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    जिनकी वजह से हुई थी JDU की हार, उन्हें फिर मिला टिकट; क्या इस बार बदलेगा समीकरण?

    Updated: Sat, 18 Oct 2025 07:44 PM (IST)

    2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू ने वैशाली में बराबर सीटें लड़ीं। भाजपा ने तीन सीटें जीतीं, जबकि जदयू को हार का सामना करना पड़ा। जदयू की हार का कारण बने कई प्रत्याशियों को राजद और लोजपा ने इस बार मैदान में उतारा है। महुआ से जदयू की पूर्व प्रत्याशी भी निर्दलीय चुनाव लड़ रही हैं, जिससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है।

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    रवि शंकर शुक्ला, हाजीपुर। विधानसभा चुनाव 2020 में लोकतंत्र के आंगन वैशाली में भाजपा और जदयू बराबरी पर चार-चार सीटों पर चुनाव लड़ी थी। चुनाव में भाजपा ने तीन सीटों हाजीपुर, लालगंज और पातेपुर में अपनी जीत दर्ज कराई थी।

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    वहीं एक सीट राघोपुर में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। चुनाव में सबसे ज्यादा फजीहत सत्ताधारी जदयू को हुई थी। लोजपा रामविलास के प्रत्याशियों के वोट काट लेने के कारण जदयू काे चार में तीन सीटों पर करारी हार का सामना करना पड़ा था।

    राजापाकर में जदयू प्रत्याशी को तो महज 1796 वोटों के अंतर से हार का सामना करना पड़ा था। वहीं पार्टी महनार एवं महुआ में हार गई थी। बड़ी मुश्किल से पार्टी की लाज वैशाली में बच पाई थी। जदयू की हार का कारण बने इन प्रत्याशियों को राजद ने वैशाली और महनार से मौका दिया है, जबकि लोजपा रामविलास की पार्टी ने महुआ से मौका दिया है।

    हैरत की बात तो यह भी है कि वैशाली में तब महागठबंधन से कांग्रेस के प्रत्याशी संजीव सिंह के हार का कारण बने अजय कुशवाहा को राजद ने अपने सिंबल पर इस बार चुनाव मैदान में उतारा है।

    4 सीटों पर भाजपा, 3 पर जदयू और 1 सीट पर लोजपा रामविलास मैदान में

    विधानसभा चुनाव 2025 में वैशाली जिले के 08 विधानसभा क्षेत्रों में सबसे अधिक 04 सीटों पर भाजपा चुनाव लड़ रही है। भाजपा ने अपने तीनों सिटिंग विधायक हाजीपुर से अवधेश सिंह, लालगंज से संजय कुमार सिंह और पातेपुर सुरक्षित सीट से लखेंद्र पासवान को मैदान में उतारा है।

    इधर, भाजपा ने दो बार से लगातार तेजस्वी के हाथों पराजित हो रहे सतीश कुमार को इस भी मौका दिया है। वहीं, जदयू को पिछली बार से एक सीट कम मिला है।

    जदयू ने वैशाली से अपने सिटिंग विधायक सिद्धार्थ पटेल के अलावा महनार से पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा और राजापाकर सुरक्षित से बीते चुनाव में काफी कम मतों के अंतर से पराजय का सामना करने वाले महेंद्र राम को मैदान में उतारा है। महुआ की सीट जदयू की जगह लोजपा रामविलास को दी गई है, जहां से पार्टी ने संजय कुमार सिंह को प्रत्याशी बनाया है।

    2020 के चुनाव में 04-04 सीटों पर लड़ी थी भाजपा और जदयू

    2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा और जदयू बराबरी पर 04-04 सीटों पर चुनाव लड़ी थी। हाजीपुर, पातेपुर सुरक्षित, लालगंज और राघोपुर सीट भाजपा एवं राजापाकर सुरक्षित, महनार, राजापाकर और वैशाली सीट जदयू के खाते में गई थी।

    भाजपा के जीत का स्ट्राइक रेट काफी अच्छा रहा और उसके तीन प्रत्याशी हाजीपुर से अवधेश सिंह, लालगंज से संजय कुमार सिंह एवं पातेपुर से लखेंद्र पासवान ने जीत दर्ज कराई थी। भाजपा के प्रत्याशी सतीश कुमार राघोपुर से चुनाव हार गए थे।

    इधर, जदयू के जीत का स्ट्राइक रेट काफी खराब रहा। 04 में तीन सीट पर पार्टी के प्रत्याशी, राजापाकर से महेंद्र राम, महनार से उमेश सिंह कुशवाहा और महुआ से डा. आसमां परवीन को पराजय का सामना करना पड़ा था। सिर्फ वैशाली सीट पर सिद्धार्थ पटेल पार्टी का लाज बचा पाने में कामयाब हो सके थे।

    जदयू की हार का कारण बने प्रत्याशी उतरे चुनावी मैदान में

    जदयू प्रत्याशियों की हार का कारण बने वैशाली से अजय कुशवाहा को राजद ने यहीं से अपने सिंबल पर चुनाव मैदान में उतारा है। हैरत की बात तो यह भी है कि अजय के कारण तब यहां से महागठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी संजीव सिंह को हार का सामना करना पड़ा था।

    इस बार भी कांग्रेस ने यहां से संजीव को ही उम्मीदवार बनाया है। इधर, महनार में जदयू की हार का कारण बने रवींद्र कुमार सिंह को राजद ने यहीं से उम्मीदवार बनाया है। वहीं महुआ में जदयू की हार का कारण बने संजय कुमार सिंह को लोजपा रामविलास ने उम्मीदवार बनाया है।

    हालांकि अपनी हार का बदला लेने को महुआ से जदयू की पूर्व प्रत्याशी डॉ. आसमां परवीन पार्टी से इस्तीफा देकर चुनावी मैदान में कूद पड़ी हैं। इससे यहां का राजनीतिक तापमान काफी बढ़ गया है।