज करते हुए राजनीति में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी वीआइपी उम्मीदवार भोगेंद्र सहनी को 57,206 मतों के भारी अंतर से पराजित किया।

    रमा के मंत्री बनने के बाद परिवार की राजनीति फर्श से अर्श पर

    रमा निषाद ने औराई विधानसभा क्षेत्र को अपनी नई राजनीतिक कर्म भूमि बनाया और 2025 विधानसभा चुनाव में जोरदार वापसी करते हुए ना सिर्फ भारी मतों से जीत दर्ज की, बल्कि मंत्रिमंडल में स्थान हासिल कर लिया।

    रमा निषाद की यह जीत भाजपा के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि उन्होंने एक चुनौतीपूर्ण मुकाबले में बड़ी बढ़त हासिल कर ना सिर्फ औराई में पार्टी की स्थिति मजबूत की बल्कि जातीय समीकरण को भी मजबूत किया है।

    रमा को सरकार में मंत्री बनाए जाने के बाद पूर्व सांसद अजय निषाद को भी आने वाले दिनों में पार्टी में अहम जिम्मेदारी मिलने की संभावना जताई जा रही है। इस तरह अर्श से फर्श पर आ चुकी इस परिवार की राजनीति फिर एक बार फर्श से अर्श तक बढ़ने की ओर है।

    मुकेश सहनी के राजनीति में हाशिए में आने के बाद अजय की भूमिका अहम

    अभी बीते बिहार विधानसभा के चुनाव में निषाद समाज के वोटों को साधने एवं भविष्य की रणनीति के तहत अजय निषाद एवं उनकी पत्नी रामा निषाद को पार्टी में शामिल कराया गया था।

    दोनों को शामिल कराने की पार्टी की सोच भी कामयाब हुई और ना सिर्फ मुजफ्फरपुर के औराई से रामा निषाद की भारी मतों से जीत हुई, बल्कि इसका अच्छा मैसेज भी गया और मुकेश सहनी की पार्टी एक भी सीट पर जीत दर्ज नहीं करा पाई।

    अब जब मुकेश सहनी की राजनीति बिहार में हाशिए पर आ गई है, ऐसे में अब यह संभावना जताई जा रही है कि भाजपा अजय को अहम जिम्मेदारी देकर बिहार में निषाद समाज को पार्टी के पक्ष में गोलबंद करेगी।