वैशाली सदर अस्पताल में एम्बुलेंस से प्रसव पीड़िता मरीज को प्राइवेट अस्पताल में ले जाने का प्रयास, स्वजन ने किया हंगामा
वैशाली के हाजीपुर सदर अस्पताल में एंबुलेंस चालक और बिचौलियों की मिलीभगत से एक गर्भवती महिला को जबरन निजी अस्पताल ले जाने की कोशिश की गई। सारण जिले के ...और पढ़ें

मरीज परेशान
जागरण संवाददाता, हाजीपुर (वैशाली)।बिहार सरकार भले ही सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा कर रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। एंबुलेंस चालक और बिचौलिया (दलाल) की मिलीभगत से रेफर मरीजों को सरकारी अस्पताल के बजाय निजी अस्पतालों में पहुंचाने का खेल खुलेआम चल रहा है। ताजा मामला हाजीपुर सदर अस्पताल का है, जहां देर रात एक गर्भवती महिला को जबरन निजी अस्पताल ले जाने की कोशिश की गई।
सरकारी एंबुलेंस से आई महिला, निजी अस्पताल भेजने की कोशिश
घटना शनिवार देर रात की बताई जा रही है। सारण जिले के परसा स्थित सरकारी अस्पताल से एक गर्भवती महिला को डिलीवरी के लिए हाजीपुर सदर अस्पताल रेफर किया गया था।
महिला को सरकारी एंबुलेंस से सदर अस्पताल लाया गया। जैसे ही एंबुलेंस अस्पताल परिसर के गेट के पास पहुंची, वहां पहले से मौजूद एक निजी एंबुलेंस को बुलाकर मरीज को उस पर बैठाने का प्रयास किया गया।
जब मरीज के स्वजनों ने इसका विरोध किया, तो सरकारी एंबुलेंस चालक और उसके साथ मौजूद लोगों के बीच कहासुनी शुरू हो गई।
अस्पताल परिसर में शोर-शराबा सुनकर आसपास मौजूद लोग भी जुट गए। परिजनों के सख्त विरोध के बाद निजी एंबुलेंस चालक वहां से फरार हो गया। इसके बाद महिला को सदर अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसका इलाज शुरू हुआ।
स्वजन ने लगाए गंभीर आरोप
मरीज के स्वजन मनीष कुमार ने बताया कि उनकी दीदी की ननद रविना देवी (पति कुंदन कुमार), ग्राम पान बनकेरबा, थाना परसा, जिला सारण को परसा के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वहां से डॉक्टर ने बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल हाजीपुर रेफर किया।
सरकारी एंबुलेंस में एक महिला परिजन और आशा कार्यकर्ता मौजूद थीं, जबकि अन्य परिजन दूसरी गाड़ी से पीछे-पीछे आ रहे थे।
मनीष कुमार का आरोप है कि रास्ते में ही एंबुलेंस चालक ने मोबाइल पर किसी से बात कर निजी अस्पताल में ले जाने की 'सेटिंग' कर ली थी।
सदर अस्पताल पहुंचते ही चालक ने निजी एंबुलेंस बुलाकर मरीज को उसमें शिफ्ट करने की कोशिश की। विरोध करने पर चालक ने झगड़ा शुरू कर दिया।
परिजनों का यह भी आरोप है कि एंबुलेंस चालक और ईएमटी नशे की हालत में थे और मरीज को जबरन निजी अस्पताल ले जाने का दबाव बना रहे थे। इतना ही नहीं, मरीज को उतारने के बाद चालक ने 500 रुपये की मांग भी की।
स्वास्थ्य विभाग ने झाड़ा पल्ला
इस मामले में परसा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा प्रभारी ने कहा कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी या लिखित शिकायत नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि यदि कोई लिखित शिकायत मिलती है, तो मामले की जांच कर उचित कार्रवाई की जाएगी।
सदर अस्पताल में बिचोलियों का बोलबाला
गौरतलब है कि हाजीपुर सदर अस्पताल में बिचोलियों का नेटवर्क लंबे समय से सक्रिय बताया जा रहा है। इमरजेंसी और ओपीडी में दलाल गिद्ध की तरह नजर लगाए रहते हैं।
सड़क हादसे, प्रसव, गोलीबारी या अन्य गंभीर मरीज जैसे ही इमरजेंसी में आते हैं और डॉक्टर प्राथमिक उपचार के बाद रेफर करते हैं, वैसे ही निजी एंबुलेंस चालक और दलाल सक्रिय हो जाते हैं।
रेफर होते ही इमरजेंसी गेट पर निजी एंबुलेंस खड़ी कर मरीजों को जबरन अपने संपर्क वाले निजी अस्पतालों में ले जाया जाता है। कई दलालों की पहुंच डॉक्टर चैंबर तक बताई जाती है।
ओपीडी में भी डॉक्टर से दिखाकर बाहर निकलते ही मरीजों को जांच, अल्ट्रासाउंड, एक्स-रे, सीटी स्कैन और दवा के नाम पर निजी दुकानों और जांच केंद्रों की ओर मोड़ दिया जाता है।
इस घटना ने एक बार फिर सरकारी अस्पतालों में मरीजों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन इस पूरे मामले में कब और क्या ठोस कार्रवाई करता है।

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