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    आम के बाग 40-50 वर्षों तक देते फल, इसकी जगह लगाएं नए पौधे

    By JagranEdited By:
    Updated: Sun, 27 Mar 2022 11:25 PM (IST)

    संवाद सूत्र सहदेई बुजुर्ग (वैशाली) बिहार बागवानी विकास सोसायटी के निर्देश के आलोक में म

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    आम के बाग 40-50 वर्षों तक देते फल, इसकी जगह लगाएं नए पौधे

    संवाद सूत्र, सहदेई बुजुर्ग (वैशाली):

    बिहार बागवानी विकास सोसायटी के निर्देश के आलोक में मुख्यमंत्री बागवानी मिशन के अंतर्गत वैशाली जिला के विभिन्न प्रखंडों के किसानों को पुराने बागों के जीर्णोद्धार एवं क्षत्रक प्रबंधन करने को लेकर पहाड़पुर तोई स्थित सेंटर आफ एक्सीलेंस फार फ्रुट्स केंद्र में प्रशिक्षण दिया गया। महुआ, राजापाकर, भगवानपुर, लालगंज, पातेपुर और जंदाहा के किसानों को बताया गया कि पुराने बागों का जीर्णोद्धार करने की आवश्यकता है। आम का पौधा लगाने के 3-4 वर्षों के बाद फल देने लगते है।

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    बताया गया कि आम के बाग 40-50 वर्षों तक फल देते हैं। आम का पौधा पुराना हो जाने पर उत्पादन कम हो जाता है। ऐसे समय में आम का पेड़ किसानों के लिए लाभदायक नहीं रह जाता है। ऐसी स्थिति में या तो पुराने बागों को काटकर नए बाग लगाएं या फिर पौधों का जीर्णोद्धार कर आने वाले 25-30 वर्षों तक फिर से अच्छे उत्पादन प्राप्त करें। नए बागों को लगाने का खर्च 50-60 हजार प्रति हेक्टेयर आता है। लेकिन जीर्णोद्धार कम लागत में हो जाती और किसानों को अधिक खर्च करने की जरूरत भी नहीं पड़ती है।

    पौधों को जीर्णोद्धार करने की विधि बताते हुए कहा गया कि आम का पौधा 10 गुणे 10 मीटर की दूरी पर लगाए जाते हैं। वह 40-45 वर्षों में घने हो जाते हैं। ऐसे बगीचों में लंबी-लंबी तथा बिना पत्ती व डाली की शाखाओं की अधिकता हो जाती है। जिसमें ऊपर की तरफ कुछ पत्तियां या मंजर लगते है। ऐसे पौधों में सूर्य के प्रकाश तथा वायु के संरचना में भी बाधा पड़ती है। परिणामस्वरूप बीमारियों तथा कीड़ों का प्रकोप बढ़ जाता है और उत्पादन कम हो जाता है।

    जीर्णोद्धार करने के लिए पौधों की चुनी हुई शाखाओं को जमीन से 4-5 मीटर की ऊंचाई पर चुना या सफेद पेंट से चिन्हित कर दे, पौधों के बीच में स्थित शाखाओं, रोगग्रस्त व आड़ी-तिरछी शाखाओं को उनके निकलने की स्थान से ही काट दें। कटाई के तुरंत बाद कटे भाग पर फूफंदनाशक दवा को करंज या अरंडी के तेल में मिलाकर पेस्ट कर दे। साथ ही कटे हुए भाग पर गाय के ताजे गोबर में चिकनी मिट्टी मिलाकर लेप करना भी प्रभावकारी पाया गया है। ऐसा करने से काटे गए पौधों के शाखाओं में नया पत्ता आ जाता और पौधा फिर से पहले जैसे हो जाता है। उत्पादन क्षमता बढ़ जाती है।

    किसानों को उद्यान पदाधिकारी विनोद कुमार, तकनीकी प्रबंधक प्रेम कुमार, अंकित उपाध्याय और इंचार्ज आलोक कुमार ने प्रशिक्षण दिया। इस दौरान उद्यान पदाधिकारी राजेश कुमार, लेवर इंचार्ज प्रकाश चंद्र शर्मा, विकास कुमार, धर्मवीर कुमार, गणेश कुमार, मो. सलीम आदि उपस्थित रहे।