Vaishali News: पान की खेती से मालामाल हो रहे गोरौल के किसान, 1 एकड़ जमीन से कमा रहे लाखों का मुनाफा
Betel Cultivation बिहार के वैशाली में गोरौल गांव के किसान पान की खेती कर मालामाल हो रहे हैं। इस गांव के 80 प्रतिशत लोग पान की खेती पर निर्भर हैं। यहां से पान मुजफ्फरपुर सीतामढ़ी समस्तीपुर दरभंगा मोतिहारी बेतिया सहित दर्जनों जिलों में भेजे जाते हैं। हालांकि किसानों को इस बात का दुख है कि फसल को सरकार ने कृषि का दर्जा नहीं दे रही है।
मनीष कुमार, गारौल। प्रखंड के कई गांवों में पान की खेती कर किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं। पान के खेती के लिए मशहूर धाने गोरौल गांव में 80 प्रतिशत लोग पान की खेती निर्भर हैं। पान की खेती को लेकर इस गांव की चमक बरकरार है।
धाने गोरौल के अलावा आदमपुर, लोदीपुर, बेलवर, बरेवा सहित कई गांवों में पान की खेती बड़े पैमाने पर होती है। किसान इसे नगदी फसल मानते हैं। यहां की हरा पान की मांग काफी है। सैकड़ों किसान पान की खेती से जुड़े हुए हैं। इस गांव में खुशहाली पान की खेती से ही है।
यहां से पान मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, समस्तीपुर, दरभंगा, मोतिहारी, बेतिया सहित दर्जनों जिलों में भेजे जाते हैं। पान की खेती करने वाले किसान गोपाल चौरसिया, वीरेंद्र चौरसिया, शंभू चौरसिया, उर्मिला देवी, ईश्वर भागवत आदि बताते हैं कि त्याेहारों के साथ ही मंदिरों में आयोजित पूजा-पाठ और शादी-विवाह में पान की मांग काफी बढ़ जाती है।
इस वक्त कमाई अच्छी हो जाती है। खेती में खर्च सहित मुनाफा अच्छा होता है और कर्ज भी चुकता हो जाता है। हालांकि, किसानों का कहना है कि फसल को सरकार ने कृषि का दर्जा नहीं दिया है। इससे फसल की बीमा का लाभ नहीं मिलने से आपदा की स्थिति में काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है।
पान की खेती पर मौसम का भी होता है काफी असर
धाने गोरौल गांव में पान की खेती कर रहे किसान वीरेंद्र चौरसिया एवं किशोरी चौरसिया ने बताया कि पान की खेती करने में मौसम का अत्यधिक ख्याल रखा जाता है। तापमान में जरा भी उतार-चढ़ाव होता है तो पान की खेती पर काफी असर पड़ता है। पान की खेती के लिए ठंड के समय में 10 डिग्री से अत्यधिक तापमान रहना चाहिए।
हालांकि, ठंड के समय मौसम 04 से 07 डिग्री सेल्सियस तक आ जाती है। इसके कारण पान जलने लगता है और वह बर्बाद हो जाता है। वहीं गर्मी में 40 डिग्री सेल्सियस से नीचे तापमान रहना चाहिए। अत्यधिक गर्मी पड़ने के बाद तापमान 43 डिग्री तक चली जाती है और इसका असर पान पर काफी पड़ता है।
इसके कारण पान जलकर सड़ जाता है। उन्होंने बताया कि पान की खेती में ठंड और गर्मी में जो पछुआ हवा चलता है उसका भी काफी असर पड़ता है और पान की खेती को काफी नुकसान होता है।
मार्च और अगस्त में होती है पान की खेती
पान की खेती करने वाले किसान संजीत चौरसिया, रवि चौरसिया, रंजीत चौरसिया, सीता राम चौरसिया, बैजू चौरसिया ने बताया कि पान की खेती मार्च और अगस्त महीने में होती है।
पान की खेती करने के लिए बांस, कास का खर, रस्सी, तार सहित अन्य सामानों की जरूरत होती है। पान की 01 एकड़ खेती में लगभग एक लाख रुपया लागत आती है। छह महीने में फसल तैयार हो जाती है।
पान की खेती के लिए किसान बरतें सावधानी
किसानों ने बताया कि पान की खेती जितनी फायदेमंद है, उतना ही रिस्की भी है। समय पर पान का पत्ता नहीं तोड़ा गया तो पत्ता सूख कर बर्बाद हो जाता है। इसकी खेती अन्य फसलों से काफी भिन्न होती है। खर एवं बांस की झोपड़ीनुमा घेराबंदी कर खेती की जाती है। महीनों देखरेख के बाद पान का पत्ता तैयार होता है और उसके बाद तोड़कर मंडियों में बेचा जाता है।
कई जिलों से व्यवसायी आकर ले जाते हैं पान
महिला किसान उर्मिला चौरसिया ने बताया कि जब से हमारा शादी धाने गोरौल गांव में हुई तब से मेरे परिवार के लोग पान की खेती करते आ रहे हैं। हम लोग भी खेती में हाथ बंटाते आ रहे हैं।
मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सीतामढ़ी, बेतिया, समस्तीपुर के व्यापारी पान का पत्ता खरीदने के लिए गांव में आते हैं। वहीं किसान सुरेंद्र चौरसिया ने बताया कि हम लोग के पूर्वज से खेती करते आ रहे हैं, लेकिन आज तक हम लोगों को सरकार से किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली।
क्या कहते हैं अधिकारी
गोरौल प्रखंड के कई गांवों में बड़े पैमाने पर पान की खेती की जाती है। किसान अगर खेती को लेकर किसी तरह की सलाह मांगते हैं तो कृषि वैज्ञानिकों से संपर्क कर उपलब्ध कराई जाती है। जहां तक सरकार के स्तर पर मदद नहीं मिलने की बात है तो वे कहना चाहते हैं कि अगर सरकार के स्तर पर पान किसानों की मदद से संबंधित कोई दिशा-निर्देश मिलेगा तो तुरंत उसका पालन किया जाएगा। - वीरेंद्र पासवान, प्रखंड कृषि पदाधिकारी, गोरौल
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